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सोनिया गांधी चुनी गईं कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष…

नयी दिल्ली, राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद से ही राहुल यह कह रहे थे कि पार्टी का अगला अध्यक्ष नेहरू-गांधी परिवार से नहीं होगा। करीब ढाई महीने तक उनका विकल्प तलाशने की कवायद चली और फिर लौटकर गांधी परिवार पर ही आना पड़ा। इस बार फिर राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई। इससे एक बार फिर यह साबित हुआ कि कांग्रेस में अब गांधी परिवार ही सबको जोड़े रखने में सक्षम है।
सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी अध्यक्ष की जिम्मेदारी के लिए बिलकुल भी तैयार नहीं थीं। इस पर वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें मौजूदा स्थिति में पार्टी को मुश्किलों से बाहर निकालने के लिए पद संभालने का आग्रह किया। कांग्रेस नेताओं ने सोनिया गांधी से कहा कि उनके अलावा किसी भी अन्य नाम पर सर्वसम्मति नहीं बन पा रही है।
वैसे अध्यक्ष पद की रेस में कांग्रेस के कई नेताओं के नाम चल रहे थे, लेकिन आखिर में सोनिया गांधी पर ही सहमति बन सकी। पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी किसी युवा चेहरे को कांग्रेस प्रेजिडेंट बनाने का सुझाव दिया था। हालांक पार्टी के ज्यादातर सीनियर नेता यथास्थिति ही बनाए रखने के पक्ष में दिखे। इसके अलावा नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के बीच संघर्ष की स्थिति पैदा होने की भी आशंका थी।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने फैसले को सही करार देते हुए कहा कि देश मुश्किल वक्त से गुजर रहा है। ऐसी स्थिति में सोनिया गांधी जैसी अनुभवी नेता ही कमान संभाल सकती हैं। भले ही सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन कुछ महीनों में झारखंड, महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली के चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में कांग्रेस के संगठन चुनाव उसके बाद ही होंगे। साफ है कि सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर भी कम से कम एक साल तक पार्टी की कमान संभालेंगी।
बता दें कि सोनिया गांधी इससे पहले 1998 में पार्टी की तब बागडोर संभाली थी, जब एनडी तिवारी, अर्जुन सिंह जैसे तमाम बड़े नेता कांग्रेस से अलग हो गए थे। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने जबरदस्त वापसी की और 2004 से लेकर 2014 तक कांग्रेस की अगुआई में यूपीए की सरकार भी रही। सोनिया गांधी के नाम सबसे ज्यादा समय तक कांग्रेस अध्यक्ष रहने का रेकॉर्ड है। वह 1998 में अध्यक्ष बनीं और 2017 तक वह इस पद पर बनी रहीं। उनके बाद उनके बेटे राहुल गांधी ने पार्टी की बागडोर संभाली लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।