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कोरोना संकट: बीजेपी का दामन छोड़कर CM बने उद्धव की कुर्सी पर सियासी संकट?

मुंबई: राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के सामने बड़ा राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है। इस संकट के चलते उनकी सीएम की कुर्सी पर भी संकट मंडराने लगा है। महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने सोमवार विधानपरिषद की खाली एक सीट पर उद्धव को एमएलसी मनोनीत करने राज्यपाल के लिए भगत सिंह कोश्यारी से दोबारा सिफारिश की है। ठाकरे अब तक किसी भी सदन के सदस्य नहीं बन सके हैं। महाराष्ट्र कैबिनेट ने कोरोना संक्रमण से उत्पन्न मौजूदा स्थिति का हवाला देते हुए जल्द मनोनीत करने की राज्यपाल को दोबारा सिफारिश भेजी है। देखना है कि राज्यपाल इस पर क्या निर्णय लेते हैं।
उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर को एनसीपी और कांग्रेस से हाथ मिलाकर प्रदेश में महाविकास अघाड़ी की सरकार बनाई थी। इस लिहाज से मुख्यमंत्री कुर्सी पर बने रहने के लिए उद्धव ठाकरे को 28 मई तक प्रदेश के किसी भी सदन की सदस्यता हासिल करनी होगी।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164(4) के तहत किसी भी सदन से जुड़े ना होने के बावजूद भी कोई भी शख्स 6 महीने तक मंत्रिमंडल में मंत्री या मुख्यमंत्री पद पर बने रह सकता है। और अब इन बदले राजनीति माहौल में ठाकरे को 28 मई तक किसी भी एक सदन का सदस्य बनने की संवैधानिक बाध्यता है अन्यथा उन्हें मुख्यमंत्री कुर्सी छोड़नी पड़ेगी।

कोरोना संकट: मार्च में 9 विधानपरिषद सीटों पर होना था चुनाव
दरअसल, महाराष्ट्र में बीते 26 मार्च को प्रदेश में 9 विधानपरिषद सीटों पर चुनाव होना था लेकिन सूबे में कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे की वजह से चुनाव अनिश्चितकाल के लिए टाल दिए गए। महाराष्ट्र कैबिनेट ने 9 अप्रैल को भी गवर्नर को उद्धव ठाकरे को एमएलसी मनोनीत करने की सिफारिशी चिठ्ठी राजभवन को भेजी थी।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 171 के तहत राज्यपाल को कुछ निश्चित संख्या में विधान परिषद में सदस्यों को मनोनीत करने का संवैधानिक अधिकार हासिल है। मनोनीत एमएलसी के लिए कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा पृष्ठभूमि वाला होना जरूरी है, तब जाकर अपने विवेक से राज्यपाल सदस्यों को मनोनीत करते हैं।

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के साथ मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो)

राज्यपाल ने अब तक नहीं लिया कोई फैसला!
एनसीपी के विधायकों के इस्तीफे की वजह से दो सीटें खाली हुई थीं जो पिछले साल के विधानसभा चुनावों से ऐन पहले बीजेपी में शामिल हो गए थे। उद्धव को विधान परिषद का सदस्य मनोनीत करने को लेकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अब तक कोई फैसला नहीं लिया है और इन दोनों नामांकित एमएलसी के कार्यकाल 6 जून को समाप्त हो रहे हैं। राजभवन की खामोशी को लेकर मुख्यमंत्री ठाकरे अगुवाई वाले गठबंधन महाविकास आघाडी की चिंता बढ़ती ही जा रही है।

उद्धव ने किया पीएम मोदी को फोन
ऐसे में मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पीएम नरेंद्र मोदी को फोन कर महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट पर हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया। पीएम मोदी ने उन्हें जल्द से जल्द मामले को हल कराने का आश्वासन दिया है।
सूत्रों ने बताया कि बुधवार को उद्धव ठाकरे ने पीएम नरेंद्र मोदी को फोन किया। उन्होंने पीएम मोदी को महाराष्ट्र के सियासी संकट से अवगत कराते हुए कहा कि राज्य में कोरोना संकट चरम पर है। इसी बीच राज्य में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की जा रही है। महाराष्ट्र जैसे इतने बड़े राज्य में राजनीतिक अस्थिरता सही नहीं है, इससे आम जनता में गलत संदेश जाएगा। ठाकरे ने पीएम मोदी से इस विषय पर गौर करने का आग्रह किया है। बताया जा रहा है कि उद्धव की बातें सुनकर पीएम मोदी ने उन्हें मामले को जल्द देखने की बात कही है। बता दें कि उद्धव ठाकरे को 28 मई से पहले संविधान के अनुसार किसी सदन का सदस्य बनना जरूरी है।