ब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहरशहर और राज्य

मुंबई में अवैध टेलीफोन एक्सचेंज का भंडाफोड़

मुंबई से जम्मू में आर्मी ऑफिस में की गई थी कॉल; पाकिस्तान कनेक्शन की हो रही जांच

मुंबई: कोरोनावायरस महामारी से जूझ रही मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मिलिट्री इंटेलिजेंस यूनिट के साथ मिलकर एक अवैध टेलीफोन एक्सचेंज रैकेट का भंडाफोड़ किया है। यह एक्सचेंज कथित रूप से मुंबई के गोवंडी इलाके से संचालित किया जा रहा था। क्राइम ब्रांच ने इस मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। उसके पास से 191 सिमकार्ड बरामद किये गए।
क्राइम ब्रांच की जांच में सामने आया है कि यह एक्सचेंज पाकिस्तान या दूसरे देशों से आने वाली इंटरनेट (वीओआईपी) कॉल को लोकल जीएसएम कॉल में बदल कर फोन नंबर पर ट्रांसफर कर देता था। इसके लिए चाइनीज सिम बॉक्स का इस्तेमाल होता था। सीधे शब्दों में कहा जाए तो विदेश से किसी व्यक्ति ने भारत में कॉल की है तो यह एक्सचेंज, कॉल रिसीव करने वाले के नंबर पर भारतीय नंबर ही दिखाएगा और ऐसा लगेगा कि भारत से ही कॉल की गई है।
मुंबई क्राइम ब्रांच के संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) संतोष रस्तोगी ने बताया कि अवैध टेलीफोन एक्सचेंज चलाने के लिए चार सिम बॉक्स का इस्तेमाल किया जा रहा था। बरामद 191 सिम कार्ड में से 72 एक्टिव थे और अन्य 119 को आगे के बैकअप के लिए रखा गया था। उन्होंने कहा, इस एक्सचेंज से बड़े पैमाने पर राजस्व का नुकसान हुआ है। यहां से जम्मू के कुछ रक्षा प्रतिष्ठानों को भी कॉल गई है। उन्होंने आगे बताया, इन सिम बॉक्सों में डायनामिक आईएमईआई सिस्टम का भी इस्तेमाल किया गया है, जो टेलिकॉम मंत्रालय की ओर से अवैध है।

ऐसे हुआ मामले का खुलासा!
पुलिस अधिकारी ने बताया कि मई के बीच में यहां से कई संदिग्ध फोन कॉल जम्मू में तैनात सेना से जुड़े लोगों को किए गए। इसमें लद्दाख से जुड़ी कुछ जानकारी भी ली गई थी। फोन करने वाले ने अपनी नकली पहचान बताई थी, जिसके बाद मामले में संदेह हुआ और आर्मी इंटेलिजेंस ने इसकी जानकारी मुंबई पुलिस को दी। इस मामले में नेपाल और खाड़ी देशों के कुछ कनेक्शन भी सामने आए हैं और उनकी जांच की जा रही है।

पुलिस ने इस मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार शख्स के पास से एक लैपटॉप, 191 सिम, मॉडम, बैटरी और कनेक्टर बरामद हुए हैं। पुलिस ने बताया कि फिलहाल पाकिस्तान से जुड़े जासूसी नेटवर्क के होने की किसी भी संभावना की पुष्टि नहीं की जा सकी है। इस एक्सचेंज का इस्तेमाल जासूसी के लिए किया जा रहा था या फिर विदेशी कॉल से मिलने वाले राजस्व को बचाने के लिए। जांच पूरी होने के बाद ही इसका पता चल पाएगा।