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मुंबई एयरपोर्ट घोटाला: जीवीके ग्रुप के खिलाफ CBI ने किया मामला दर्ज

मुंबई: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मुंबई एयरपोर्ट का संचालन करने वाली कंपनी जीवीके ग्रुप के खिलाफ फ़र्ज़ीवाड़े के आरोप में मुक़दमा दर्ज किया है. सीबीआई ने जीवीके के दफ़्तर में छापेमारी कर कार्रवाई की है. जीवीके ग्रुप के अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है. एफ़आईआर में 13 लोगों के नाम हैं जिनमें ग्रुप के चेयरमैन जीवीके रेड्डी और उनके बेटे जीवी संजय रेड्डी भी शामिल हैं. सीबीआई की ओर से दर्ज एफ़आईआर में 705 करोड़ रुपए के घोटाले का अनुमान लगाया गया है. जीवी संजय रेड्डी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हैं. ये कंपनी जीवीके ग्रुप और भारत सरकार की एयरपोर्ट अथॉरिटी आफ़ इंडिया की साझेदारी में है. एमआईएएल में जीवीके ग्रुप की 50.5 फ़ीसद, एएआई की 26 फ़ीसद हिस्सेदारी है. बाक़ी शेयर विदेशी निवेशकों के पास हैं.

एफ़आईआर भ्रष्टाचार निरोधी क़ानून 1988 और आईपीसी की आपराधिक साज़िश और धोखाधड़ी की धाराओं के तहत की गई है. सीबीआई की एफ़आईआर के मुताबिक़ जीवीके समूह ने एएआई के अधिकारियों के साथ मिलकर मुंबई एयरपोर्ट के विकास के लिए निर्धारित धन में घपला किया. सीबीआई ने ये एफ़आईआर विश्वस्नीय सूत्र से मिली जानकारियों के आधार पर की है. अप्रैल 2006 में एएआई ने मुंबई एयरपोर्ट के ऑपरेशन, प्रबंधन और विकास के लिए एमआईएल के साथ समझौता किया था. इस समझौते के तहत एमआईएएल को मुंबई एयरपोर्ट का संचालन करना था और इसके बदले में 38.7 प्रतिशत राजस्व फ़ीस के तौर पर एएआई को देना था. एफ़आईआर में कहा गया है कि एमआईएएल के अधिकारियों ने एएआई के अज्ञात अधिकारियों के साथ मिलकर मुंबई एयरपोर्ट के विकास के लिए तय फ़ंड का घपला किया. ऐसा करने के लिए फ़र्ज़ी ठेके दिए गए.

एफ़आईआर के मुताबिक़ फ़र्ज़ी ठेके देकर कुल 310 करोड़ रुपए का घपला किया गया है.
एफ़आईआर में कहा गया है कि 2017-18 के बीच ही कम से कम नौ कंपनियों को रियल एस्टेट डेवलपमेंट के नाम पर ठेके दिए गए. एमआईएल ने इन कंपनियों को पैसे तो दे दिए लेकिन ज़मीन पर ये काम कभी किए ही नहीं गए. सीबीआई का कहना है कि इन नौ कंपनियों ने इन फ़र्ज़ी ठेकों के आधार पर फ़र्ज़ी इनपुट टैक्स क्रेडिट (लिया) और सरकार को राजस्व का और नुक़सान पहुंचाया. इसके अलावा 2012 के बाद से एमआईएएल के सरप्लस फ़ंड को समूह की अन्य कंपनियों में लगाया गया. एफ़आईआर के मुताबिक़ ये पैसा 395 करोड़ रुपए तक हो सकता है.यानी कुल 705 करोड़ रुपए के घोटाले के आरोप जीवीके ग्रुप पर हैं. सीबीआई का ये भी कहना है कि एमआईएल के ख़र्चों को बढ़ा-चढ़ाकर भी घोटाला किया गया है. एफ़आईआर में कहा गया है कि जीवीके ग्रुप ने अपनी हैदराबाद स्थित कंपनियों के कर्मचारियों को भी एमआईएएल के पे रोल पर रखा था. इस तरह जो कर्मचारी एमआईएएल का हिस्सा नहीं थे उन्हें भी एमआईएएल से वेतन दिया जा रहा था.एफ़आईआर में जीवीके ग्रुप पर मुंबई एयरपोर्ट के रिटेल स्पेस को सस्ती दरों पर किराए पर देने के भी आरोप हैं. जीवीके समूह की ओर से अभी कोई बयान जारी नहीं किया गया है. जीवीके हैदराबाद स्थित कॉरपोरेट समूह है जो ऊर्जा, एयरपोर्ट, यातायात और लाइफ़ साइंस क्षेत्र में सक्रिय है.