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करवा चौथ 2018 : इस बार 11 साल बाद बनेगा बेहद शुभ राजयोग

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ मनाया जाता है। इस बार यह शनिवार 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन मनाए जाने वाले त्योहार में महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। हालांकि, अब कई पति भी अपनी पत्नी के लिए व्रत रखते हैं। महिलाएं अपना व्रत छलनी से चांद देखकर तोड़ती हैं। इसके बाद छलनी से ही अपने पति का चेहरा भी देखती हैं। छलनी से अपने पति का चेहरा देखने के पीछे एक कथा हैं।
जानिए क्या है वह कथा :
एक स्त्री थी, जिसका नाम वीरवती था। बताया जाता है कि वीरवती ने विवाह के पहले वर्ष करवा चौथ का व्रत रखा। दिन भर कुछ न खाने व पीने की वजह से उसकी तबीयत खराब होने लगी। उसकी यह हालत उसके भाई देख रहे थे। उन्होंने फौरन एक पेड़ के पीछे जलता दिया रख दिया। इसके बाद वीरवती से कहने लगे कि चंद्रमा निकल आया है। वीरवती ने जलता दिया देखकर अपना व्रत तोड़ दिया। मान्यता है कि इसके कुछ दिनों बाद पति की मौत हो गई। वीरवती को पूरी कहानी पता चली तो उसने फिर से व्रत रखा और छलनी से चंद्रमा की पूजा की। इसके बाद उसका पति वापस जीवित हो गया।
करवा चौथ में छलनी से पति को देखने के पीछे मनौवैज्ञानिक वजह भी है। माना जाता है कि जब पत्नी अपने पति को छलनी से देखती है तो सभी विचार और भावनाएं छनकर शुद्ध हो जाती हैं।

करवा चौथ के दिन सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व :
कहा जाता है कि इस दिन महिलाओं को सोलह श्रृंगार करके ही पूजा में शामिल होना चाहिए। इनमें मेंहदी, चूड़िया, मांग टीका के अलावा और भी चीजों को सोलह श्रृंगार में शामिल किया है। आइए आपको बताते हैं सोलह श्रृंगार में किन-किन श्रृंगार को शामिल किया गया है।

सिंदूर: माथे पर सिंदूर पति की लंबी उम्र की निशानी माना जाता है।

मंगलसूत्र: ये भी सुहागन होने का सूचक है।

मांग टीका: मांग टीका वैसे तो आभूषण है लेकिन इसे भी सोलह में शामिल किया गया है।

बिंदिया: माथे पर लगी बिंदिया भी सुहागन के सोलह श्रृंगार में शामिल है।

काजल: काजल काली नजरों से बचाने के लिए लगाया जाता है।

नथनी: नाक में पहनी जाने वाली नथनी भी सोलह श्रृंगार में शामिल है।

कर्णफूल : ईयर रिंग भी सोलह श्रृंगार में गिने जाते हैं।

मेंहदी : करवा चौथ पर हाथों में मेहंदी जरूर लगानी चाहिए।

कंगन या चूड़ी: हाथों में लाल और हरी चूड़ियां भी सोलह श्रृंगार में शामिल हैं।

लाल रंग के वस्त्र भी 16वां सबसे महत्वपूर्ण श्रृंगार में गिने जाते हैं।

बिछिया : दोनों पांवों की बीच की तीन उंगलियो में सुहागन स्त्रियां बिछिया पहनती हैं।

पायल : घर की लक्ष्मी के लिए पायल को बेहद शुभ माना जाता है.

कमरबंद या तगड़ी : सुहागन के सोलह श्रृंगार में शामिल है।

अंगूठी : अंगूठी को भी सुहाग के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

बाजूबंद : बाजूबंद वैसे तो आभूषण है लेकिन इसे भी सोलह में शामिल किया गया है।

गजरा : फूलों का महकता गजरा भी सोलह श्रृंगार में शामिल है।