महाराष्ट्रमुंबई शहरराजनीतिशहर और राज्य

महाराष्ट्र में विपक्ष ने की मुस्लिमों को आरक्षण देने की मांग, सरकार ने कहा- संभव नहीं

मुंबई, महाराष्ट्र की विपक्षी पार्टियों ने राज्य में शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में मुस्लिमों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने की शुक्रवार को मांग रखी थी। इस मांग पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने यह कहते हुए उनकी बात का विरोध किया कि संविधान में धर्म आधारित आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है।
कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के पार्षदों ने महाराष्ट्र विधान परिषद में जोर-शोर से यह मांग उठाई। शिवसेना की मनीषा कायंदे द्वारा लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस और एनसीपी के विधान पार्षदों ने कहा कि मुस्लिमों का बड़ा वर्ग आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के तहत आता है। इसके बावजूद राज्य सरकार शिक्षा एवं नौकरियों में समुदाय को आरक्षण के लाभ देने में विफल रही है।
हालांकि, उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने कहा कि सत्तारूढ़ बीजेपी आरक्षण के संबंध में संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ नहीं जा सकती। उन्होंने कहा, बाबा साहब आंबेडकर ने संविधान तैयार करते वक्त स्पष्ट रूप से कहा था कि आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, बीजेपी सत्तारूढ़ पार्टी के तौर पर इस प्रावधान को दरकिनार कर मुस्लिमों को आरक्षण नहीं दे सकती।
विनोद तावड़े ने आगे कहा कि कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन महाराष्ट्र में कई साल तक सत्ता में रहा लेकिन मुस्लिमों को आरक्षण नहीं दिया। उन्होंने कहा कि विपक्ष का आरक्षण की मांग करने के पीछे असल कारण राजनीतिक और चुनावी है।