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नागपुर में RSS की दशहरा रैली: मोहन भागवत बोले- कुछ लोग नहीं देखना चाहते ‘देश की तरक्की’ भारत में रहकर करते हैं भारत का ही विरोध!

नागपुर, (राजेश जायसवाल): राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुख्यालय वाले शहर नागपुर में मंगलवार को विजयदशमी के मौके पर दशहरा रैली का आयोजन किया। इस दौरान संघ के सदस्यों ने नागपुर में ‘पथ संचलन’ (रूट मार्च) भी किया। इसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल रहे। इस दौरान सभा को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पश्चिमी सोच रखने वाले लोगों पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि इस समाज में कुछ लोग हैं जो स्वयं को बहुत जाग्रत लोग कहते हैं। लेकिन उनका दुनिया की किसी भी व्यवस्था, धर्म, संस्कृति में विश्वास नहीं है। हर स्थान पर वे आधुनिकता के नाम पर परंपरागत मान्य व्यवस्थाओं को ध्वस्त करने का प्रयास करते रहते हैं।

समाज में भेदभाव और अलगाव पैदा करने का हो रहा प्रयास
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आगे कहा कि खुद को ‘सांस्कृतिक मार्क्सवादी’ कहने वाले ये लोग नहीं चाहते कि भारत अपने दम पर खड़ा हो। ये लोग समाज में भेदभाव और अलगाव पैदा करने का प्रयास करते हैं। वे 1920 के दशक से मार्क्स को भूल गए हैं। उन्होंने कहा कि ये लोग हर उस व्यक्ति का विरोध करते हैं, जो निस्वार्थ बुद्धि से काम कर रहे हैं चाहे वे संघी हों या कम्युनिस्ट।

नागपुर के रेशिमबाग मैदान में आरएसएस के परंपरागत वार्षिक विजयादशमी समारोह को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने यह भी कहा कि आज के हालातों में अगर हम अपने मूल्यों पर खड़े होकर बदलाव लाते हैं, तो इससे दुनिया को रास्ता मिलेगा। अब हमने ऐसा करना शुरू कर दिया है, लेकिन दुनिया में और भारत में भी कुछ लोग हैं, जो नहीं चाहते कि भारत अपने दम पर खड़ा रहे। इसलिए वे समाज में भेदभाव पैदा करने की कोशिश करते हैं। वे हमेशा इस कोशिश में रहते हैं कि समाज की निर्मित सामूहिकता को कैसे तोड़ा जाए।

शिक्षा और मीडिया पर कब्जा करना चाहते हैं
अपने संबोधन में ऐसे लोगों की कार्य प्रणाली का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ये अपनी कुत्सित मानसिकता को पूरा करने के लिए मीडिया और शिक्षा जगत पर नियंत्रण करना चाहते हैं। साथ ही शिक्षा, संस्कृति, राजनीति और सामाजिक वातावरण को अराजक और भ्रष्टाचारी बनाना चाहते है। ऐसा वातावरण भय, भ्रम और घृणा के दुष्चक्र के निर्माण को सक्षम बनाता है। ऐसा समाज जो आपसी झगड़ों और उलझनों में बंटा और उलझा हुआ हो वह कमजोर हो जाता है। यह आसानी से और अनजाने में उन विनाशकारी शक्तियों का शिकार बन जाता है जो हर जगह अपना प्रभुत्व तलाश रही हैं।

देश के लिए गौरवपूर्ण क्षण
भागवत ने कहा कि देश ने जी-20 का सफल आयोजन किया। इससे भारतीय परंपरा-संस्कृति और आतिथ्य का पूरी दुनिया में प्रचार हुआ। इससे देश का मान बढ़ा है। उन्होंने खेलों में भारत के शानदार प्रदर्शन के लिए सबको बधाई दी और कहा कि यह क्रम अब रुकना नहीं चाहिए। देश को हर दिशा में आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।

राम मंदिर को भी किया याद
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन होना है। इस दिन पूरे देश के हर मंदिर में पूजा-पाठ का कार्यक्रम होना चाहिए। इससे पूरे देश के निवासी राम मंदिर से अपना जुड़ाव महसूस कर सकेंगे और इसके माध्यम से मंदिर के उद्घाटन में अप्रत्यक्ष तरीके से शामिल हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि राम मंदिर का उद्घाटन भारतीय इतिहास में बड़ी घटना है जिसे हमेशा याद रखा जाएगा।

देश की उपलब्धियों का दिया हवाला
संघ प्रमुख ने जी-20 शिखर सम्मेलन का उदाहरण देते हुए कहा कि हर साल कई चीजें होती हैं जो हमें गौरवान्वित करती हैं। भागवत ने कहा कि हमारे नेतृत्व के कारण, आज दुनिया में हमारा एक अद्वितीय स्थान है। भारत की विशिष्ट सोच और दृष्टि के कारण ही हमारा ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का मार्गदर्शक सिद्धांत अब पूरे विश्व के दर्शन में समाहित हो गया है।

