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मुंबई: लॉकडाउन की उड़ी धज्जियां, टूटा हजारों प्रवासी मजदूरों के सब्र का बांध!

मजदूरों ने कहा- खाने के पैसे नहीं, हर हाल में हमें गांव भेजो…

मुंबई: देश में लॉकडाउन को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है। इस बीच, मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों की भीड़ इकट्ठा हो गई। ये सभी मजदूर गांव जाने के लिए स्टेशन पर पहुंचे थे। मजदूरों को उम्मीद थी कि आज लॉकडाउन खत्म हो जाएगा।
मिली जानकारी के अनुसार, मंगलवार को अचानक लगभग शाम 4 बजे बांद्रा रेलवे स्टेशन पर पंद्रह सौ मजदूर पहुंच गए। बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के रहने वाले इन मजदूरों को भरोसा था कि आज लॉकडाउन खत्म हो जाएगा और वे पहली ट्रेन से ही अपने गांव वापस जाएंगे। इनमें से कई ऐसे मजदूर थे जिन्हें पता भी नहीं था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ा चुके हैं। कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित मुंबई में इतनी भारी भीड़ देखकर पुलिस अधिकारियों के पसीने छूट गए।
बांद्रा स्टेशन पर जुटी हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूरों की भीड़ अपने-अपने घर जाने देने की मांग करने लगे। बताया जा रहा है कि कई लोगों के पास बांद्रा स्टेशन से ट्रेन खुलने का मेसेज मिला था। इसके बाद यहां हजारों की भीड़ जुट गई। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज भी करनी पड़ी। हालाँकि स्थानीय नेता बाबा सिद्दीकी के हस्तक्षेप के बाद भीड़ तितर-बितर हो गई।
इस पूरे मामले पर गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को फोन कर हालातों का जायजा लिया। इस दौरान गृहमंत्री ने ठाकरे से कहा कि इससे कोरोना वायरस के खिलाफ हमारी लड़ाई कमजोर होगी। प्रशासन को ऐसे हालातों से निपटने के लिए सतर्क रहना होगा। साथ ही उन्होंने पूर्ण समर्थन का भरोसा भी दिलाया।

लॉकडाउन खत्म होने की उम्मीद टूटी
इन मजदूरों की माने तो मुंबई में पिछले 20-25 दिनों से फंसे मजदूरों के पास कुछ नहीं बचा है, न खाने को सामान है और न काम मिल रहा है। ऐसे में उनके लिए अगले 20 दिन और गुजारना मुश्किल है, इसलिए वे किसी भी हाल में घर जाना चाहते हैं। जब रेलवे स्टेशन के अधिकारियों ने इन्हें समझाया कि ट्रेनें बंद हैं तो वे अधिकारियों की बात तक मानने को राजी नहीं हुए, इसके बाद पुलिसवालों को लाठीचार्ज करना पड़ा।
बता दें कि प्रवासी मजदूरों के अंदर एक भय का माहौल पैदा हो गया। इन्हें लगा कि अब इसी हाल में उन्हें पूरा मई महीना भी गुजारना पड़ेगा। इसके बाद मजदूर समूह बनाकर बांद्रा स्टेशन की ओर निकल पड़े। बांद्रा स्टेशन से ही दूसरे राज्यों की लंबी दूरी की ट्रेनें खुलती हैं। कई मजदूर अफवाहों पर यकीन कर भी यहां तक पहुंच गए। बता दें कि महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने पहले ही महाराष्ट्र में लॉकडाउन को 30 अप्रैल तक बढ़ाने की घोषणा कर दी थी।

महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने क्या कहा
महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा है कि हम मजदूरों के खाने-पीने की व्यवस्था कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने प्रवासी मजदूरों को समझाने का प्रयास किया और वे मान गए हैं। देशमुख ने कहा कि मुंबई में बांद्रा स्टेशन के पास एकत्र हुए प्रवासी मजदूरों/कामगारों ने संभवत: सोचा होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों की सीमाएं खोलने का आदेश दे दिया है। उन्होंने कहा कि बांद्रा में एकत्र हुए मजदूरों के खाने-पीने की व्यवस्था राज्य सरकार करेगी।

