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महाराष्ट्र: पत्नी को HIV पाजिटिव होने का झूठा दावा करने वाले पति को Bombay High Court ने तलाक देने से किया मना

मुंबई/पुणे: बांबे हाईकोर्ट ने पुणे के 44 वर्षीय एक व्यक्ति को तलाक देने से इनकार कर दिया है। इस व्यक्ति ने अपनी पत्नी के एचआईवी पाजिटिव होने का झूठा दावा किया था। इस कारण उसकी पत्नी को मानसिक पीड़ा हुई।
प्राप्त जानकारी मुताबिक, जस्टिस नितिन जामदार और शर्मिला देशमुख की खंडपीठ ने 16 नवंबर के अपने आदेश में 2011 में उस व्यक्ति द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया, जिसमें उसी वर्ष पुणे में एक पारिवारिक अदालत द्वारा तलाक के लिए उसकी याचिका को खारिज करने के आदेश को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि उस व्यक्ति ने कोई सबूत पेश नहीं किया कि उसकी पत्नी ने एचआईवी के लिए सकारात्मक परीक्षण किया था, जिससे उसे मानसिक पीड़ा हुई। इस कारण तलाक देने की उसकी प्रार्थना को खारिज किया जा सकता है।

पति ने किया था ये दावा
इस युगल ने मार्च, 2003 में शादी की। इसके बाद उस व्यक्ति ने दावा किया कि उसकी पत्नी सनकी, जिद्दी, गुस्सैल स्वभाव की थी, वह उसके या उसके परिवार के सदस्यों के साथ ठीक से व्यवहार नहीं करती थी। वह तपेदिक से भी पीड़ित थी। दलील के अनुसार, बाद में 2005 में जांच में पता चला कि उसकी पत्नी एचआईवी पाजिटिव थी। इसके बाद उस व्यक्ति ने तलाक मांगा। हालाांकि, पत्नी ने दावों का खंडन किया और कहा कि उसका एचआईवी परीक्षण नकारात्मक निकला है, लेकिन फिर भी उसके पति ने उसके परिवार के सदस्यों के बीच इस बारे में अफवाह फैलाई, जिससे उसे मानसिक पीड़ा हुई।

हाईकोर्ट ने आदेश में यह कहा
हाईकोर्ट की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि पति अपनी पत्नी की एचआईवी पाजिटिव होने की मेडिकल रिपोर्ट पेश करने में विफल रहा। याचिकाकर्ता पति द्वारा पेश किए गए साक्ष्य का कोई सबूत नहीं है कि प्रतिवादी पत्नी ने एचआईवी के लिए सकारात्मक परीक्षण किया था, जिससे उसे मानसिक पीड़ा हुई या पत्नी ने उसके साथ क्रूरता का व्यवहार किया। चिकित्सीय रिपोर्ट एचआईवी डीएनए के परीक्षण के परिणाम को पता नहीं दिखाती है। याचिकाकर्ता ने रिश्तेदारों और दोस्तों को सूचित करके समाज में बदनाम किया है कि प्रतिवादी ने एचआईवी का सकारात्मक परीक्षण किया है। इसलिए तलाक देने के लिए पति की प्रार्थना को खारिज किया जा सकता है।