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मुंबई पुलिस आयुक्त का आदेश, डीसीपी की अनुमति के बिना अब दर्ज नहीं होंगे छेड़छाड़, पॉक्सो केस

मुंबई,(राजेश जायसवाल): मायानगरी मुंबई में डीसीपी की अनुमति के बिना छेड़छाड़, पॉक्सो केस अब दर्ज नहीं होंगे। यह निर्देश मुंबई पुलिस आयुक्त संजय पाण्डेय ने अधिकारियों को दिया है। आयुक्त पाण्डेय ने आदेश में कहा है कि, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत छेड़छाड़ और अपराध के मामले जोनल पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) की अनुमति से केवल एक एसीपी की सिफारिश पर दर्ज किए जाने चाहिए।
एक अधिकारी ने कहा कि पुलिस आयुक्त पाण्डेय ने ऐसे मामलों के मद्देनजर यह आदेश जारी किया, जिसमें व्यक्तिगत प्रतिद्वंद्विता या संपत्ति, धन के मामलों और व्यक्तिगत मुद्दों को लेकर विवाद के कारण झूठे मामले दर्ज किए गए। सोमवार को जारी निर्देश में कहा गया है कि ऐसे कई मामलों में बिना तथ्यों की जांच के आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाता है और बाद में शिकायत फर्जी पायी जाती है।
आयुक्त ने आदेश में कहा कि आरोपी व्यक्ति की छवि व मान-प्रतिष्ठा बिना किसी कारण के धूमिल हो जाती है, भले ही वह अंततः बरी हो जाए। आदेश में कहा गया है कि इससे बचने के लिए पुलिस अधिकारियों को संभागीय सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) की सिफारिश और जोनल पुलिस उपायुक्त (DCP) की अनुमति से ही छेड़छाड़ या पॉक्सो कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया है।
इसमें कहा गया है कि अनुमति देते समय डीसीपी को ललिता कुमारी मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले का अनुपालन करना चाहिए। 2013 में ‘ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य के मामले में, शीर्ष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने दिशानिर्देश निर्धारित किए कि प्राथमिकी का पंजीकरण कब अनिवार्य है।

मैं तो अतीत हूं…संजय पाण्डेय
सोमवार को मुंबई पुलिस आयुक्त संजय पाण्डेय ने अपने नए ऑफिस में मीडिया से बातचीत की। साथ में चाय पी और कई खबरें भी शेयर कीं, लेकिन बातों-बातों में यह भी बोल गए कि ‘इनसे (ज्वाइंट सीपी विश्वास नांगरे पाटील) ज्यादा जानकारी (खबरों की) के लिए बात करो, मैं तो अतीत हूं। संजय पाण्डेय 30 जून को रिटायर हो रहे हैं। उनके इस अतीत शब्द के इस्तेमाल को इस संकेत के तौर पर देखा जा रहा है कि उन्हें शायद एक्सटेंशन मिलने वाला नहीं है।
हालांकि, पुलिस महकमे में काफी लोगों का कहना है कि पांडे वर्तमान सरकार के लाडले अधिकारियों में से एक हैं, इसलिए ऐन वक्त पर उन्हें एक्सटेंशन मिल जाए, तो भी आश्चर्य नहीं होगा। पहले भी संजय वर्बे से लेकर कई अन्य पुलिस कमिश्नर को अतीत में एक्सटेंशन मिल चुका है।
अमूमन तीन महीने के एक्सटेंशन की सिफारिश का अधिकार राज्य सरकार और 3 महीने का केंद्र सरकार के पासहो होता है। लेकिन, आईपीएस और आईएएस सिविल सर्विस से जुड़े होते हैं, जो केंद्र सरकार के दायरे में आती है, इसलिए किसी अधिकारी के एक्सटेंशन की राज्य सरकार की सिफारिश तभी अमल में आती है, जब केंद्र सरकार की तरफ से उस पर हस्ताक्षर हों।

कौन होगा मुंबई का अगला सीपी?
यहां बता दें कि यदि संजय पाण्डेय को एक्सटेंशन नहीं मिला, तो सवाल यह है कि मुंबई का अगला सीपी कौन होगा? यदि पिछले दो सीपी को उदाहरण के तौर पर लिया जाए, तो रजनीश सेठ का नाम पहले नंबर पर आता है। रजनीश सेठ वर्तमान में महाराष्ट्र डीजीपी हैं। पाण्डेय भी डीजीपी से सीपी बने थे। उनसे पहले हेमंत नगराले मुंबई के सीपी थे। नगराले भी मुंबई पुलिस आयुक्त से पहले महाराष्ट्र के डीजीपी थे। रजनीश के बाद डीजी हाउसिंग विवेक फणसाळकर का नाम मुंबई सीपी की रेस में चल रहा है। फणसाळकर ठाणे के सीपी और महाराष्ट्र एटीएस चीफ भी रहे हैं। डॉक्टर भूषण उपाध्याय भी डीजी रैंक के अधिकारी हैं। वे वर्तमान में होमगार्ड के चीफ हैं। वह लंबे समय तक नागपुर के पुलिस कमिश्नर भी रहे हैं। लीगल एंड टेक्निकल के डायरेक्टर जनरल संदीप बिश्नोई की पोस्ट भी डीजी रैंक की है, इसलिए मुंबई सीपी के पद के लिए महाराष्ट्र सरकार की ओर से इनके भी नाम पर भी विचार किया जा सकता है।