आदित्य ठाकरे ने क्या कहा
महाराष्ट्र सरकार के पर्यटन एवं पर्यावरण मंत्री और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। आदित्य ने कहा कि बांद्रा स्टेशन पर ताजा स्थिति और सूरत में मजूदरों का उपद्रव केंद्र सरकार की विफलता की वजह से है। उन्होंने कहा कि प्रवासी मजूदरों को वापस घर भेजने की व्यवस्था पर केंद्र सरकार कोई फैसला नहीं कर पा रही है, उन्हें भोजन या रहने का ठिकाना नहीं चाहिए बल्कि वे घर वापस जाना चाहते हैं।
आदित्य ने ताबड़तोड़ किए ट्वीट्स में कहा- जिस दिन ट्रेनें बंद की गईं, राज्य सरकार ने आग्रह किया था कि ट्रेनें 24 घंटे के लिए चलाईं जाएं ताकि प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौट सकें।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे जी ने प्रधानमंत्री के साथ मुख्यमंत्रियों की वीडियो कॉन्फ्रेंस में भी यह मुद्दा उठाया था और प्रवासी मजूदरों को घर भेजने के लिए रोडमैप बनाने की मांग की थी। केंद्र द्वारा तैयार किया गया रोडमैप प्रवासी मजदूरों को एक राज्य से दूसरे राज्य में उनके घरों तक सुरक्षित और प्रभावकारी तरीके से पहुंचाने में मददगार होगा। यह मुद्दा केंद्र के साथ फिर उठाया गया है।
आदित्य ने कहा कि सूरत में भी कानून- व्यवस्था की ऐसी ही स्थिति है। उन्होंने कहा कि जहां-जहां प्रवासी मजदूर हैं सब जगह से यही फीडबैक है, लोग ठहरने या खाना खाने के लिए तैयार नहीं हैं। आदित्य ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में छह लाख से ज्यादा लोग विभिन्न कैंपों में रह रहे हैं।

देवेंद्र फडणवीस ने क्या कहा
बांद्रा में घटित घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार और महानगरपालिका की जिम्मेदारी है कि ऐसे लोगों की उचित व्यवस्था कराये। ये समय राजनीति करने का नहीं है। इनके मंत्री केंद्र सरकार पर ठीकरा फोड़ रहे हैं जो कि आश्चर्यजनक है।

लॉकडाउन बढ़ने की वजह से उनके मन में असंतोष था: मुंबई पुलिस प्रवक्ता
मुंबई पुलिस के प्रवक्ता (डीसीपी) प्रणय अशोक के अनुसार शाम 4 बजे के करीब 1500 दिहाड़ी मजदूर रेलवे स्टेशन के पास मुंबई उपनगरीय क्षेत्र बांद्रा (पश्चिम) बस डिपो पर एकत्रित हो गए और सड़क पर बैठ गए। लॉकडाउन बढ़ने की वजह से उनके मन में असंतोष था। दिहाड़ी मजदूर पास के पटेल नगरी इलाके में झुग्गी बस्तियों में किराए पर रहते हैं, वे परिवहन सुविधा की व्यवस्था की मांग कर रहे हैं ताकि वे अपने मूल नगरों और गांवों को वापस जा सकें। वे मूल रूप से पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के रहने वाले हैं।

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने क्या कहा
इस पूरे घटनाक्रम पर कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लॉकडाउन बढ़ाने के साथ ही इन मजदूरों के लिए पैकेज की घोषणा करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा घोषणा की गई 5 किलो अनाज काफी नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार को राशन कार्ड का रंग देखे बिना सभी को अनाज मुहैया कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को हर जन-धन खाते, विधवा महिला के खाते में 7500 रुपये ट्रांसफर करना चाहिए।

आज पीएम मोदी ने भी दिया था अफवाहों से बचने की सलाह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार सुबह 10 बजे राष्ट्र के नाम संबोधन किया और देश में 3 मई तक लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा कर दी। पीएम ने अपने संबोधन में देश की जनता से अफवाहों से बचने की सलाह दी थी। लेकिन मुंबई की घटना ने सबको चौंका दिया है।
कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए पिछले महीने लॉकडाउन लागू होने के बाद से दिहाड़ी मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। इससे उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि अधिकारियों और गैर-सरकारी संगठनों ने उनके भोजन की व्यवस्था की है, लेकिन उनमें से अधिकतर पाबंदियों के चलते हो रही दिक्कतों के चलते अपने मूल स्थानों को वापस जाना चाहते हैं।