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30 सप्ताह का गर्भ गिराने की मिली इजाजत , सांगली में अवैध गर्भपात के मामले छापेमारी और कार्रवाई

मुंबई , बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को 33 साल की एक महिला को उसके 30 सप्ताह के गर्भ को गिराने की इजाजत दे दी है। दरअसल, भ्रूण के मेडिकल परीक्षण में मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड के असामान्य होने का पता चला था। इसके अतिरिक्त जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ए.एस. गडकरी ने महिला के अनुरोध को मंजूर करते हुए नासिक के एक प्राइवेट क्लिनिक में गर्भपात कराने की मंजूरी दे दी।
बता दें कि महिला का एक 5 साल का बच्चा है जिसे डॉउन सिंड्रोम है। इसी कारण से महिला और उसके पति ने कोर्ट का रुख कर गर्भपात की अनुमति मांगी थी। उन्होंने कहा था कि वे पहले से ही एक दिव्यांग बच्चे की देखभाल कर रहे हैं और मौजूदा गर्भावस्था को जारी रखने के लिए मजबूर करने पर उन्हें और अधिक शारीरिक एवं भावनात्मक आघात पहुंचेगा। कुछ समय पहले इसी अदालत के निर्देश पर सरकारी जेजे अस्पताल ने मां और भ्रूण का परीक्षण करके गर्भपात कराने की सिफारिश की थी। इसके बाद सरकार ने यह गर्भपात नासिक के प्राइवेट क्लिनिक में कराने की मांग का विरोध किया था। उसका कहना था कि कानून के अनुसार, गर्भपात सरकारी अस्पताल में ही होना चाहिए। महिला के वकील ने अदालत को बताया कि नासिक के क्लिनिक के डॉक्टर महिला की केस हिस्ट्री को जानते हैं, इसलिए वहीं गर्भपात कराना ठीक होगा। अदालत ने यह बात मान ली।
क्या कहता है भ्रूण हत्या कानून : गर्भपात कानून के तहत यानी एमटीपी ऐक्ट के तहत किसी एक डॉक्टर की सलाह पर 12 हफ्ते तक के भ्रूण का गर्भपात कराया जा सकता है। 12 से 20 हफ्ते के भ्रूण के लिए दो चिकित्सकों की राय जरूरी होती है जबकि 20 हफ्ते से अधिक के भ्रूण का गर्भपात कराने की इजाजत कानून उसी स्थिति में देता है जब गर्भावस्था को जारी रखने से मां या बच्चे के जीवन को खतरा हो।
वहीँ महाराष्ट्र के सांगली में अवैध गर्भपात के मामले में डॉ. रुपाली चौगुले व पति डॉ. विजय कुमार चौगुले दंपति को गिरफ्तार किया गया है। शहर के चौगुले हॉस्पिटल पर जिला चिकित्सा एवं पुलिस द्वारा छापेमारी और कार्रवाई करते हुए इस गोरख धंधे का पर्दाफाश किया गया।
इस बीच चौगुले अस्पताल का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया है और आरोपी डॉक्टर दंपत्ति जो सरकारी नौकरी में भी है उन्हें निलंबित करने की शिफारिश की गई है।