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महाराष्ट्र: CM उद्धव ठाकरे और उनके बेटे व मंत्री आदित्य पर कमेंट करने वाली महिला को नहीं मिली राहत, कोर्ट ने कहा- भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कोई पूर्ण अधिकार नहीं

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत दिए गए भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कोई पूर्ण अधिकार नहीं है। अदालत ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके बेटे व मंत्री आदित्य ठाकरे के खिलाफ ट्विटर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में महिला को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा देने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की। जस्टिस एसएस शिंदे और एमएस कर्णिक की पीठ ने हालांकि राज्य सरकार के मौखिक आश्वासन को स्वीकार कर लिया कि महिला सुनैना होले को कम से कम अगले दो हफ्तों के लिए गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
राज्य ने कहा कि सुनैना होले को इस तरह की (गिरफ्तारी से) राहत तभी मिल सकेगी जब वो पूछताछ के लिए क्रमशः आजाद मैदान, तुलिंज पुलिस स्टेशनों मुंबई और पालघर में जांच में पुलिस को सहयोगी करेंगी। उधर, पीठ ने होले को इस अवधि के दौरान किसी भी समय अदालत का दरवाजा खटखटाने की अनुमति दी, यदि पुलिस उसके खिलाफ कोई भी कठोर कार्रवाई करने का निर्णय लेती है या उनके किसी भी अधिकार का उल्लंघन किया जाता है। होले ने अपने वकील अभिनव चंद्रचूड़ के माध्यम से बॉम्बे एचसी से अपील की थी, जिसमें मांग की गई है कि उनके खिलाफ सभी आरोपों को रद्द कर दिया जाए।

एक मामले में राहत, दो पर नहीं
एक अंतरिम राहत के रूप में उन्होंने मांग की थी कि अदालत उसे गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान करे जब तक कि उसके मामले की सुनवाई पूरी न हो जाए और अदालत ने उसके खिलाफ प्राथमिकी को रद्द करने का निर्णय लिया। होले के खिलाफ तीन एफआईआर दर्ज हैं, एक बीकेसी साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में, दूसरा आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में, और तीसरा पालघर के तुलिंज पुलिस स्टेशन में। शिवसेना की युवा शाखा के नेता रोहन चौहान सहित कई लोगों की ओर से की गई शिकायतों के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई।

सीएम और उनके बेटे के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी
शिकायतों के अनुसार, 38 वर्षीय होले ने ट्विटर पर सीएम और उनके बेटे के खिलाफ आपत्तिजनक और अपमानजनक टिप्पणी की। उसे इस साल अगस्त में गिरफ्तार किया गया था और बीकेसी साइबर अपराध पुलिस की ओर से उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर से संबंधित मामले में जमानत पर रिहा कर दिया गया था। बाकी दो एफआईआर पर, उसे सीआरपीसी की धारा 41 ए (1) के तहत नोटिस दिया गया, जिससे उन्हें जांच के लिए संबंधित पुलिस स्टेशनों में आने के लिए कहा गया।

होले ने नहीं दिया था नोटिस का जवाब
शुक्रवार को सरकारी वकील वाई पी याग्निक ने अदालत को बताया कि होले ने नोटिस का जवाब नहीं दिया था। हालांकि, एडवोकेट चंद्रचूड़ ने कहा कि उनका मुवक्किल आशंकित था कि अगर वह पुलिस से मिली तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इसलिए, उन्होंने अंतरिम राहत मांगी। हालांकि, पीठ ने कहा कि गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण केवल विषम मामले में दिया जा सकता है। लेकिन यह नोट किया गया कि धारा 41 (ए) में प्रावधान है कि किसी व्यक्ति को तब तक गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए जब तक वह पुलिस की जांच में सहयोग कर रहा हो। यदि किसी को गिरफ्तार किया जाना आवश्यक है, तो पुलिस को ऐसी गिरफ्तारी के लिए पूर्व सूचना देनी चाहिए।