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महाराष्ट्र: 100 करोड़ की वसूली के चक्कर में गई गृहमंत्री देशमुख की कुर्सी? CM उद्धव ठाकरे को सौंपा इस्तीफा…

मुंबई, (राजेश जायसवाल): महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद से ही महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मची थी. आज इसी मामले में जयश्री पटेल की याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि ये गंभीर मामला है और सीबीआई जांच होनी चाहिए. ऐसे केस में अगर लोकल पुलिस जांच करेगी तो जनता का विश्वास उठ जाएगा.

दूसरी तरफ एनसीपी की हाई लेवल मीटिंग के बाद अनिल देशमुख ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने सीबीआई (CBI) को 15 दिनों के अंदर प्रारंभिक जांच करने और रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की खंड पीठ ने कहा कि यह असाधारण और अभूतपूर्व मामला है जिसकी स्वतंत्र जांच होनी चाहिए. पीठ तीन जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी.

अनिल देशमुख मामले को लेकर हुई एनीसीपी की हाई लेवल मीटिंग में राकांपा चीफ शरद पवार, अनिल देशमुख, अजित पवार और सु्प्रिया सुले मौजूद रहीं. यह बैठक जयश्री पटेल की याचिका पर आए हाईकोर्ट के निर्णय के बाद आयोजित हुई. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, बैठक में आगे की रणनीति पर भी गंभीर चर्चा की गई. बैठक के बाद अनिल देशमुख ने राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपना इस्तीफा सौंप दिया. मुख्यमंत्री उद्धव को भेजे गए अपने पत्र में अनिल देशमुख ने लिखा है कि उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद गृहमंत्री के रूप में बने रहना नैतिक रूप से सही नहीं लगता है. अब महाराष्ट्र के नए गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल होंगे.

क्या है पूरा मामला?
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के पिछले दिनों महाराष्ट्र के गृहमंत्री पर लगाए गए 100 करोड़ रुपये की वसूली के सनसनीखेज आरोप के बाद आखिरकार अनिल देशमुख पर गाज गिर गई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने अनिल देशमुख पर परमबीर सिंह के आरोपों को असाधारण मामला बताया है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सीबीआई (CBI) को महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की 15 दिनों के भीतर प्रारंभिक जांच शुरू करने और रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया. जिसके बाद देशमुख की मुश्किलें बढ़ गई हैं.

महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के बाद अनिल देशमुख ने राकांपा प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की और अपने पद से इस्तीफा देने की इच्छा जताई. इसके बाद, शरद पवार ने भी सहमति दे दी. मलिक ने आगे यह भी कहा कि उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान करने के लिए यह कदम उठाया है.

बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के तुरंत बाद राकांपा प्रमुख शरद पवार और उप मुख्यमंत्री अजित पवार के बीच में बैठक हुई. शरद पवार के मुंबई स्थित घर पर हुई इस मीटिंग में अनिल देशमुख और सुप्रिया सुले भी मौजूद थीं. बैठक में इस पूरे मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई क्योंकि एनसीपी और महाविकास आघाडी (एमवीए) सरकार के लिए यह शर्मनाक होगा यदि गृहमंत्री को सीबीआई जांच के लिए बुलाया जाता है. वहीँ उद्धव सरकार अब हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है.

दिलीप पाटिल होंगे महाराष्ट्र के नए गृृहमंत्री
दिलीप वलसे पाटिल महाराष्ट्र के नए गृहमंत्री का पदभार संभालेंगे. 100 करोड़ की वसूली के आरोपों में घिरे अनिल देशमुख के इस्तीफे के बाद वह इस पद को संभालेंगे. दिलीप वलसे पाटिल पुणे ग्रामीण विधानसभा सीट से विधायक हैं. दिलीप वलसे पाटिल को एनसीपी के साफ छवि वाले नेताओं में से एक माना जाता है. वह कई बार महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं और विधानसभा के स्पीकर का पद भी संभाल चुके हैं. इसके अलावा शरद पवार के एनसीपी में सबसे करीबी नेताओं में से एक माने जाते हैं. हालांकि, एनसीपी के सूत्रों का कहना है कि गठबंधन सरकार के गठन के दौरान भी पाटिल को गृहमंत्री बनने का ऑफर दिया गया था, लेकिन उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से इससे इनकार कर दिया था.

अनिल देशमुख के इस्तीफे के बाद देवेंद्र फडणवीस बोले- अपने ही बोझ से गिर जाएगी महाराष्ट्र सरकार, हमें गिराने की जरूरत नहीं…
अनिल देशमुख के इस्तीफे के बाद महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आज प्रेस वार्ता कर पूर्व गृहमंत्री देशमुख के साथ-साथ मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर भी कई सवाल खड़ा किये. पूर्व सीएम फडणवीस ने पूछा कि आखिर इस विवाद पर मुख्यमंत्रीजी मौन क्यों हैं?

फडणवीस ने क्या कहा?
गृहमंत्री का यह इस्तीफा बहुत पहले आना चाहिए था, जब परमबीर सिंह के आरोप सामने आए और जब ट्रांसफर रैकेट का खुलासा हुआ था. सचिन वाजे के मामले में जिस तरीके से खुलासे हुए व साबित करते हैं कि महाराष्ट्र में एक सिंडिकेट राज चल रहा था. इस मामले के खुलासे के बाद मुख्यमंत्रीजी को उनका इस्तीफा लेना चाहिए था, लेकिन उनसे इस्तीफा नहीं लिया गया और आखिरकार उच्च न्यायालय को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा. उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के कारण ही यह इस्तीफा हुआ है.
सवाल फिर पूछना चाहता हूं कि मुख्यमंत्रीजी मौन क्यों हैं? उनका आखिरी स्टेटमेंट यही था कि सचिन वाजे कोई ओसामा बिन लादेन थोड़ी है. सरकार को बचाने के लिए उद्धव ठाकरे लगातार अलग-अलग तरीके के कंप्रोमाइज कर रहे हैं. वे अपनी सरकार बचाने के लिए कंप्रोमाइज नहीं कर रहे, बल्कि महाराष्ट्र की अस्मिता से कंप्रोमाइज कर रहे हैं. यह सरकार पुलिस का उपयोग हप्ता वसूली और सेटलमेंट के लिए करने लग गयी थी. मुझे लगता है कि मुख्यमंत्रीजी को इसका जवाब देना पड़ेगा.

आगे फडणवीस ने कहा कि पुलिस फोर्स को प्राइवेट आर्मी की तरह वसूली के लिए इस्तेमाल किया गया. जिस प्रकार हफ्ता वसूली के लिए सिंडिकेट राज्य का इस्तेमाल पुलिस कर रही थी. उसका निष्कर्ष यही निकलना था. इस पूरे मामले में पुलिस जिम्मेदार नहीं है. पुलिस फोर्स की जिम्मेदारी उसे चलाने वाली सरकार की होती है.
मीडिया से बातचीत करते हुए ‘पुलिस ट्रांसफर रैकेट’ पर फडणवीस ने कहा, ट्रांसफर पोस्टिंग का पूरा खेल मुख्यमंत्री के बिना नहीं हो सकता है, इसलिए वह इस जिम्मेदारी से अपना पल्ला नहीं झाड़ सकते. मैंने पहले भी कहा है और आज फिर कह रहा हूं यह सरकार अपने बोझ से गिरेगी, हमारा सरकार बनाने या गिराने का कोई उद्देश्य नहीं है. CBI मामले का सत्य बाहर लेकर आएगी.