चुनावी हलचलदिल्लीब्रेकिंग न्यूज़राजनीतिशहर और राज्य

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने दिया इस्तीफा!

अहमदाबाद: गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले सियासत में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। आज मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। सीएम का अचानक इस्तीफा देना इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि गुजरात में भी अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में रूपाणी का अचानक इस्तीफा देना सभी को चौंका रहा है। गुजरात तीसरा राज्य है जहां बीजेपी की सरकार है और सीएम ने इस्तीफा दिया है। इससे पहले उत्तराखंड और कर्नाटक के सीएम बदले जा चुके हैं।
इस्तीफा देने के बाद रूपाणी ने सबसे पहले पीएम नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया कि उन्होंने उन्हें नेतृत्व का मौका दिया। रूपाणी ने कहा कि अब गुजरात का विकास नए नेतृत्व के हाथों में होगा अब वो नई भूमिका में पार्टी को अपनी सेवाएं देंगे।

दो बार ली शपथ!
विजय रूपाणी दो बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। रूपाणी 2016 में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने 7 अगस्त को सीएम पद की शपथ ली। इसके बाद गुजरात में अगले विधानसभा चुनाव 2017 में हुए। बीजेपी ने एक बार फिर पूर्ण बहुमत से सत्ता में वापसी की। रूपाणी विधायक दल के नेता चुने गए और फिर मंत्री बने। 26 दिसंबर 2017 को उन्होंने दोबारा पद की शपथ ली।

क्या अमित शाह हैं सूत्रधार?
गुजरात में अचानक शुरू हुए इस पॉलीटिकल ड्रामे के पीछे क्या अमित शाह हैं। ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि सूत्रों के हवाले से ये खबर आ रही है कि वो पिछले दिनों गुजरात में थे। जहां उन्होंने बैठक भी ली। इस बैठक के चंद दिनों बाद ही रूपाणी ने इस्तीफा दे दिया। हालांकि, इस बात की पुष्टि रूपाणी या पार्टी के स्तर से नहीं हुई है।

कौन होगा अगला मुख्यमंत्री?
विजय रूपाणी के इस्तीफे के बाद ये सवाल उठने लगे हैं कि अब गुजरात की कमान किसके हाथ में होंगी। इसके लिए चार नाम सामने आ रहे हैं। जिसमें मनसुख मंडाविया, पुरूषोत्तम रूपाला, नितिन पटेल और सीआर पाटिल के नाम शामिल हैं।

आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी
रूपाणी का इस्तीफा होते ही गुजरात में सियासी भूचाल आ गया है। इस बीच कांग्रेस ने भी बीजेपी के इस फैसले पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बदला ही इसीलिए जाता है कि अगर मौजूदा मुख्यमंत्री या सरकार के प्रति जनता में कोई नाराजगी है तो इससे दूर की जा सकती है। यह कुछ-कुछ वैसे ही कि चुनाव में मौजूदा विधायक या सांसद का टिकट काट दिया जाए ताकि उस उम्मीदवार को लेकर वोटरों की नाराजगी या असंतोष को दूर किया जा सके। लेकिन इसमें गुटबाजी का खतरा भी बना रहता है जिससे कभी-कभी लेने के देने पड़ जाते हैं। गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य है ही, साथ में बीजेपी का सबसे मजबूत गढ़ भी। यहां 1995 से ही यानी लगातार 26 सालों से वह सत्ता में है। ऐसे में बीजेपी हर हाल में गुजरात की सत्ता बरकरार रखना चाहती है। इसलिए सूबे में सीएम बदलने के आजमाएं हुए दांव पर एक बार फिर खेल रही है।