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शिवसेना का ‘धनुष-बाण’ किसका? ठाकरे-शिंदे गुट के दावों पर 12 दिसंबर को पहली सुनवाई

मुंबई: शिवसेना के चुनाव चिह्न ‘धनुष-बाण’ विवाद मामले की सुनवाई अगले महीने से चुनाव आयोग में शुरू होगी। निर्वाचन आयोग शिवसेना के दोनों गुटों- उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे खेमें के दावों पर पहली सुनवाई 12 दिसंबर को करेगा। आयोग ने दोनों पक्षों को 9 दिसंबर तक मामले से जुड़े दस्तावेजों को जमा करने की मोहलत भी दी है।
निर्वाचन आयोग शिवसेना के उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले विरोधी गुटों के मामले पर 12 दिसंबर को सुनवाई करेगा। बताया जा रहा है कि शिवसेना के चुनाव चिह्न से संबंधित विवाद ठोस सुनवाई के चरण में पहुंच चुका है। जिसके चलते दोनों गुटों की पहली व्यक्तिगत सुनवाई 12 दिसंबर को निर्धारित की गई है।
चुनाव आयोग द्वारा इस संबंध में मंगलवार को आवश्यक आदेश जारी कर दिए गए है। इसमें आयोग ने दोनों खेमों को निर्देश दिया कि यदि चुनाव चिह्न से जुड़ा कोई अन्य बयान या दस्तावेज देना बाकि है तो वे इसे 9 दिसंबर की शाम 5 बजे तक जमा करा सकते हैं।
बता दें कि इस महीने की शुरुआत में आयोग ने शिवसेना के विरोधी खेमों को 23 नवंबर तक पार्टी के नाम और उसके चिन्ह पर अपने-अपने दावों के समर्थन में नए दस्तावेज जमा कराने को कहा था। साथ ही उसने दोनों धड़ों से आयोग को सौंपे गए दस्तावेज को एक दूसरे से साझा करने के लिए कहा था।

अभी EC का अंतरिम आदेश है लागू
मुंबई के अंधेरी पूर्व विधासनभा के उपचुनाव के मद्देनजर अक्टूबर में आयोग ने एक अंतरिम आदेश में शिवसेना के दोनों गुटों को पार्टी के नाम व उसके चिह्न ‘धनुष और बाण’ का उपयोग करने से रोक दिया था। तब चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे गुट को ‘शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ नाम और मशाल निशान दिया था, वहीं एकनाथ शिंदे गुट को ‘बालासाहेबांची शिवसेना’ नाम और ढाल-तलवार निशान आवंटित किया था।
दरअसल, आयोग ने यह फैसला तब लिया जब शिवसेना के दोनों धड़ों ने पार्टी के नाम और चिन्ह पर अपना-अपना दावा ठोका। जिसके बाद ‘धनुष और बाण’ के निशान को फ्रीज कर दिया गया। आयोग का यह अंतरिम आदेश विवाद के अंतिम निर्णय होने तक लागू रहेगा।

जून में दो हिस्सों में बंटी शिवसेना!
गौरतलब है कि इसी साल जून महीने में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के 55 में से 40 विधायकों और लोकसभा में पार्टी के 18 में से 12 सांसदों के समर्थन का दावा करते हुए ठाकरे नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी। जिसके बाद शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सीएम की कुर्सी से हटना पड़ा था। फिर एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के बागी विधायकों और बीजेपी के समर्थन से महाराष्ट्र में सरकार बनाई और खुद सीएम बन गए।