दिल्लीब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहरराजनीतिशहर और राज्य

कांग्रेस के समर्थन में आई एमवीए, ममता बनर्जी पर साधा निशाना

कांग्रेस के बिना विपक्षी एकता संभव नहीं, सब एकजुट हों…

नागपुर: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के मुख्य प्रवक्ता व महाराष्ट्र सरकार के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक ने कहा है कि कांग्रेस के बिना कोई संयुक्त विपक्ष नहीं हो सकता, लेकिन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) के बाहर की पार्टियों को भी ऐसे गठबंधन का हिस्सा होना चाहिए. कांग्रेस और विपक्ष को लेकर ये सवाल और चर्चा इसलिए भी गर्म है क्योंकि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने ‘यूपीए’ के अस्तित्व को मानने से इनकार कर दिया था.
मुंबई में अपने तीन दिवसीय दौरे के दौरान तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष व सीएम ममता बनर्जी ने कहा था कि ‘अब कोई संप्रग नहीं है’. ममता बनर्जी ने इसके अलावा कांग्रेस नेतृत्व पर भी सवाल खड़ा किया था.
नवाब मलिक ने यहां एयरपोर्ट पर संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने यह साफ कर दिया है कि कांग्रेस के बिना विपक्षी एकता नहीं हो सकती. मंत्री ने कहा कि इसके साथ ही विपक्ष के लगभग 150 लोकसभा सदस्य हैं, जो संप्रग के सदस्य नहीं हैं. उन्होंने कहा, हमें विपक्ष को साथ लाना है. शरद पवार इस पर काम करने के लिए तैयार हैं.

बीजेपी के खिलाफ विपक्षी गठबंधन का कौन नेतृत्व करेगा इस सवाल पर नवाब मलिक ने कहा कि शरद पवार ने साफ-साफ कहा था कि सामूहिक नेतृत्व होगा. बता दें कि प्रशांत किशोर भी कांग्रेस के नेतृत्व पर सवाल उठा चुके हैं.

वहीँ शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि अगर UPA नही है, तो NDA कहा है? आज भाजपा को सत्ता से बेदखल करना है तो सारे विपक्ष को एकसाथ मिलकर मजबूत होकर और आक्रमक होना चाहिये. शिवसेना ने शनिवार को कहा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी को राष्ट्रीय राजनीति से अलग रखकर और इसके बगैर संप्रग के समानांतर विपक्षी गठबंधन बनाना सत्तारूढ़ भाजपा और ‘फासीवादी’ ताकतों को मजबूत करने के समान है.
शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में कहा कि जो लोग कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार नहीं चाहते हैं उन्हें अपना रूख सार्वजनिक करना चाहिए, न कि पीठ पीछे बातें करके भ्रम पैदा करना चाहिए. इसने कहा कि जो लोग भाजपा से लड़ रहे हैं, अगर उनका भी मानना है कि कांग्रेस का अस्तित्व खत्म हो जाना चाहिए तो यह रुख ‘सबसे बड़ा खतरा’ है. इसने कहा कि अगर विपक्षी दलों में एकता नहीं होगी तो भाजपा का राजनीतिक विकल्प बनाने की बात बंद कर देनी चाहिए.

शिवसेना ने कहा, ममता के मुंबई दौरे के बाद विपक्षी दल हरकत में आ गए हैं. भाजपा का मजबूत विकल्प बनाने पर सहमति बनी है, लेकिन इस पर चर्चा हो रही है कि किसे गठबंधन में साथ लिया जाए और किसे इससे दूर रखा जाए. लेकिन अगर सहमति नहीं है, तो किसी को भी भाजपा से मुकाबला करने की बात नहीं करनी चाहिए. नेतृत्व मुख्य मुद्दा नहीं है, लेकिन कम से कम साथ आने पर निर्णय किया जाना चाहिए.
शिवसेना ने कहा, अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा कांग्रेस को हराने के लिए काम करते हैं तो कोई भी इसे समझ सकता है, क्योंकि यह उनके एजेंडा का हिस्सा है. लेकिन जो लोग मोदी और भाजपा के खिलाफ हैं और कांग्रेस के बारे में बुरा सोचते हैं तो यह सबसे बड़ा खतरा है.