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राज ठाकरे की धमकी का असर: मुंबई की 72% फीसदी मस्जिदों ने कम की लाउडस्पीकर की आवाज़

मुंबई,(राजेश जायसवाल): महाराष्ट्र में लाउडस्पीकर को लेकर जारी विवाद के बीच मुंबई में मौजूद 72 फीसदी मस्जिदों ने अजान के दौरान लाउडस्पीकर की आवाज़ को कम कर दिया है। इसके अलावा कई मस्जिदों ने सुबह की अजान के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल भी बंद कर दिया है। मुंबई पुलिस द्वारा हाल में जारी किए गए सर्वे में ये बात सामने आई है।
महाराष्ट्र पुलिस का ये सर्वे ऐसे समय पर आया है जब ‘ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलेमा’ संगठन की मुंबई शाखा ने मुंबई पुलिस से लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर परमिशन मांगी है। संगठन ने कहा कि कुछ लोग नमाज़ के दौरान लाउडस्पीकर का इस्तेमाल बंद कराना चाहते हैं इसलिए उन्होंने मुंबई पुलिस से इजाजत मांगी है।
संगठन ने अपने बयान में कहा है कि उन्होंने मुंबई पुलिस आयुक्त संजय पांडे को पत्र देकर इस मामले में जरूरी दिशानिर्देश जारी करने का अनुरोध किया है। ‘ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलेमा’ के स्टेट यूनिट प्रेसिडेंट मोईनुद्दीन अशरफ ने कहा कि मुंबई की मस्जिदें लाउडस्पीकर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पहले से ही पालन कर रही हैं। अशरफ ने मुंबई पुलिस कमिश्नर से अनुरोध किया है कि वो सभी पुलिस स्टेशनों को मस्जिद में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की इजाजत देने का निर्देश जारी करें।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने 2 अप्रैल को धमकी दी थी कि अगर महाराष्ट्र सरकार 3 मई तक मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटवाने में नाकाम होती है तो उनकी पार्टी के कार्यकर्ता नमाज़ के वक्त मस्जिद के सामने बड़े-बड़े स्पीकरों पर ‘हनुमान चालीसा’और भजन बजायेंगे।

इसके बाद महाराष्ट्र के गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर कहा था कि डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस और मुंबई पुलिस कमिश्नर मिलकर पब्लिक प्लेस में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर गाइडलाइंस बना रहे हैं जो जल्दी ही जारी की जाएगी। उन्होंने ये भी कहा था कि हम राज्य में कानून व्यवस्था पर नज़र बनाए हुए हैं और जो भी राज्य में शांति भंग करने की कोशिश करेगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इसी विवाद के बीच नासिक पुलिस कमिश्नर दीपक पांडे ने कहा था कि कोई पार्टी या नेता अजान के 15 मिनट पहले या बाद में लाउडस्पीकर पर भजन चलाने का विचार कर रहा है तो उसे पुलिस से परमिशन लेनी होगी। उन्होंने कहा था कि इस आदेश का पालन न करने वाले को 6 महीने की जेल होगी।

क्या महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की जगह लेने को बेताब है राज?
काफी दिनों से खामोश बैठे मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने अब लाउडस्पीकर मुद्दे को हवा देकर शिवसेना को हिंदुत्व के मुद्दे पर घेरना शुरू कर दिया है। राज ठाकरे के इस आक्रामक रवैये से महाराष्ट्र सरकार समेत शिवसेना भी कुछ हद तक बैकफुट पर आती हुई नज़र आ रही है। इसका ताजा उदाहरण है महाराष्ट्र सरकार का लाउडस्पीकर संबंधी वह फैसला जिसमें सरकार ने यह आदेश दिया है कि धार्मिक स्थल पर बिना इजाजत लाउडस्पीकर नहीं लगाए जा सकेंगे।
बता दें कि राज ठाकरे ने आगामी 3 मई तक महाराष्ट्र में मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर को हटाने का अल्टीमेटम दिया था। उन्होंने कहा था कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर उनकी पार्टी के कार्यकर्ता मस्जिदों के बाहर तेज आवाज़ में स्पीकर पर ‘हनुमान चालीसा’ बजाएंगे।
इससे साफ तौर पर यह समझा जा रहा है कि राज ठाकरे अब मराठी मानुस के अलावा शिवसेना के ‘हिंदुत्व’ को भी छीनने का दांव चला है। मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर को लेकर राज ठाकरे ने महाराष्ट्र में जंग छेड़ दी है। उन्होंने कहा की लाउडस्पीकर का मुद्दा धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक है। यह बात मुस्लिम भाइयों को भी समझनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लाउडस्पीकर की आवाज से ना सिर्फ हिंदुओं बल्कि मुस्लिमों को भी तकलीफ होती है।
राज ठाकरे के पहले बीजेपी ने भी लाउडस्पीकर के मुद्दे को उठाया था। हालांकि, वे इस मुद्दे को भुना नहीं पाए। जब राज ठाकरे ने यह मुद्दा अपने हाथ में लिया और लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा सुनाने की बात कही। तब वो दोबारा सुर्खियों में आ गए।
राज ठाकरे यह भली-भांति जानते हैं कि किस मुद्दे को कब और कैसे उठाना है। आगामी कुछ महीनों में बीएमसी के अलावा महाराष्ट्र के कई जिलों में नगरपालिका और नगर परिषद के चुनाव होने हैं। इसके अलावा दो साल बाद यानी 2024 में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में उन्होंने अभी से राजनीति के शतरंज पर बिसात बिछानी शुरू कर दी है।
कुल मिलाकर राज ठाकरे के दोबारा एक्टिव होने से महाराष्ट्र की सियासत में क्या कुछ बदलाव देखने को मिलेगा यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन यह सवाल उठने लगा है कि क्या राज ठाकरे महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की जगह ले पाएंगे? क्या आने वाले भविष्य में महाराष्ट्र की सियासत में बीजेपी और मनसे का गठबंधन संभव हो सकता है? हालांकि, राजनीतिक पंडितों का यह भी मानना है कि राजनीति में कभी भी कुछ भी संभव हो सकता है।