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अब महाराष्ट्र में कैदियों को मिलेगा कर्ज

मुंबई: महाराष्ट्र के जेल में बंद कैदी भी अब कर्ज ले सकेंगे। देश में इस तरह का पहला प्रयोग पुणे के येरवडा जेल से शुरू किया जाएगा। मंगलवार को सह्याद्री अतिथिगृह में गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटील की अध्यक्षता में आला-अधिकारियों के साथ हुई एक बैठक में इस योजना को मंजूरी दी गई। जिसके बाद इससे जुड़ा शासनादेश भी जारी कर दिया गया। योजना के तहत सश्रम कारावास की सजा भुगत रहे कैदी महाराष्ट्र को-आपरेटिव बैंक से 7 फीसदी ब्याज दर पर 50 हजार रुपए तक का कर्ज ले सकेंगे। लिए गए कर्ज का भुगतान कैदी जेल में काम के बदले मिलने वाले वेतन के जरिए कर सकेंगे। इस पैसे का इस्तेमाल कैदी अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियां पूरी करने या वकील की फीस चुकाने के लिए भी कर सकते हैं। सरकार को उम्मीद है कि इस योजना के जरिए कैदी अपने जीवन में बदलाव ला सकेंगे साथ ही जेल से छूटने के बाद वे बेहतर जीवन के लिए कदम उठा सकेंगे। मौजूदा योजना का लाभ करीब 1055 कैदियों को मिलेगा। गृहमंत्री पाटील ने कहा कि जेलों में बंद ज्यादातर लोग लंबी सजा काटते हैं। इनमें से ज्यादातर अपने परिवार के मुखिया होते हैं। जेल में होने के चलते वे पारिवारिक जिम्मेदारियां पूरी नहीं कर पाते जिसके चलते उनके मन में हताशा और निराशा घर कर लेती है। जरूरत पर कर्ज मिलने से परिवार में उनकी स्वीकार्यता और उनके लिए प्रेम बढ़ेगा जिससे जेल से रिहा होने के बाद उनके पुनर्वास में भी मदद मिलेगी।

इस आधार पर तय होगा कर्ज
कर्ज के लिए कैदियों को कोई चीज गिरवी नहीं रखनी होगी साथ ही किसी गारंटर की भी मांग नहीं की जाएगी। लेकिन किसी कैदी को कर्ज के रुप में कितनी रकम मिलेगी यह इस बात पर निर्भर करेगा कि उसकी कितनी दिन की सजा बाकी है। उसे साल में कितने दिन काम मिलता है और प्रतिदिन का वेतन कितना है। सजा में मिलने वाली संभावित छूट का भी आंकलन किया जाएगा। कर्ज वापसी की रकम में से एक फीसदी रकम कैदियों की कल्याण निधि में जमा किया जाएगा।