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महाराष्ट्र में मंदिरों को खोलने को लेकर राज्यपाल कोश्यारी और सीएम ठाकरे में लेटर वार!

मुंबई (राजेश जायसवाल): महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बीच राज्य में मंदिरों को फिर से खोलने को लेकर एक बार फिर ‘ठन’ गई है। धार्मिक स्थल के मुद्दे पर लेटर वार शुरू हो गया है।
राज्यपाल ने अपने पत्र में मुख्यमंत्री ठाकरे के हिंदुत्व पर सवाल उठाते हुए पूछा, आप हिंदुत्व के एक मजबूत स्तंभ रहे हैं, अब आप क्या सेक्युलर हो गए हैं? राज्य के मंदिरों में पूजा करने की अनुमति देने के मामले में कोश्यारी ने ठाकरे को पत्र लिखा था और पूछा था कि मंदिर कब से खुल रहे हैं। राज्य में सभी मंदिर कोरोनावायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन के कारण 23 मार्च से ही बंद हैं।
राज्यपाल ने पत्र में लिखा कि कैसे ठाकरे ने मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद अयोध्या जाकर भगवान राम के प्रति अपनी भक्ति को सार्वजनिक रूप से दिखाया था और बाद में 1 जुलाई को आषाढ़ी एकादशी पर प्रसिद्ध पंढरपुर के भगवान विठ्ठल और देवी रुक्मिणी मंदिर में पूजा की थी।
कोश्यारी ने कहा- यह विडंबना है कि जहां एक ओर राज्य सरकार ने बार, रेस्तरां और समुद्र तट खोलने की अनुमति दी है, वहीं दूसरी ओर हमारे देवी-देवता अभी भी लॉकडाउन में हैं।
सीएम ठाकरे ने राज्यपाल कोश्यारी को इसका कड़ा जवाब देते हुए कहा कि राज्यपाल ने हिंदुत्व के बारे में जो उल्लेख किया है, वह बिल्कुल सही था।
सीएम ठाकरे ने कहा, हालांकि, मुझे किसी से भी हिंदुत्व पर सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं है, न ही मुझे इसे किसी से सीखना है। जो लोग पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के साथ हमारे राज्य और इसकी राजधानी (मुंबई) की तुलना करने वाले का गर्मजोशी से स्वागत करते हैं, वे मेरे हिंदुत्व की परिभाषा में फिट नहीं बैठते!
ठाकरे ने कहा, क्या आप ये कहना चाह रहे हैं कि सिर्फ मंदिर खोल देने से कोई हिंदुत्व का मसीहा हो जाता है और उसे बंद करने से वो सेक्युलर हो जाता है?
ठाकरे ने अपने जवाबी पत्र में राज्यपाल कोश्यारी से सीधे पूछा, आपने उस संविधान की शपथ ली है, जिसका मुख्य सिद्धांत सेक्युलरिज्म (धर्मनिरपेक्षता) है, क्या आप इससे सहमत नहीं हैं?
कोश्यारी ने इस पर आश्चर्य जताया कि ठाकरे मंदिरों को फिर से खोलने के फैसले को बार-बार क्यों स्थगित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 8 जून को दिल्ली और जून के अंत तक पूरे देश में मंदिर और दूसरे पूजा स्थल खोल दिए गए।
ठाकरे ने इसके जवाब में कहा- आप (कोश्यारी) ने ऐसी चीजों का अनुभव किया होगा, मैं इतना महान नहीं हूं। उन्होंने कहा कि वह (ठाकरे) महाराष्ट्र के लोगों के लिए अच्छा काम करने की कोशिश कर रहे हैं।
कोश्यारी ने याद दिलाया कि कैसे 1 जून को ठाकरे ने घोषणा की थी कि लॉकडाउन अब इतिहास की बात हो जाएगी। लेकिन इस घोषणा के चार महीने बाद अभी भी मंदिरों को खोलने पर प्रतिबंध है।
जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी पहली जिम्मेदारी लोगों की जान बचाना है। उन्होंने कहा कि जिस तरह अचानक से लॉकडाउन लगाना गलत था, उसी तरह अचानक लॉकडाउन हटाना भी गलत है, खासकर ऐसे समय में, जब कोरोनावायरस के मामले बढ़ रहे थे।
राज्यपाल ने अपने पत्र में लिखा कि मंदिरों को खोलने के लिए उन्हें कई अनुरोध मिल चुके हैं। इसके जवाब में ठाकरे ने कहा कि वे सभी अनुरोध भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समर्थक लोगों के थे।
हालांकि मुख्यमंत्री ठाकरे ने राज्यपाल कोश्यारी को आश्वासन दिया कि राज्य में मंदिरों और दूसरे धार्मिक स्थलों को खोलने पर जल्द फैसला लिया जाएगा।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को राज्यपाल कोटे से एमएलसी नामित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने कैबिनेट से दो बार प्रस्ताव पास कर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को भेजा था, लेकिन राज्यपाल ने उस पर कोई फैसला नहीं लिया, इसके चलते महाराष्ट्र में राजनीतिक अस्थिरता का संकट गहराता जा रहा था। उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी से इस संबंध में बात भी किया और मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की थी।

