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विदेशमंत्रियों की बातचीत के बाद चीन ने रिहा किये भारत के 10 जवान

नयी दिल्ली: चीन ने 15 जून को गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद भारतीय सैनिकों को छोड़ने से मना कर दिया। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बातचीत के बाद चीन का रुख नरम हुआ। गलवान घाटी में झड़प के बाद चीन ने भारतीय सैनिकों को तीन दिनों के लिए बंदी बना लिया था। पीएलए के साथ लगातार तीन दिनों तक चली अथक बातचीत के बाद भारतीय सेना के जवानों की रिहाई संभव हो पाई। चीनी सैनिकों के बर्बर हमले के बाद हिरासत में ले लिए गए इन सैनिकों को गुरुवार अपराह्न रिहा किया गया।
सूत्रों ने कहा कि सैनिकों के साथ दुर्व्यवहार नहीं किया गया था। दोनों देशों के सैनिकों के बीच संघर्ष गलवान नदी के दक्षिणी तट पर हुआ था, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। यह नदी पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है और शायोक नदी में जाकर मिल जाती है। सीमा पर गश्त प्रोटोकॉल के अनुसार, LAC पर संघर्ष के दौरान हिरासत में लिए गए सैनिकों को जल्द से जल्द लौटाए जाने का नियम रहा है। साल 2013 में चुमार पर गतिरोध के बाद एक चीनी अधिकारी जो चट्टान से गिर गया था, उस दौरान भारतीय सेना ने उसकी जान बचाई थी। इसके बाद उसे चीन भेज दिया गया था। घायल चीनी ऑफिसर का रातभर इलाज किया गया गया और अगली सुबह पीएलए को सौंपा गया था।

भारतीय सेना ने गुरुवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में शामिल कोई भी भारतीय सैनिक लापता नहीं है। गुरुवार शाम को चीन ने सभी 10 भारतीय जवानों को रिहा कर दिया। लौटकर आए जवानों में कोई भी चोटिल नहीं है।
सूत्रों ने कहा है कि इलाके से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पर बातचीत अगले सप्ताह जारी रहेगी। बातचीत यह सुनिश्चित करने के लिए होगी कि चीनी पीएलए गलवान घाटी से अपने सभी सैनिकों को वापस बुलाए और सभी मिलिट्री ग्रेड टेंट हटा ले, जिनमें उसके सैनिक रहते हैं।
पीएलए के साथ लगातार तीन दिनों तक चली काफी बातचीत के बाद भारतीय सेना के जवानों की रिहाई हो पाई है। दोनों सेनाओं के बीच मेजर जनरल स्तर की तीन दिन की बातचीत के बाद भी चीन का रुख नरम नहीं था, लेकिन दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बातचीत के बाद हालात संभल सके। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि भारतीय सैनिकों को हिरासत में क्यों लिया गया था। दोनों देशों के सैनिकों के बीच संघर्ष गलवान नदी के दक्षिणी तट पर हुआ था, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। यह नदी पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है और शायोक नदी में जाकर मिल जाती है।