भागवत ने कहा कि भारत ने G-20 के अध्यक्ष के रूप में मेजबान की भूमिका निभाई। लोगों द्वारा दिए गए गर्मजोशी भरे आतिथ्य के अनुभव, भारत के गौरवशाली अतीत, चल रही रोमांचक विकास यात्रा ने सभी देशों के प्रतिभागियों को बहुत प्रभावित किया। G-20 भारतीयों के आत्मीय आतिथ्य का अनुभव, भारत का गौरवशाली अतीत तथा वर्तमान की उमंगभरी उड़ान सभी देशों के सहभागियों को प्रभावित कर गई।
चंद्रयान मिशन ने पुनर्जीवित भारत की ताकत, बुद्धिमत्ता और चातुर्य का भी शानदार प्रदर्शन किया। देश के नेतृत्व की इच्छाशक्ति हमारे वैज्ञानिकों के वैज्ञानिक ज्ञान और तकनीकी कौशल के साथ सहज रूप से जुड़ी हुई है। हमारे देश के खिलाड़ियों ने एशियाई खेलों में पहली बार 100 से अधिक- 107 पदक (28 स्वर्ण, 38 रजत तथा 41 कांस्य) जीतकर हम सबका उत्साहवर्धन किया है। उनका हम अभिनन्दन करते हैं।

भागवत ने मणिपुर का भी उल्लेख किया
आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कहा कि मणिपुर की वर्तमान स्थिति को देखते हैं तो यह बात ध्यान में आती है। लगभग एक दशक से शांत मणिपुर में अचानक यह आपसी फूट की आग कैसे लग गई? क्या हिंसा करने वाले लोगों में सीमापार के अतिवादी भी थे? अपने अस्तित्व के भविष्य के प्रति आशंकित मणिपुरी मैतेयी समाज और कुकी समाज के इस आपसी संघर्ष को सांप्रदायिक रूप देने का प्रयास क्यों और किसके द्वारा हुआ? वर्षों से वहां पर सबकी समदृष्टि से सेवा करने में लगे संघ जैसे संगठन को बिना कारण इसमें घसीटने का प्रयास करने में किसका निहित स्वार्थ है? इस सीमा क्षेत्र में नागाभूमि व मिजोरम के बीच स्थित मणिपुर में ऐसी अशांति व अस्थिरता का लाभ प्राप्त करने में किन विदेशी सत्ताओं को रुचि हो सकती है? क्या इन घटनाओं की कारण परंपराओं में दक्षिण पूर्व एशिया की भू-राजनीति की भी कोई भूमिका है? देश में मजबूत सरकार के होते हुए भी यह हिंसा किनके बलबूते इतने दिन बेरोकटोक चलती रही है? गत 9 वर्षों से चल रही शान्ति की स्थिति को बरकरार रखना चाहने वाली राज्य सरकार होकर भी यह हिंसा क्यों भड़की और चलती रही? आज की स्थिति में जब संघर्षरत दोनों पक्षों के लोग शांति चाह रहे हैं, उस दिशा में कोई सकारात्मक कदम उठता हुआ दिखते ही कोई हादसा करवा कर, फिर से विद्वेष व हिंसा भड़काने वाली ताकतें कौन सी हैं?

समस्या के समाधान के लिए बहुआयामी प्रयासों की जरूरत
भागवत ने कहा कि समस्या के समाधान के लिए बहुआयामी प्रयासों की आवश्यकता रहेगी। इस हेतु जहां राजनैतिक इच्छाशक्ति, तदनुरूप सक्रियता एवं कुशलता समय की मांग है, वहीं इसके साथ-साथ दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थिति के कारण उत्पन्न परस्पर अविश्वास की खाई को पाटने में समाज के प्रबुद्ध नेतृत्व को भी एक विशेष भूमिका निभानी होगी। संघ के स्वयंसेवक तो समाज के स्तर पर निरंतर सबकी सेवा व राहतकार्य करते हुए समाज की सज्जनशक्ति का शांति के लिए आवाह्न कर रहे हैं। सबको अपना मानकर, सब प्रकार की कीमत देते हुए समझाकर, सुरक्षित, व्यवस्थित, सद्भाव से परिपूर्ण और शान्त रखने के लिए ही संघ का प्रयास रहता है। इस भयंकर व उद्विग्न करने वाली परिस्थिति में भी ठंडे दिमाग से हमारे कार्यकर्ताओं ने जिस प्रकार वहां सबकी संभाल के प्रयास किए उस पर तथा उन स्वयंसेवकों पर हमें गर्व है।

इस मौके पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने संगठन के संस्थापक केबी हेडगेवार को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने ‘विजयादशमी उत्सव’ पर ‘शस्त्र पूजा’ भी की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना सितंबर 1925 में केशव बलिराम हेडगेवार ने दशहरा के दिन की थी। इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, बीजेपी महाराष्ट्र चीफ चंद्रशेखर बावनकुले और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस, सुप्रसिद्ध गायक और संगीतकार शंकर महादेवन भी मौजूद थे।

पद्मश्री शंकर महादेवन इस उत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। गायक और संगीतकार शंकर महादेवन ने कहा कि ‘मैं विजयादशमी के अवसर पर सभी को शुभकामनाएं देना चाहता हूं। मैं बहुत सम्मानित और गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं कि इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में मेरा स्वागत किया गया। मैं आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को धन्यवाद देना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि इस वक्त मैं ऐसा महसूस कर रहा हूँ। विश्व भर में भारत और भारतीय नागरिक को पूरा विश्व सम्मान की नजरों से देखने लगा है। इसलिए मैं कहता हूँ कि जहाँ भी हो, जब भी जाओ, सर उठाकर गर्व से कहो मैं भारत का नागरिक हूँ।