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लोकसभा से निलंबन वापसी के लिए SC जाएंगे अधीर रंजन, बोले- विपक्ष की आवाज दबा नहीं पाएगी सरकार

लोकसभा से सस्पेंड होने के बाद अधीर रंजन ने अपनी वही टिप्पणी दोहराई जिसके कारण उन्हें निलंबित किया गया था। उन्होंने कहा कि मेरा इरादा पीएम का अनादर करने का नहीं था। मैंने धृतराष्ट्र-द्रौपदी का उदाहरण दिया था।

नयी दिल्ली: अविश्वास प्रस्ताव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विवादित टिप्पणी करने पर लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा से निलंबित कर दिया गया। अपने निलंबन के बाद से ही अधीर सरकार पर हमलावर हैं। इस बीच आज उन्होंने मीडिया से बात करते कहा कि अगर निलंबन वापस नहीं हुआ तो जरूरत पड़ने पर वो सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने सरकार पर विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप लगाया।
कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से बात करते हुए अधीर रंजन ने कहा कि हमने संसद में मणिपुर पर प्रधानमंत्री के बयान की मांग की थी। हम चाहते थे कि संसद चले। जब हमारी बात नहीं सुनी गई, तो हमें यह सुनिश्चित करने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने का अंतिम उपाय करना पड़ा कि प्रधानमंत्री संसद में बोलें। जब अविश्वास पर बहस लंबित रही तो भाजपा संसद में विधेयक पारित करते रहे। विपक्ष को कई विधेयकों पर अपनी राय रखने का मौका नहीं मिला। कांग्रेस नेता ने कहा कि साल 1978 में भी सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था और उसी दिन प्रस्ताव पर चर्चा भी शुरू हो गई थी। नतीजा ये निकला कि सदन सुचारू रूप से चला।

प्रधानमंत्री के लिए ‘चांद-चीता’ जरूरी मणिपुर नहीं: चौधरी
अधीर रंजन चौधरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री चांद से लेकर चीता तक पर बात करते हैं, लेकिन मणिपुर के मुद्दे विपक्ष की मांग के बावजूद बयान नहीं दे रहे थे। उनके लिए ‘चांद-चीता’ जरूरी है लेकिन मणिपुर नहीं। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष को लगा था कि वे मणिपुर पर भी बोलेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि विपक्ष सदन में ये गुहार लगाता रहा कि मणिपुर में हालात गंभीर होते जा रहे हैं, पीएम मोदी सदन में आकर अपनी बात रखें, लेकिन मोदी ‘मणिपुर’ मुद्दे पर हमारी बात लगातार टालते रहे और फिर हम आखिरी विकल्प के रूप में अविश्वास प्रस्ताव लाए। जिस कारण पीएम ने सदन में आकर बात रखी।

बता दें कि मानसून सत्र के आखिरी दिन शुक्रवार को संसद में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी का सस्पेंशन हो गया। इसके विरोध में विपक्ष के नेताओं ने दोनों सदनों में हंगामा किया। I.N.D.I.A. के सांसदों ने लोकसभा की कार्यवाही का बहिष्कार करने का फैसला लिया। बाद में सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। इसके बाद दोपहर डेढ़ बजे विपक्षी सांसदों ने संसद परिसर में मार्च निकाला। इस प्रदर्शन में सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत सभी विपक्षी सांसद शामिल हुए। उधर, राज्यसभा में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी के सस्पेंशन का मुद्दा उठा।

खड़गे ने कहा, दिल की बात करूंगा, मन की बात तो मोदी जी करते हैं…
राज्‍यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने विपक्षी सदस्‍यों के निलंबन का मुद्दा उठाया। उन्होंने हाथ जोड़ते हुए सभापति जगदीप धनखड़ से कहा- ‘प्‍लीज मेरा माइक बंद न करें।’ दरअसल, जैसे ही खड़गे बोलने के लिए उठे सभापति उन्हें रोकने लगे।
खड़गे ने आगे कहा, हम तो इसमें विश्वास रखते हैं कि कल करने का है तो आज करो। आज करने का है तो अभी करो। पल में प्रलय होगा फिर करोगे कब। सर डिबेट में छोटी-मोटी बात होती रहती हैं। जब एक-दूसरे के विषय में कहते हैं, अगर वह अनपार्लियामेंट्री है, किसी को दु:खी करता है तो उसे आप कह सकते हैं कि ये अनपार्लियामेंट्री है। ये ठीक नहीं है।
लेकिन वहां (लोकसभा में) हमारे अधीर रंजन चौधरी साहब को निलंबित किया गया। वो बेहद हल्का मामला था। उन्होंने इतना ही बोला ‘नीरव मोदी’। नीरव मतलब शांत। साइलेंट। वो नीरव मोदी बोले। इसलिए आप उसे सस्पेंड करते हैं।

इस बीच सदन में उन सांसदों को विदाई दी गई, जिनका कार्यकाल खत्म हो रहा है। सभापति जगदीप धनखड़ के बाद नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने विदाई दी। खड़गे ने सभापति से कहा- ‘पता नहीं कि दोबारा हम मिलेंगे या नहीं, हमारी उम्र हो रही है।
जब सभापति ने कहा क‍ि अपने मन की बात कीजिए तो खड़गे ने कहा कि दिल की बात करूंगा, मन की बात तो मोदी जी करते हैं। इस पर सभापति ने कहा कि दिल से मन की बात कर लीजिए।