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केंद्र के कृषि कानूनों के जवाब में महाराष्ट्र सरकार ने विधानसभा में पेश किए 3 बिल, जानें- क्या है प्रावधान

मुंबई: महाराष्ट्र की शिवसेना नीत महाविकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार ने केंद्र द्वारा लागू किये गये तीन नए कृषि कानूनों के जवाब में मंगलवार को कृषि, सहकारिता, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति से संबंधित तीन संशोधन विधेयक सदन में पेश किए। उल्लेखनीय है कि केंद्र के कृषि कानूनों का किसानों का एक वर्ग कड़ा विरोध कर रहा है। इन विधेयकों में व्यापारियों के साथ कृषि अनुबंध में उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दर से अधिक कीमत देने, देय राशि का समय पर भुगतान, किसानों का उत्पीड़न करने पर तीन साल की जेल या पांच लाख रूपये जुर्माना या दोनों आदि का प्रावधान हैं। इसमें उत्पादन, आपूर्ति, वितरण और आवश्यक वस्तुओं के भंडार की सीमा तय करने आदि के नियमन एवं रोक की शक्ति राज्य सरकार के पास होने की बात है। राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट ने कहा कि केंद्र के कृषि कानून बिना चर्चा के पारित किए गए और उनके अनेक प्रावधान राज्य सरकारों के अधिकारों में हस्तक्षेप करते हैं।
उन्होंने कहा, राज्य सरकार को कानून बनाने का अधिकार है और हम केंद्र के कृषि कानूनों में संशोधन का सुझाव देना चाहते हैं, जो हमारे मुताबिक किसान विरोधी हैं। जिन विधेयकों का मसौदा जनता के सुझाव और आपत्तियों के लिहाज से दो महीने के लिए सार्वजनिक किया गया है, उनमें आवश्यक उत्पाद (संशोधन), किसान (सशक्तीकरण एवं संरक्षण), कीमत गारंटी विधेयक, कृषि संबंधी समझौते (महाराष्ट्र संशोधन) विधेयक और केंद्र सरकार के किसान उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य में संशोधन (बढ़ावा एवं सुविधा) विधेयक शामिल हैं।
हालांकि, विपक्षी भाजपा ने प्रस्तावित संशोधनों को ‘मामूली’ करार दिया और कहा कि पिछले साल सितंबर में संसद द्वारा पारित कानूनों में इन संशोधनों को शामिल किया जा चुका है। मसौदा विधेयक उप मुख्यमंत्री अजित पवार की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की उप समिति ने तैयार किए हैं। पवार ने कहा कि मसौदा विधेयक दो महीने के लिए सभी पक्षकारों के विचार विमर्श और चर्चा के लिए रखे जाएंगे। उन्होंने कहा कि नागपुर में आयोजित होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विधेयकों को चर्चा और पारित करने के लिए लिया जाएगा। राज्य के कृषि मंत्री दादा भुसे ने कहा कि अगर कृषि उपज के दाम एमएसपी से अधिक नहीं होंगे तो व्यापारियों और किसानों के बीच हुए कृषि समझौते अवैध माने जाएंगे।
उन्होंने कहा कि अगर किसान को उसकी उपज बिकने के सात दिन के अंदर भुगतान नहीं किया जाता तो व्यापारी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जा सकता है और सजा बतौर तीन साल की कैद और पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। सहकारिता मंत्री बालासाहेब पाटिल ने कहा कि केंद्रीय कानूनों के तहत कृषि उत्पाद की बिक्री के बाद किसान को भुगतान नहीं होने की स्थिति में व्यापारियों पर नियंत्रण का कोई प्रावधान नहीं है। पाटिल ने कहा कि किसानों को समय पर भुगतान हो और उनके हितों की रक्षा हो, इसके लिए राज्य सरकार ने महाराष्ट्र के लिहाज से केंद्र के कृषक उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन तथा सरलीकरण) अधिनियम में संशोधन करने का फैसला किया। प्रस्तावित विधेयक में प्रस्ताव है कि कोई व्यापारी तब तक किसी भी उपज का कारोबार नहीं करेगा, जब तक उसके पास सक्षम प्राधिकार से मिला वैध लाइसेंस नहीं हो। उन्होंने कहा कि अगर किसान तथा व्यापारी के बीच लेनदेन में कोई विवाद पैदा होता है तो संबंधित पक्ष सक्षम प्राधिकार में अर्जी दाखिल कर समाधान की मांग कर सकते हैं। वे सक्षम प्राधिकार के आदेश के खिलाफ अपीलीय प्राधिकार में अपील दाखिल कर सकते हैं।
मंत्री ने कहा कि किसानों के उत्पीड़न पर कम से कम तीन साल कैद की सजा और कम से कम पांच लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों सुनाये जा सकते हैं। खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि केंद्र द्वारा संशोधित किये गये आवश्यक वस्तु अधिनियम,1955 में राज्य सरकार के लिए नियमन का अधिकार होने का कोई प्रावधान नहीं है।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राज्य के विधेयकों में मामूली संशोधन हैं जो केंद्र सरकार पहले ही अपने कृषि संबंधी तीन विधेयकों में शामिल कर चुकी है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि केंद्र सरकार बार-बार कह रही है कि नये कृषि कानूनों को वापस लेने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि वह उनमें संशोधन के लिए तैयार है। भाजपा नेता ने कहा, राज्य सरकारों ने जो संशोधन सुझाये हैं, उन्हें केंद्र पहले ही स्वीकार कर चुका है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि तीन केंद्रीय कृषि कानूनों में से दो पहले ही महाराष्ट्र में लागू हैं। एमएसपी के मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि केंद्र द्वारा किसी कृषि उपज की तय एमएसपी से कम राशि पर कोई व्यापार नहीं होगा। भाजपा नेता ने कहा, राज्य सरकार ने इस खंड को शामिल किया और यह भी कहा कि किसान और व्यापारी आपसी सहमति से न्यूनतम दो साल की अवधि के लिए एमएसपी से कम कीमत पर समझौता कर सकते हैं।