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अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़े मुद्दों और मामले की जांच की रिपोर्टिंग करने से रोकने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक गैर सरकारी संगठन द्वारा दायर याचिका पर मंगलवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है, जिसमें अनुरोध किया गया है कि मीडिया को अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़े मुद्दों और मामले की जांच की रिपोर्टिंग करने से रोका जाए। सुशांत केस में हाईकोर्ट में दायर यह तीसरी याचिका है।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता के नेतृत्व वाली एक पीठ पहले से ही दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इसमें फिल्म निर्माता नीलेश नवलखा, आठ पूर्व आईपीएस अधिकारियों व एक गैर सरकारी संस्था ने जनहित याचिका दायर की है। अदालत ने अब इन तीनों याचिकाओं पर संयुक्त सुनवाई आठ अक्टूबर को निर्धारित की है।
‘इन परस्यूट ऑफ जस्टिस’ नामक एनजीओ ने याचिका में मांग की है कि अदालत की अवमानना के कानून के दायरे को बढ़ाया जाए और उसमें न्याय प्राशासन को प्रभावित करने के कृत्य को भी समाहित किया जाए। प्रेस व न्याय प्रशासन के बीच संतुलन निर्धारित किया जाए। याचिका में दावा किया गया है कि मीडिया में सुशांत के निजी चैट और आरोपी व अस्पतालकर्मियों के बयान तक को दिखाया जा रहा है। यह ठीक नहीं है। इसका मामले से जुड़ी जांच पर विपरीत असर पड़ सकता है। ऐसी रिपोर्टिंग ने पक्षकारों के अधिकारों का अतिक्रमण किया है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि मीडिया में आरोपी को हत्यारा, जल्लाद जैसे शब्दों के आलावा काफी कुछ कहा जा रहा है। जबकि आठ पूर्व आईपीएस अधिकारियों ने अपनी याचिका में कहा है कि इस प्रकरण को लेकर मीडिया मुंबई पुलिस के खिलाफ अभियान चला रहा है। एक तरह से पुलिस की छवि धूमिल की जा रही है। इस पर रोक लगाई जानी चाहिए। मंगलवार को सभी याचिकाओ पर मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ के सामने सुनवाई हुई। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई 8 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी।