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सुप्रीम कोर्ट से भी केंद्रीय मंत्री राणे को नहीं मिली राहत; अगले दो महीने में खुद ही बहुमंजिला बंगले से अवैध निर्माण हटाना होगा, नहीं तो…

मुंबई/नयी दिल्ली: केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को SC से बड़ा झटका लगा है. अदालत ने बीजपी नेता व केंद्रीय मंत्री की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें ‘आदिश बंगले’ में कथित अनधिकृत निर्माण को तोड़ने के बॉम्बे होईकोर्ट के आदेश को रोकने की मांग की गई थी.
अदालत के फैसले के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री राणे को अगले दो महीने में खुद ही अवैध निर्माण को गिराना होगा. ऐसा नहीं करने पर बृहन्मुंबई महानगरपालिका इमारत पर हथौड़ा चलाएगी.
आरटीआई एक्टिविस्ट संतोष दौंडकर ने बीएमसी में शिकायत की थी कि नारायण राणे के बंगले में अनधिकृत निर्माण हुआ है. दौंडकर का आरोप है कि आठ मंजिला बंगले के निर्माण के दौरान सीआरजेड के नियमों का उल्लंघन किया गया है. इसके बाद बीएमसी ने जुहू स्थित ‘आदिश बंगले’ को धारा 351(1) का नोटिस जारी कर पूछा था कि उपरोक्त बंगले में अनधिकृत निर्माण किया गया है. इसके बाद बीएमसी अधिकारियों ने केंद्रीय मंत्री राणे को यह साबित करने के लिए कहा था कि बंगले में किए गए परिवर्तन स्वीकृत किए गए नक्शे के अनुसार हैं या नहीं? फिर राणे ने सारे दस्तावेज नगरपालिका को दिखाए लेकिन बीएमसी उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुई और उन्हें फिर नोटिस भेजा गया.

राणे ने सुप्रीम कोर्ट में बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने के लिए याचिका लगाई थी, जिसमें मुंबई के जुहू स्थित उनके ‘आदिश बंगले’ में अनधिकृत संरचनाओं को ध्वस्त करने का फैसला बीते 20 सितंबर को बरकरार रखा गया था. उन्हें पहले के आदेशों को लागू कानूनों के अनुपालन में लाने के लिए 3 महीने का समय दिया था, जिसमें विफल रहने पर हाईकोर्ट के फैसले को लागू करने का निर्देश दिया गया.

गौरतलब है कि जुहू समुद्र के किनारे पर बने बहुमंजिला बंगले को लेकर नारायण राणे ने फरवरी में अपनी सफाई में कहा था कि बंगले के निर्माण के दौरान किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है. उन्होंने पलटवार करते उस वक्त के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर बांद्रा स्थित उनके नए बंगले ‘मातोश्री-2’ के निर्माण के दौरान नियम की अनदेखी करने का आरोप लगाया था. राणे और उद्धव की राजनीतिक दुश्मनी 17 साल पुरानी है. चर्चा है कि यह जांच भी उसी दुश्मनी का नतीजा है.