उत्तर प्रदेशब्रेकिंग न्यूज़शहर और राज्यसामाजिक खबरें

वाराणसी: इन शर्तों के साथ काशी में सजेंगे दुर्गा पूजा पंडाल, विसर्जन जुलूस पर रहेगी रोक

वाराणसी (अभिनय जायसवाल): शासन के निर्देश के बाद जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने शारदीय नवरात्र में दुर्गा पूजा पंडालों में दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करने की अनुमति दे दी है। परंपरागत सभी स्थलों पर पंडालों में प्रतिमाएं स्थापित की जा सकेंगी, किंतु प्रतिमा की चौड़ाई व लंबाई पांच फीट से अधिक नहीं होगी। नए स्थल पर कहीं भी प्रतिमा रखने की छूट नहीं दी जाएगी। विसर्जन जुलूस आदि नहीं निकाले जाएंगे। जिलाधिकारी ने कहा कि श्रद्धा के साथ लोग प्रतिमाओं को छोटे वाहन में रखकर निर्धारित स्थल पर विसर्जित करेंगे।
पूर्व की तरह ही विसर्जन के लिए प्रशासन की ओर से तय व्यवस्था होगी। अनुमति की शर्तों को पालन करना अनिवार्य होगा, उल्लंघन पर कार्रवाई होगी। पंडालों में दुर्गा प्रतिमा की स्थापना की मांग पिछले कई दिनों से केंद्रीय पूजा समिति के अध्यक्ष तिलकराज मिश्रा समेत अन्य संस्थाओं की ओर से शासन से भी इस बाबत आग्रह किया गया था।
अक्टूबर से दिसंबर तक त्योहारी सीजन के दौरान कंटेनमेंट जोन में किसी भी त्योहार से जुड़ी गतिविधियों की अनुमति नहीं होगी। हालांकि इसके बाहर सरकार ने अनुमति दे दी है। रामलीला/दशहरा से संबंधित सामूहिक गतिविधियां यदि किसी बंद स्थान, हॉल या कमरे में होती हैं तो उसकी निर्धारित क्षमता का 50 प्रतिशत या अधिकतम 200 व्यक्तियों को ही प्रवेश मिलेगा। फेस मास्क, शारीरिक दूरी, थर्मल स्क्रीनिंग, सैनिटाइजेशन व हैंडवॉश की उपलब्धता अनिवार्य होगी। यदि यह गतिविधियां खुले स्थान या मैदान में होती हैं तो क्षेत्रफल के अनुसार कोविड से बचाव के प्रोटोकॉल का पालन करना अनिवार्य होगा। कंटेनमेंट जोन से किसी भी आयोजक, कर्मचारी या विजिटर को आयोजन में आने की अनुमति भी नहीं होगी। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशानिर्देश के बाद शुक्रवार को मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने भी इस बाबत गाइडलाइंस जारी कर दी है। अब इसी के साथ काशी में पर्वों का दौर शुरू हो जाएगा।

17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र शुरू
वैसे तो काशी में पूरे वर्ष भर उत्‍सवाें का दौर चलता रहता है लेकिन शारदीय नवरात्र के साथ शुरू होने वाले पर्वों का अनवरत क्रम साल के अंत तक जारी रहता है। काशी में नवदुर्गा के विभिन्‍न रूपों के पूजन के साथ ही प्रत्‍येक दिन पर आधारित मंदिराें में आस्‍था का कोई ओर छोर नहीं होता। शैल पुत्री, ब्रहमचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्‍मांडा, स्‍कंदमाता, कत्‍यायिनी, कालरात्रि, महागौरी, कल्‍याणी, सिद्धदात्री आदि मंदिरों में आस्‍था का रेला पूरे नवरात्रि भर लगा रहता है। जबकि दुर्गा कुंड स्थित मं‍दिर और शीतला माता मंदिर में आस्‍था का कोई ओर छोर ही नज़र नहीं आता।

दीपावली 14 नवंबर को, देव दीवावली 29 को
उत्‍सवधर्मी काशी में देव दीपावली साल का सबसे बड़ा और आखिरी पर्व माना जाता है। काशी में पूर्णिमा के चांद पर मां गंगा का दीयों से अद्भुत श्रृंगार होता है तो आस्‍था सभी प्रमुख घाटों पर रोशनी से ओतप्रोत नजर आती है। इस दिन काशी में मानो देव उतर कर काशी के वैभव को नमन करने आते हैं। गंगा की पावन लहरों पर इस दिन ट्रैफ‍िक जाम सरीखा नजारा होता है तो पर्यटक गंगा की लहरों पर मां गंगा की अनुपम छवि निहारने के साथ ही असंख्य दीपों से रोशन घाटों को अपने कैमरे में कैद करना नहीं भूलते। अब कोरोना संक्रमण के बीच आस्‍था की नगरी काशी में धार्मिक आयोजन शुरू होते ही लोगों को संजीवनी मिल जाएगी।