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पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से पढ़ी ये कविता…बोले- 3 ‘D’ की ताकत भारत को अजेय बनाएगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद एक कवि और लेखक हैं, जिस कारण वो कई मौकों पर खुद की लिखीं या फिर दूसरी की लिखीं कविताओं को पढ़ते और सुनाते हैं.
77वें स्वतंत्रता दिवस पर भी पीएम मोदी ने अपनी इस साहित्यिक परंपरा की आगे बढ़ाते हुए कविता पढ़ी. प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृतकाल के पहले वर्ष पर जब मैं आपके साथ बात कर रहा हूं, तो मैं आपको पूरे विश्वास के साथ कहना चाहता हूं –
चलता चलाता काल चक्र, अमृतकाल का भाल चक्र,
चलता चलाता काल चक्र, अमृतकाल का भाल चक्र,
सबके सपने, अपने सपने, पनपे सपने सारे,
वीर चले, धीर चले, चले युवा हमारे,
नीति सही, रीति नई, गति सही, राह नई,
चुनो चुनौती सीना तान, जग में बढ़ाओ देश का नाम

नयी दिल्ली: देश 77वां स्वाधीनता दिवस मना रहा है. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10वीं बार लाल किले के प्राचीर से तिरंगा फहराकर, विश्व को एक बार फिर बताया, हम आजाद मुल्क हैं. हम एक ऐसे दौर में हैं, जब विश्व के कई देशों में युद्ध का माहौल है. कई देश ऐसे हैं जहां के नागरिक, अपने मुल्क के हालात देखकर, उसे छोड़कर भागने के लिए मजबूर हैं. वो दूसरे देशों में शरण लेने को मजबूर हैं. कई देश ऐसे हैं, जहां कब्जे की जंग चल रही है. कुछ ऐसे भी हैं, जहां भुखमरी और अराजकता के हालात हैं. उन देशों के पास संभलने का मौका नहीं है. अगर इस दौर में भारत एक शक्तिशाली आजाद मुल्क के तौर पर विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, तो इसकी पहचान, लालकिले की प्राचीर से शान से लहराता तिरंगा ही है.

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पीएम मोदी के भाषण में भारत की शक्ति की झलक और आने वाले आम चुनाव के मुद्दों के संकेत मिले हैं. ये पहली बार है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण का शुरुआती संबोधन बदल दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संबोधन की शुरुआत ‘मित्रों’, ‘साथियों’ या ‘देशवासियों’ कहकर करते रहे हैं. लेकिन पहली बार उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत ‘मेरे प्रिय परिवारजनों’ के साथ की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करने से पहले देश के 140 लोगों को ‘परिवारजनों’ कहकर संबोधित किया…इन शब्दों के इस्तेमाल के भी कई मायने निकाले जा रहे हैं. लेकिन शाब्दिक अर्थ यही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लोगों को अपने ‘परिवार के लोग’ बना दिया.

इस बार ध्वजारोहण के समय सलामी देने के लिए पहली बार स्वदेशी तोपों का इस्तेमाल किया गया. ध्वजारोहण के समय 105MM light field gun से Firing की गई थी. भारत को लेकर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्या सोचते हैं, उनका Vision क्या है, और आगे आने वाले समय में वो क्या करने के बारे में सोच रहे हैं. इसका पता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधनों से चल जाता है. स्वाधीनता दिवस पर दिए गए संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ शब्दों का इस्तेमाल कई बार किया. ये वो शब्द हैं जो कहीं ना कहीं, प्रधानमंत्री की विचारधारा से जुड़े हुए हैं.
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने भारत शब्द 110 बार बोला. वहीं 63 बार विश्व, 48 बार परिवारजन, 43 बार सामर्थ्य, 23 बार गांव, 20 बार संकल्प, 19 बार नारी या महिलाएं, 17 बार आजादी, 14 बार भ्रष्टाचार और 13 बार युवा शब्द का इस्तेमाल किया. 2024 चुनावी वर्ष है. इसलिए ये तय था कि इस बार स्वाधीनता दिवस समारोह के संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कई मुद्दों पर बोलेंगे. आपको जानकर हैरानी होगी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वर्ष 90 मिनट यानी डेढ़ घंटे का भाषण दिया है. उन्होंने संबोधन की समय सीमा के मामले में अपना चौथा सबसे बड़ा भाषण दिया है.

2014 के स्वतंत्रता दिवस पर उन्होंने पहला भाषण 65 मिनट का दिया था. उसके बाद 2015 में 86 मिनट, 2016 में 94 मिनट, 2017 में 56 मिनट, 2018 में 82 मिनट, 2019 में 92 मिनट, 2020 में 90 मिनट, 2021 में 88 मिनट, 2022 में 83 और अब 2023 में 90 मिनट का भाषण दिया. इसमें तीन सबसे बड़े भाषणों को देखें तो वर्ष 2016 में उन्होंने 96 मिनट का भाषण दिया, उसमें उन्होंने उनकी सरकार की तरफ से लाए गए Goods & Services Tax के बारे में बोला था. इस भाषण में उन्होंने GST को लेकर जनता के भ्रम दूर करने की कोशिश की थी.

इसके बाद 2019 में 93 मिनट का भाषण दिया था, ये भाषण NDA के दूसरे कार्यकाल के जीत के बाद दिया गया भाषण था. इसमें उन्होंने आर्टिकल 370 हटाए जाने का महत्व बताया था. उसी वर्ष स्वंतत्रता दिवस के 10 दिन पहले ही आर्टिकल 370 हटाया गया था. ट्रिपल तलाक खत्म करने की उपलब्धि गिनाकर, इससे महिलाओं को होने वाले लाभ के बारे में बताया था. इसी भाषण में उन्होंने देश की सेनाओं के लिए ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ बनाए जाने की बात कही थी, जो एक ऐतिहासिक घटना थी.

वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण फैल रहा था, इसीलिए उस वर्ष प्रधानमंत्री के भाषण में कोरोना महामारी में सावधानी बरतने के अलावा, उन्होंने देशवासियों से Make For World की बात कही, जिसमें उन्होंने PPE किट और Mask वगैरह बनाकर, दुनियाभर को Supply करने के लिए प्रेरित किया था. साल 2023 में उन्होंने 90 मिनट का भाषण दिया, जिसमें उन्होंने भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टीकरण को टारगेट किया. साथ ही उन्होंने 2047 तक विकसित भारत के सपने को पूरा करने का संकल्प लिया है. ये भाषण अगले साल होने वाले चुनाव को लेकर, काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि इसमें चुनावी एजेंडे का संकेत भी है.

प्रधानमंत्री के भाषण से जुड़ा एक और रोचक तथ्य हम आपको बताना चाहते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 10 वर्षों में लाल किले की प्राचीर से 827 मिनट का भाषण दिया है. ये एक नया रिकॉर्ड है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम हुआ है. दरअसल अभी तक देश के जितने भी प्रधानमंत्री रहे हैं, उन्होंने लाल किले से इतने लंबी अवधि का भाषण नहीं दिया है. इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर इंदिरा गांधी हैं, जिन्होंने लाल किले से 16 भाषण दिए थे. कुल मिलाकर इंदिरा गांधी ने 504 मिनट का भाषण दिया था. तीसरे नंबर पर मनमोहन सिंह हैं, जिन्होंने लाल किले से 10 भाषण दिए हैं, जिनका कुल समय 417 मिनट था. चौथे नंबर पर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू हैं, जिन्होंने लाल किले से कुल 17 भाषण दिए, जिनका कुल समय 400 मिनट था. इसके बाद पांचवें नंबर पर अटल बिहारी वाजपेयी हैं, इन्होंने कुल 6 बार संबोधित किया है, उनका संबोधन कुल मिलाकर 177 मिनट का रहा है.

इसके बाद 5 बार नरसिम्हा राव ने संबोधित किया है, जिनके भाषणों का कुल समय 259 मिनट, और 5 बार राजीव गांधी ने देश को संबोधित किया है, जिनके भाषणों का कुल समय 233 मिनट रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में इस बार तीन मोर्चों पर लड़ाई करने की बात कही गई है. जिसमें भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण शामिल है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से अपने संबोधन में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी रखने की बात कही, वर्ष 2014 में दिए अपने पहले संबोधन के बाद से ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार शब्द का इस्तेमाल अपने हर संबोधन में करते आए हैं, केवल वर्ष 2020 में उन्होने ऐसा नहीं किया था. इस वर्ष उनके संबोधन में कोरोना महामारी केंद्र में थी.

इसके अलावा इस बार के संबोधन में मोदी के निशाने पर परिवारवाद भी रहा. उन्होंने लोकतांत्रिक व्यवस्था में परिवारवाद को एक बीमारी की तरह बताया. उन्होंने देश की मजबूती के लिए परिवारवाद के खात्मे को जरूरी बताया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2022 के अपने संबोधन में भी ‘भाई भतीजावाद और परिवारवाद’ का जिक्र किया था. इस बार प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में तुष्टिकरण का जिक्र किया है. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि तुष्टिकरण ने सामाजिक न्याय को खत्म किया है. पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में नए भारत का जिक्र किया. उन्होंने देश को अपनी सरकार की उपलब्धि के बारे में बताया कि पिछले 10 वर्षों में भारत में नया आकर्षण पैदा हुआ है. विश्व को भारत की त्रिवेणी पर विश्वास है. पीएम मोदी की त्रिवेणी का मतलब है Demography, Democracy और Diversity…!

पीएम मोदी के मुताबिक भारत में वो सब कुछ है, जो विश्व की जरूरतों को पूरा कर सकता है. इस त्रिवेणी की मदद से भारत सबकुछ हासिल करने की क्षमता रखता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में मणिपुर हिंसा को लेकर बहुत कुछ कहा. उन्होंने शांति की अपील करते हुए, शांति को ही समाधान का रास्ता बताया.

पीएम मोदी ने लाल किले से UPA सरकार पर साधा निशाना
पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से पूर्व UPA सरकार को भी निशाने पर लेने का मौका नहीं छोड़ा. उन्होंने भ्रष्टाचार के मुद्दों पर पूर्व सरकार को घेरा. पीएम मोदी ने कहा- 2014 में जब हम सत्ता में आए तो वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में हम 10वें स्थान पर थे. आज 140 करोड़ भारतीयों के प्रयास से हम वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में पांचवें स्थान पर पहुंच गए हैं. यह ऐसे ही नहीं हुआ जब भ्रष्टाचार के राक्षस ने देश को अपनी गिरफ्त में ले लिया था तब हमने इसे रोका और एक मजबूत अर्थव्यवस्था बनाई. उन्होंने आगे कहा- आज भारत को G20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी का अवसर प्राप्त हुआ है. बीते वर्ष में जिस प्रकार भारत के कोने-कोने में G20 के अनेक आयोजन हुए, उससे दुनिया को भारत के सामान्य जन के सामर्थ्य, भारत की विविधता का परिचय हुआ है.