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‘जय बजरंग मित्र मंडल’ ने हर्षोल्लास के साथ मनाया कृष्ण जन्माष्टमी

कथा वाचक श्री श्री आनंदेश्वर महाराज ने किया श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन…

मुंबई: ‘जय बजरंग मित्र मंडल’ द्वारा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। मंडल के अध्यक्ष राजूभाई सरोज ने बताया कि गुरुवार 7 सितंबर को मानखुर्द के अम्मा चौक स्थित हनुमान मंदिर पर हर साल की तरह इस वर्ष भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भव्यता के साथ मनाया गया।

भगवान को जो भाव से थोड़ा देता है, उसे भगवान संपूर्ण एश्वर्य प्रदान कर देते हैं
कथा वाचक श्री श्री आनंदेश्वर महाराज ने बड़े ही सुन्दर और रोचक तरीके से श्रीकृष्ण के लीलाओं का वर्णन किया। भगवान श्रीकृष्ण की मथुरा लीला के प्रसंग को सुनाते हुए उन्होंने बताया कि भगवान के मथुरा आने पर भगवान द्वारा धोबी के अभिमान को चूर करना तथा दर्जी एवं सुदामा माली से स्वागत प्राप्त कर उन्हें धन्य करना एवं कुब्जा द्वारा चन्दन प्राप्त कर उसे सर्वांग सुन्दरी बनाने के प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान को जो भाव से थोड़ा देता है उसे भगवान संपूर्ण एश्वर्य प्रदान कर देते हैं।

कंस द्वारा भगवान श्रीकृष्ण एवं बलराम को मारने की योजना को विफल करते हुए भगवान ने कुवलियापीड़ हाथी को खेल ही खेल में मारकर युद्धभूमि में प्रवेश किया। कंस के सैनिक चाणुर एवं मुष्ठिक को मारकर पापी कंस को उसके किए हुए एक-एक पाप को याद कराकर उसका अन्त किया। जब किसी पापी के पाप अत्यधिक बढ़ जाते हैं तो भगवान उन्ही पापों को माध्यम बनाकर अपनी लीला से ही उस पापी का अन्त कर देते हैं, जिससे संपूर्ण मथुरा नगरी में हर्ष का वातावरण छा गया।

महाराज ने कहा कि मनुष्य जीवन विषय वस्तुओं को भोगने के लिए नहीं बना है, लेकिन आज का मानव भगवान की भक्ति छोड़कर विषय वस्तुओं को भोगने मेें व्यस्त है। उन्होंने कहा कि जीवन में सदैव दूसरे की भलाई के काम करते रहना चाहिए, व्यक्ति को सपने में भी किसी का अहित नहीं करना चाहिए। यह मानव शरीर जगत कल्याण के लिए मिला है। इस शरीर से ज्यादा से ज्यादा मानव कल्याण के कार्य करें। समाज, राष्ट्र कल्याण के मार्ग पर दूसरों का अहित करने वाले को भगवान कभी क्षमा नहीं करते हैं, इसलिए अपने जीवन में सदैव दूसरों के हित का कार्य करें। जब-जब धरती पर धर्म नष्ट होकर अधर्म बढ़ता है तब-तब भगवान इस धरती पर जन्म लेकर भक्तों का उद्धार करते है। जाने-अनजाने में किये हुए पापों से कथा का श्रवण करने वालों का सदैव कल्याण होता है और मुक्ति मिलती है।

मंदिर में भक्तों ने हनुमान जी व श्रीकृष्ण के दर्शन कर पूजन-अर्चना की। रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन मनाया गया। मंदिर प्रांगण में मौजूद सैकड़ों भक्त, भक्ति संगीत पर एक साथ नृत्य करते, गाते-झूमते हुए नजर आए। पूरा मंदिर परिसर जय श्री कृष्ण, राधे-राधे के जयकारे से गूंज उठा। जन्मोत्सव के बाद भक्तगणों ने महाआरती एवं प्रसाद का लाभ लिया।

कार्यक्रम को सफल बनाने में अखिल भारतीय प्रेस क्लब के राष्ट्रीय संरक्षक राजूभाई सरोज, मंदिर सेवक सुजल राजूभाई सरोज, अमन गुप्ता, राजन राजेश सरोज, प्रेम राम, सूरज सरदार सरोज, कृष्णा बृजेश सरोज, रविशंकर गुप्ता, मंदिर पुजारी अरुण द्विवेदी, हरेंद्र जैसवार, राकेश शुक्ला, गुरुदिन यादव, लक्की, सत्यम गुप्ता, मुकेश कुमार, कार्तिक, अविनाश, पृथ्वी, कार्तिक रावत, सिद्धार्थ आदि ने अपना योगदान दिया।