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मुंबई: सभी के लिए लोकल ट्रेन चलाने को रेलवे तैयार, जल्द हो सकता है ऐलान

मुंबई: भारतीय रेलवे आम जनता के लिए लोकल ट्रेन फिर से शुरू करने को तैयार है। रेलवे का कहना है कि करीब 90 फीसद सेवाएं चलने लगी हैं, तो बची 10 फीसद चलाने में कोई समस्या नहीं है। इससे मुंबईकरों को नए साल में उम्मीद बन गई है कि जल्द ही लोकल ट्रेनों में सभी को सफर करने की अनुमति मिलेगी। हालांकि अक्टूबर के बाद से राज्य सरकार की ओर से रेलवे से इस संबंध में कोई आधिकारिक बातचीत नहीं हुई है।

15 लाख यात्री रोज कर रहे सफर
फिलहाल रोज औसतन 15 लाख यात्री लोकल ट्रेनों में सफर कर रहे हैं। रेलवे के एक आला अधिकारी के मुताबिक, जब यात्री बढ़ेंगे, तब धीरे-धीरे सभी सर्विस बढ़ानी ही होंगी। रेलवे के सूत्रों के मुताबिक, समय का वर्गीकरण करने के बजाय रेलवे सभी ट्रेनों में पूरी क्षमता से यात्रियों को चलाने की अनुमति दे सकती है।

बता दें कि मुंबई की लाइफलाइन कही जाने वाली लोकल ट्रेन में रोजाना सफर करने वालों की संख्या लगभग 80 लाख के ऊपर है। मुबंईवासियों के लिए लोकल ट्रेन करीब 22 घंटे पटरी पर दौड़ती है। सामान्य नागरिकों के लिए लोकल सेवाएं चलाने को लेकर पिछले दो दिनों से राज्य और रेलवे के बीच कशमकश चल रही है। राज्य सरकार द्वारा जिस तरह यात्रियों का वर्गीकरण ट्रेनें चलाने की मांग की गई थी, उससे सोशल डिस्टेंसिंग से समझौता होना संभव है। हालांकि, रेलवे द्वारा सभी 3141 सेवाएं चलाने की तैयारी चल रही है, लेकिन 24 लाख से ज्यादा यात्रियों को सेवा देना फिलहाल मुश्किल नज़र आ रहा है। रेलवे के आला अधिकारी के अनुसार, जिस तरह बसों में सामान्य लोगों को अनुमति देने के बाद सेवाएं चलाई गई थीं, लेकिन पीक आवर्स में लोगों की भीड़ और लंबी कतारें नजर आती थीं, वो स्थिति रेलवे में पैदा नहीं होनी चाहिए।

मीटिंग में निकल सकता है हल
सूत्रों की मानें तो रेलवे द्वारा जवाब लिखने के बाद फिलहाल राज्य प्रशासन किसी युक्ति ढूंढने में जुटा है। रेलवे ने जवाब में इस बात पर जोर दिया था कि समस्या का कोई तकनीकी हल निकालना होगा। राज्य को अतिरिक्त सुरक्षा देनी होगी। यात्रियों का वर्गीकरण सही ढंग से करना होगा। इन तमाम बिंदुओं पर अगले सप्ताह हाई लेवल की मीटिंग हो सकती है। राज्य सरकार और रेलवे के बीच मीटिंग का मुद्दा रहेगा 56 लाख यात्री, जिन पर निर्णय लिया जाना है।

मुंबई में लॉकडाउन से पहले रोजाना कुल 3141 सर्विस चलती थीं, इससे करीब 80 लाख यात्री सफर करते थे, औसतन 2546 यात्री प्रति लोकल का आंकड़ा था। पीक आवर्स में करीब 4500 यात्री प्रति लोकल चलते थे, जबकि 12 डिब्बों की एक लोकल की क्षमता करीब 1200 यात्री की होती है। कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग की शर्तों को पालने के लिए प्रति लोकल केवल 700 यात्री ही ट्रैवल कर सकते हैं। इस शर्त को यदि बरकरार रखना होगा, तो करीब 56 लाख यात्रियों के लिए यात्रा का संकट पैदा होने वाला है।

लॉकडाउन से पहले के आंकड़े
लॉकडाउन से पहले पश्चिम और मध्य रेलवे को मिलाकर कुल 3141 सेवाओं से करीब 80 लाख यात्री चलते थे। इसमें पहली ट्रेन रवाना होने से लेकर सुबह 8 बजे तक कुल 485 सेवाओं में तकरीबन 7.5 लाख लोग यात्रा करते थे। इसके बाद शुरू होते थे पीक आवर्स। सुबह 8 बजे से सुबह 11 बजे तक कुल 603 सर्विस में तकरीबन 22 लाख लोग यात्रा करते थे। सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक कुल 751 सर्विस में करीब 19 लाख यात्री सफर करते थे। फिर शाम 4 बजे से रात 8 बजे तक कुल 743 सर्विस में करीब 25 लाख लोग यात्रा करते थे। रात 8 बजे के बाद आखिरी लोकल चलने तक कुल 699 सेवाओं में करीब 7 लाख यात्री होते थे।

ये है मौजूदा स्थिति?
लॉकडाउन के बाद अब पहले पश्चिम और मध्य रेलवे को मिलाकर कुल 1410 सेवाओं से करीब 9 लाख यात्री चलते थे। इसमें पहली ट्रेन रवाना होने से लेकर सुबह 8 बजे तक कुल 200 सेवाओं में तकरीबन 1 लाख लोग यात्रा करते हैं। सुबह 8 बजे से सुबह 11 बजे तक कुल 299 सर्विस में तकरीबन 2.41 लाख लोग यात्रा करते हैं। सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक कुल 321 सर्विस में करीब 2.10 लाख यात्री सफर करते हैं। फिर शाम 4 बजे से रात 8 बजे तक कुल 342 सर्विस में करीब 2.31 लाख लोग यात्रा करते हैं। रात 8 बजे के बाद आखिरी लोकल चलने तक कुल 248 सेवाओं में करीब 60 हज़ार यात्री होते हैं।

टिकट देने की विकट समस्या
हाल ही में जब महिलाओं को शर्तों के साथ अनुमति मिली तब स्टेशनों पर टिकटों के लिए लंबी कतारें देखी गई। यदि 9 लाख यात्रियों में वर्गीकरण के कारण परेशानी हो रही है, तो 24 लाख यात्रियों के लिए ज्यादा संकट हो सकता है।
रेलवे ने बताया कि सामान्य यात्रियों को अनुमति देने के बाद बुकिंग खिड़कियों पर उलझनें बढ़ सकती हैं। इसलिए एटीवीएम, यूटीएस मोबाइल ऐप इत्यादि के माध्यम से भी टिकट वितरण शुरू करने होंगे। रेलवे ने कहा कि इन वैकल्पिक टिकटिंग व्यवस्थाओं में यात्रियों के वर्गीकरण का कोई विकल्प नहीं होता है, इसलिए टिकटिंग व्यवस्था को लेकर भी फिलहाल संशय दूर करने की ज़रूरत है।

बीएमसी टास्क फोर्स के सदस्य डॉक्टर गौतम भंसाली के अनुसार, लंबे समय तक लोगों को विभिन्न सेवाओं से वंचित नहीं रखा जा सकता है। लोकल में सफर करते वक्त यात्रियों कड़ाई से नियम का पालन करना जरूरी है, क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही के कारण एक संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफा हो सकता है।