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अस्पताल में आग..! जिंदगी के लिए लड़ रहे 6 मासूम , अब तक 8 की मौत..

मुंबई , अंधेरी के अस्पताल में लगी आग में आठ लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, लेकिन कई अब भी अस्पतालों में जिंदगी-मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार, विभिन्न अस्पतालों में भर्ती 26 लोगों की स्थिति नाजुक बनी हुई है, जिनमें से 6 बच्चे हैं। सभी बच्चों का इलाज अंधेरी के होली स्प्रिट अस्पताल में चल रहा है।
अस्पताल के अनुसार, यहां कुल 7 बच्चों को लाया गया था, जिनकी उम्र 1-2 महीने के बीच है। इसमें से एक बच्चे को मृत अवस्था में अस्पताल लाया गया था। हालांकि उसके शरीर पर कहीं भी जलने के निशान नहीं हैं। संभवत: धुएं के कारण दम घुटने से उसकी मौत हुई होगी। मौके पर पहुंचे महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. दीपक सावंत ने बताया कि घायलों के इलाज का खर्च एसआईईसी कॉर्पोरेशन उठाएगा। आग के कारण होने वाली मौतों और गंभीर रूप से घायल लोगों को श्रम मंत्रालय मंगलवार को आर्थिक मदद की घोषणा करेगा।
गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में हुए भानु फरसाण और कमला मिल हादसों को लोग अब तक नहीं भूले हैं। आग की दो बड़ी घटनाओं में 26 लोग मारे गए थे। फिर सोमवार की आग ने पिछले साल की यादों को ताजा कर दिया। 18 दिसंबर को साकीनाका स्थित भानु फरसाण में आग लगने से अंदर रहे 12 मजदूरों की मौत हो गई थी, जबकि 29 दिसंबर को कमला मिल कंपाउंड के दो रेस्त्रां में लगी आग में 14 लोग मारे गए थे। इसके बाद से फायर ब्रिगेड की व्यवस्था में कई बदलाव किए गए। नया विभाग ही बना दिया गया। तमाम प्रक्रियाओं को बदला गया। जानकारों के अनुसार, मुंबई जैसे सघन महानगर में नियमों की अनदेखी से इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं।
अस्पताल में चल रहे काम के चलते फायर ब्रिगेड की ओर से अंतिम मंजूरी नहीं मिली थी। 2009 में अस्पताल को एक अंतरिम एनओसी जारी की गई थी, जिसके बाद इसी साल अक्टूबर के आस-पास फिर अंतरिम एनओसी ही दी गई। अस्पताल ने अंतिम एनओसी के लिए फायर ब्रिगेड के पास आवेदन किया था, लेकिन कुछ कमियों के चलते बदलाव करने का निर्देश दिया गया था। डिविजनल फायर ऑफिसर मिलिंद ओगले ने कहा कि अस्पताल को हमने जरूरी बदलाव सुझाए थे। इसी की वजह से अंतिम एनओसी नहीं मिली थी। अस्पताल की ओर से नियमों के पालन में पूरी कोशिश की जा रही थी, यह एक दुर्भाग्यपूर्ण हादसा है।
अस्पताल में लगी आग में ज्यादातर लोग धुएं के कारण परेशान हुए। कूपर अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार, इलाज के लिए लाए गए ज्यादातर लोगों को सांस लेने की तकलीफ है। बचने के चक्कर में दो लोगों ने अस्पताल की बिल्डिंग की तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी। दोनों को कई चोटें आई हैं, फिलहाल उनका उपचार जारी है और अगले 48 घंटे उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। अस्पताल के डीन डॉ. गणेश शिंदे ने बताया कि इलाज के लिए भर्ती मरीजों में से अधिकतर की स्थिति सामान्य है।
अस्पतालों में फायर ऑडिट नहीं : आरटीआई ऐक्टिविस्ट शकील अहमद शेख ने दावा किया है कि उन्होंने बार-बार मुंबई महानगरपालिका को अस्पतालों में सुरक्षा उपायों की कमी को लेकर आगाह किया है, मगर इसका कोई असर नहीं हुआ है। शेख सभी कागजात लेकर अंधेरी अस्पताल में आग के घटनास्थल पर मौजूद थे। इसमें एक आरटीआई ये भी थी की मुंबई में जितने भी अस्पताल हैं, वहां अग्निसुरक्षा के उपकरण हैं क्या और फायर ऑडिट हुआ है क्या? 
जबाव में यही बताया गया कि हमारे पास ऐसी किसी प्रकार की जानकारी नहीं है। 3 जनवरी 2018 को महानगरपालिका और फायर ब्रिगेड को ध्यान दिलाया कि इस तरह के जितने भी अस्पताल हैं, उन सबकी जानकारी लेकर कार्रवाई की जाए। मगर एक वर्ष बीत जाने के वाद भी इस पत्र पर कोई भी कारवाई नहीं हुई। अगर वक्त रहते कारवाई की होती तो यह बड़ा हादसा टाला जा सकता था।