दरअसल उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर, 2019 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तो वे विधानमंडल के किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। ऐसे में संविधान की धारा 164 (4) के अनुसार उद्धव ठाकरे को 6 माह में राज्य के किसी सदन का सदस्य होना अनिवार्य था। ऐसे में उद्धव ठाकरे को अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी को बचाए रखने के लिए 27 मई से पहले विधानमंडल का सदस्य बनना जरूरी था। तब कोश्यारी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर विधान परिषद के चुनाव कराने का अनुरोध किया था।

तब टला महाराष्‍ट्र का संकटजब ठाकरे पहली बार एमएलसी चुने गए
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ सत्तारूढ़ एवं विपक्षी दलों के आठ अन्य उम्मीदवारों को राज्य विधान परिषद के लिए निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया। ये सभी उम्मीदवार विधान परिषद की उन नौ सीटों के लिए मैदान में थे जो 24 अप्रैल 2020 को खाली हुयी थीं।

मंदिर के बाहर भाजपा का विरोध-प्रदर्शन
वहीँ आज भाजपा ने सिद्धिविनायक और शिरडी साईं बाबा मंदिर के बाहर विरोध-प्रदर्शन कर सभी मंदिरों को फिर से खोलने की उद्धव सरकार से मांग की है। प्रदर्शन के दौरान पुलिस बैरिकेडिंग की भी व्यवस्था थी लेकिन प्रदर्शनकारी बैरिकेडिंग के बीच मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश करते दिखाई दिए। मंदिर में जबरदस्ती घुसने के प्रयास किए जाने पर प्रसाद लाड सहित कई भाजपा कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग भी की धज्जियाँ उड़ती दिखाई दी!
भाजपा नेता (एमएलसी) प्रसाद लाड ने कहा कि हमारी मांग है कि हमें सिद्धीविनायक मंदिर में प्रवेश दिया जाए। अगर हमें प्रशासन प्रवेश करने की इजाजत नहीं देगा तो अब अपना रास्ता खुद ही बनाएंगे। बता दें कि पूरे महाराष्ट्र में भाजपा ने मंदिरों को खोले जाने को लेकर उद्धव सरकार के खिलाफ तीव्र मोर्चा खोल दिया है। भाजपा की मांग है कि महाराष्ट्र में कोरोना लॉकडाउन के कारण बंद पड़े राज्य के सभी मंदिरों को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाना चाहिए।

बाबर सेना से भी बुरा बर्ताव कर रही ‘गुंडा सरकार’
महाराष्ट्र में मंदिर खोलने को लेकर जारी सियासत में अब अभिनेत्री कंगना रनौत भी कूद पड़ी हैं। कंगना ने महाराष्ट्र की उद्धव सरकार को गुंडा सरकार बताते हुए कहा है कि ‘सोनिया सेना’, बाबर सेना से भी बुरा व्यवहार कर रही है।
कंगना ने ट्वीट किया- ‘यह जानकर अच्छा लगा कि माननीय गवर्नर महोदय ने गुंडा सरकार से पूछताछ की है। गुंडों ने बार और रेस्तरां खोले हैं, लेकिन मंदिरों को बंद रखा है। सोनिया सेना, बाबर सेना से भी बद्तर व्यवहार कर रही है…’

बता दें कि राज्यपाल कोश्यारी आरएसएस से जुड़े रहे हैं और भाजपा के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। उन्होंने उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में कहा है- ‘क्या आप अचानक धर्मनिरपेक्ष हो गए हैं?’