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सरकारी अस्पतालों में अवैध गर्भपात की जांच के लिए बनी समिति, जांच कर सरकार को सौंपनी होगी रिपोर्ट

मुंबई: प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में होने वाले अवैध गर्भपात के मामलों की जांच के लिए समिति गठित की गई है। इस समिति के अध्यक्ष सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक अजित पारसनीस हैं।
सोमवार को राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने इस संबंध में शासनादेश जारी किया। इसके अनुसार समिति को राज्य में हुई अवैध गर्भपात की घटनाओं की जांच कर रिपोर्ट सरकार को सौंपनी होगी। समिति को ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार कारणों का पता लगाना होगा। साथ ही ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं होने की दृष्टि से उपाय सुझाने होंगे। समिति के सदस्य के रूप में राज्य के स्वास्थ्य सेवा के सेवानिवृत्त निदेशक सुभाष सालुंखे और मुंबई के जे जे अस्पताल की स्त्रीरोग विभाग प्रमुख को शामिल किया गया है। पुणे के राज्य परिवार कल्याण कार्यालय के स्वास्थ्य सेवा के सहायक निदेशक समिति के सदस्य सचिव होंगे।
इस समिति को अवैध गर्भपात की घटना होने के दिन से एक महीने के भीतर जांच रिपोर्ट सरकार को देनी होगी। समिति को निश्चित समय में रिपोर्ट सौंपनी अनिवार्य होगी। समिति के सदस्यों के कामकाज के लिए दैनिक भत्ता, किराए के वाहन और रहने की व्यवस्था आदि सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके लिए आने वाले खर्च का वहन सोनोग्राफी केंद्रों के पंजीयन से राज्य में जमा हुए शुल्क से करने को कहा गया है।

विधानसभा में मंत्री ने की थी घोषणा
दरअसल नाशिक जिला अस्पताल में अवैध गर्भपात का मामला सामने आने पर 7 अप्रैल 2017 को तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री दीपक सावंत ने विधानसभा में सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक के माध्यम से जांच करवाने का आश्वासन दिया था। इसके लिए एक समिति बनाई गई थी, लेकिन यह समिति केवल नाशिक जिले के लिए बनाई गई थी। इस कारण राज्य के दूसरे जिलों में होने वाली अवैध गर्भपात की घटनाओं की जांच कर पाना संभव नहीं था। इसके मद्देनजर सरकार ने राज्य के दूसरे जिलों में अवैध गर्भपात की घटनाओं की जांच के लिए समिति गठित करने का फैसला किया है।