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CM खट्टर ने उत्तराखंड त्रासदी कोष में दिए 11 करोड़ रुपये, बोले- देवभूमि की हरसंभव मदद करेगा हरियाणा

चंडीगढ़: हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने उत्तराखंड त्रासदी कोष में अपने स्वैच्छिक कोष से 11 करोड़ रुपये दिए हैं। खट्टर ने मंगलवार को चंडीगढ़ में कहा कि संकट की इस घड़ी में हरियाणा सरकार, देवभूमि उत्तराखंड के साथ खड़ी है और आपदा से निपटने में हरसम्भव सहयोग किया जाएगा।
गौरतलब है कि दो दिन पूर्व ही उत्तराखंड में जोशीमठ के पास ग्लेशियर फटने के कारण जान-माल का भारी नुकसान हुआ था। इस सिलसिले में राहत और बचाव कार्य वहां जोरों पर हैं जिसमें हरियाणा सरकार ने आर्थिक सहायता के साथ हर तरह के सहयोग की पेशकश की है।
सीएम खट्टर ने आज उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को टैग करते हुए एक ट्वीट कर कहा, ‘देवभूमि उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से आई आपदा ने बहुत सी अनमोल जिंदगियों पर प्रभाव डाला है। इस प्राकृतिक आपदा से उत्पन्न हुई परिस्थितियों से निपटने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से 11 करोड़ की राशि दी जाएगी। इसके अलावा हरियाणा द्वारा हरसंभव मदद प्रदान की जाएगी।’
इसके जवाब में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा, ‘आदरणीय मनोहर लाल खट्टर जी का मैं उत्तराखंड की समस्त जनता की तरफ़ से हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ’।

मृतकों की संख्या 31 हुई…लापता लोगों की तलाश युद्धस्तर पर जारी
उत्तराखंड के चमोली जिले में ऋषिगंगा घाटी में आई बाढ़ में मरने वालों की संख्या मंगलवार को 31 तक पहुंच गई, जबकि एनटीपीसी की क्षतिग्रस्त तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना की सुरंग में फंसे 30-35 लोगों को बाहर निकालने के लिए सेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी और एसडीआरएफ का संयुक्त बचाव और राहत अभियान युद्धस्तर पर जारी है।
रविवार को ऋषिगंगा घाटी में पहाड़ से गिरी लाखों मीट्रिक टन बर्फ के कारण ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में अचानक आई बाढ़ में अभी करीब 170 अन्य लोग लापता हैं। एसडीआरएफ के अधिकारियों ने बताया कि अभी तक 28 व्यक्तियों के शव विभिन्न एजेंसियों द्वारा अलग-अलग स्थानों से बरामद हो चुके हैं। एसडीआरएफ ने कहा कि उनके तलाशी दस्ते रैंणी, तपोवन, जोशीमठ, रतूडा, गौचर, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग क्षेत्रों में अलकनंदा नदी में शवों की तलाश कर रहे हैं।
सोमवार शाम को आपदाग्रस्त तपोवन क्षेत्र पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार सुबह क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया और हादसे में घायल हुए लोगों से अस्पताल में मुलाकात की और उनका हालचाल जाना। ऋषिगंगा और तपोवन बिजली परियोजनाओं में काम करने वाले और आसपास रहने वाले करीब आधा दर्जन लोग आपदा में घायल हुए हैं। तपोवन में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि इस समय प्राथमिकता सुरंग के अंदर फंसे लोगों तक पहुंचने और ज्यादा से ज्यादा लोगों का जीवन बचाना है।
एनटीपीसी की सुरंग में बचाव और राहत कार्यों के संचालन में भारी मलबे तथा उसके घुमावदार होने के कारण आ रही मुश्किलों के बावजूद उसका आधे से ज्यादा रास्ता अब तक साफ किया जा चुका है और अधिकारियों को उम्मीद है कि जल्द ही वहां फंसे लोगों से संपर्क हो सकेगा।