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शिंदे-फडणवीस सरकार के खिलाफ विपक्ष का विरोध मार्च, शरद पवार, उद्धव ठाकरे सहित कई बड़े नेता हुए शामिल

मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे व उनकी पत्नी रश्मि ठाकरे, बेटे व विधायक आदित्य ठाकरे,  महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले, पूर्व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, नसीम खान ‘छत्रपति शिवाजी महाराज’ पर विवादित टिप्पणी को लेकर एकनाथ शिंदे सरकार व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के खिलाफ निकाले गए विरोध मार्च में शामिल हुए.
दरअसल, महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) ने छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान करने के लिए एकनाथ शिंदे सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध मार्च की घोषणा की थी. इसके साथ ही एमवीए द्वारा महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को भी अपने पद से इस्तीफा देने की मांग की जा रही है.

क्या है पूरा मामला?
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने डॉ बाबासाहेब अंबेडकर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को आज के युग का नया आदर्श बताया था. राज्यपाल कोश्यारी ने कहा कि शिवाजी महाराज तो पुराने युग की बात हो गए, नए युग में आपको बाबासाहेब अंबेडकर से लेकर नितिन गडकरी तक आदर्श यहीं मिल जाएंगे. इस बयान ने बड़े पैमाने पर हंगामा खड़ा कर दिया और मराठा संगठनों और विपक्षी नेताओं से समान रूप से निंदा की थी.

इन मुद्दों पर हो रहा विरोध
जुलूस के लिए कांग्रेस समन्वयक आरिफ नसीम खान ने कहा कि आज विरोध के मुख्य बिंदु महान हस्तियों का लगातार अपमान, उनकी हालिया टिप्पणी के लिए राज्यपाल को हटाने, गुजरात में उद्योगों की उड़ान, महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर होगा. उन्होंने कहा कि मार्च करने वाले जनता द्वारा झेली जा रही भारी महंगाई, बढ़ती बेरोजगारी के आंकड़े, युवाओं के लिए नौकरियों की कमी, सत्तारूढ़ गठबंधन के कुछ मंत्रियों द्वारा महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक बयान और अन्य ज्वलंत मुद्दों का मुद्दा भी उठाएंगे.

इस ‘महारैली’ में शरद पवार, पृथ्वीराज चव्हाण, छगन भुजबल, जयंत पाटिल, अरविन्द सावंत, सुप्रिया सुले, संजय राउत, आरिफ नसीम खान, चरणसिंह सप्रा, माणिकराव ठाकरे, भाई जगताप, राजेश टोपे, सुनील तटकरे, अबू आसिम आजमी सहित कई दिग्गज नेता मौजूद रहे.

बिना कुछ बोले रश्मि ठाकरे ने जीता दिल
उद्धव ठाकरे के पीछे मजबूती से खड़ी रहने वाली रश्मि ठाकरे आज ‘महामोर्चा’ में सबका ध्यान खींच रही थीं. रश्मि के हावभाव देखकर एक बार फिर उनके राजनीति में सक्रिय होंने की चर्चा होने लगी. हालांकि, यह पहली बार नहीं है. पहले भी कई बार रश्मि ठाकरे के सक्रिय राजनीति में आने की मांग उठ चुकी है. इस बार उनके इतने बड़े राजनीतिक मंच पर आकर मार्च करने के बाद इसके राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं.
रश्मि ठाकरे ने इस मार्च के दौरान न कोई भाषण दिया न ही कोई मीडिया को बाइट दी. बिना कुछ बोले ही उन्होंने आम आदमी से लेकर कार्यकर्ताओं तक सबका दिल जीत लिया.