उत्तर प्रदेशदिल्लीब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहरशहर और राज्य …जब 16 साल बाद ‘जिंदा’ हुआ नाना पाटेकर का रसोइया ! 20th June 201920th June 2019 networkmahanagar 🔊 Listen to this संतोष सिंह ने ‘मैं जिंदा हूं’ की लड़ाई लड़नी शुरू की जानें- क्या है पूरा मामला मुंबई / वाराणसी, बॉलीवुड सुपरस्टार नाना पाटेकर का रसोइया (Cook) बुधवार को यानी 19 मई 2019 को जिंदा हो गया। है ना हैरान करने वाली बात ! दरअसल नाना पाटेकर के रसोइए संतोष मूरत सिंह को 16 साल पहले सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया गया था। जिसके बाद से संतोष ने ‘मैं जिंदा हूं’ की लड़ाई लड़नी शुरू की। संतोष वाराणसी के चौबेपुर के छितौनी गांव के रहने वाले हैं।वर्ष 2000 में फिल्म ‘आंच’ की शूटिंग के लिए अभिनेता नाना पाटेकर वाराणसी आए थे। चौबेपुर में नाना पाटेकर की मुलाकात कई एकड़ जमीन के मालिक संतोष से हुई और नाना संतोष को लेकर मुंबई चले गए। संतोष नाना पाटेकर के घर रसोइए का काम करने लगे। इसी दौरान मुंबई में ही वर्ष 2003 में संतोष ने एक दलित युवती से शादी कर ली। इस शादी को लेकर पट्टीदारों ने उनका विरोध किया और बाद में उनके मुंबई वापस होने पर ट्रेन विस्फोट में उनकी मौत की अफवाह फैलाकर जमीन अपने नाम करवा ली। अपनी तेरहवीं की सूचना पर गांव पहुंचे संतोष को जमीन से बेदखल कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने अपने गले में ‘मैं जिंदा हूं’ की तख्ती टांग ली और लोकतांत्रिक तरीके से विरोध शुरू किया। वाराणसी के जिला मुख्यालय से लेकर दिल्ली के जंतर मंतर तक प्रदर्शन किया और तिहाड़ जेल में भी रहे। यही नहीं खुद को जिंदा साबित करने के लिए संतोष ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए भी नामांकन किया। हर अधिकारी के सामने गुहार लगाई, मगर 16 साल तक उनकी सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद संतोष मूरत सिंह उर्फ मैं जिंदा हूं ने राइफल क्लब में जनसुनवाई के दौरान कुछ लोगों पर सरकारी दस्तावेज से उसका नाम हटवाकर अवैध कब्जा करने की शिकायत की। डीएम ने उसके कागजात की जांच के बाद नगर मजिस्ट्रेट, एडीएम सदर, कानूनगो को लेकर बुधवार को मौके पर पहुंचे और उसकी जमीन की नापी कराई। प्रशासन ने सरकारी दस्तावेज में उनका नाम दर्ज कर घर, खेत सहित अन्य में उनके हिस्से की जमीन पर कब्जा दिलाया। जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने बताया कि खतौनी के हिसाब से संतोष मूरत का जमीन पर 16वां हिस्सा था। मगर, सरकारी दस्तावेजों को नजरअंदाज कर उस जमीन को चार बार बेचा गया है। डर के चलते वह गांव नहीं आता था। जांच में उसका मालिकाना हक पाया गया है और उसे कब्जा दिलाया गया है। कब्जा करने वालों पर भूमाफिया की कार्रवाई होगी। साथ ही कानूनगो को निर्देशित किया गया है कि संतोष की जमीन की नापी करा के उसे सौंप दें। वहीं, संतोष का कहना है कि उसे लोकतंत्र पर पूरा भरोसा था कि उसे न्याय जरूर मिलेगा। संतोष ने कहा कि मैं डीएम सुरेंद्र सिंह का आभारी हूं जिन्होंने मेरी ‘मैं जिंदा हूं’ की लड़ाई को मुकाम तक पहुंचाया। Post Views: 132