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उद्धव ठाकरे बोले- शिवसेना कोई चीज नहीं जो कोई चुरा ले जाए, ‘धनुष-बाण’ हमसे कोई नहीं छीन सकता!

मुंबई: उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद पहली बार शुक्रवार को अपने पैतृक आवास ‘मातोश्री’ में मीडिया से बातचीत की। इस दौरान पूर्व सीएम और शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे बदले नज़र आए। मुश्किल वक्त में उनके स्वभाव में नरमपन देखने को मिला।
मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि ‘धनुष-बाण’ के चिन्ह को शिवसेना से कोई भी अलग नहीं कर सकता। खास बात यह है कि राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद अटकलें लगाई जाने लगी थी कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट शिवसेना के चुनाव चिन्ह ‘धनुष-बाण’ पर दावा कर सकता है। वहीं, बगावत के समय गुवाहाटी में ठहरे विधायकों ने ‘शिवसेना बालासाहेब’ के नाम से नई पार्टी बनाने की भी बात कही थी।

वहीँ एकनाथ शिंदे गुट पर हमला करते हुए आज उद्धव ठाकरे का दर्द भी झलका। उन्होंने दुखी मन से कहा, कार्यकर्ता लगातार मुझसे मिलने आ रहे हैं। दो दिन पहले शिवसेना भवन में राज्यभर से महिला जिला प्रमुख आई। जो शेरनी जैसी बोल रहीं थी, परन्तु उनके आँख में आंसू थे। लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट है। मेरे शिवसैनिकों का मन दुखी है, लेकिन मैं और पार्टी उनके साथ खड़े हैं।
उद्धव ने कहा कि शिवसेना के चुनावी चिह्न को लेकर असमंजस है। लेकिन मैंने अपने कार्यकर्ताओं को साफ किया है कि कानूनी तौर पर कोई भी हमारा ‘धनुष-बाण’ हमसे छीन नहीं सकता। कानून और संविधान के जानकारों से चर्चा करके बता रहा हूं कि कोई भी हमारा सिंबल हमसे छीन नहीं सकता। शिवसेना कोई चीज नहीं है, जो कोई चुरा ले जाए।

उद्धव ठाकरे ने पार्टी के नेताओं का साथ देने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब पार्टी ने इस तरह की बगावत का सामना किया है। ठाकरे ने कहा कि विधायक आते और जाते हैं, लेकिन पार्टी का वजूद खत्म नहीं होता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘धनुष-बाण’ के चिन्ह को लेकर कोई संदेह नहीं है। यह शिवसेना का है और हमेशा रहेगा। हालांकि, इस पर फैसला भारत निर्वाचन आयोग लेगा। फिलहाल, यह मामला आयोग के सामने नहीं पहुंचा है।

निकायों में बगावत पर दी प्रतिक्रिया
शिवसेना विधायकों के बाद ठाणे और नवी मुंबई से पार्षदों के एकनाथ शिंदे के साथ जाने की की खबर को लेकर उद्धव ने कहा कि जो नगरसेवक एकनाथ शिंदे के साथ हैं, वे उनके साथ जुड़ रहे हैं। मुझे इस बात का अभिमान है कि शिवसेना ने सामान्य व्यक्ति को भी आगे बढ़ाया है। जो लोग शिवसेना की मदद से बड़े बने हैं, वे छोड़कर चले गए, लेकिन जिन लोगों ने शिवसेना को बड़ा बनाया वे अभी भी साथ हैं। कितने भी विधायक जाने दो, लेकिन पार्टी हमारी ही रहेगी। पार्टी पर जो भी फैसला आएगा उसकी मुझे चिंता नहीं है।

राष्ट्रपति चुनाव में सांसदों के क्रॉस वोटिंग की आशंका?
राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि मैं अपने सांसदों और पार्टी से चर्चा करूंगा और अपनी भूमिका तय करूंगा। यहां बताते चलें कि शिवसेना के 18 में से कई सांसद तो खुले तौर पर राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार मुर्मू के समर्थन में बोलने लगे हैं। सांसद राहुल शेवाले और सांसद राजेंद्र गावित ने तो उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का अनुरोध किया है। इसलिए राष्ट्रपति चुनाव के चलते शिवसेना सांसदों के एक बड़े गुट के क्रॉस वोटिंग करने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। सूत्रों की मानें तो विधायकों के बाद पार्टी के सांसदों की भी पक्ष बदलने की संभावना जताई जा रही है। बागियों में शामिल विधायक गुलाबराव पाटील ने दावा किया था कि 18 में से 12 सांसद हमारे साथ आने का फैसले ले सकते हैं।

इस दौरान उद्धव ठाकरे ने बागी विधायकों पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा, आप लोग उनके साथ बैठे हैं, जिन्होंने ठाकरे परिवार का अपमान किया है। उद्धव ठाकरे ने फिर दोहराया कि शिवसेना को साधारण लोगों ने बनाया। कुछ लोगों के जाने से पार्टी खत्म नहीं होती। उन्हें कोई दिक्कत थी तो मुझसे बोलते। विधिमंडल अलग चीज होती है, लेकिन पार्टी संगठन अलग होता है। जो विधायक मेरे साथ हैं, उन पर मुझे अभिमान है।

ढाई साल पहले मानी होती बीजेपी तो MVA नहीं बनता
उद्धव ठाकरे ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, आज जो बीजेपी ने किया है, अगर ढाई साल पहले की होती तो MVA का निर्माण ही नहीं होता। जनता सब देख रही है। अगर हम गलत हैं तो जनता हमें जवाब देगी चुनाव में, और वो सही हैं तो उन्हें जवाब देगी। मुझे न्याय पर विश्वास है और जो 12 तारीख को निर्णय आएगा उस पर पूरे देश की नज़र है।

उद्धव का चैलेंज- खेल से अच्छा एक बार फिर चुनाव लड़ लो
उद्धव ठाकरे ने आगे कहा कि आज जो वहां जाकर बातें कर रहे हैं, आपके जरिए मैं उन्हें कहता हूं कि ठाकरे परिवार को लेकर जिन शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं, उनके साथ बगल में बैठे हो और यहां प्रेम दिखा रहे हो। आज तक किसी ने ठाकरे परिवार को लेकर ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया था। यह जनता देख रही है। इतना खेल करने से अच्छा है कि एक बार फिर विधानसभा चुनाव लड़ लो, समझ आ जाएगा। अगर हमने गलती की होगी तो जनता मुझे जवाब देगी और तुमने किया जो उसका जनता जवाब देगी। जिसने ढाई साल तक हमारा अपमान किया उनके साथ खुश हो तो रहो। यह सम्मान के साथ हुआ होता। ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं होती।

सु्प्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार
शिवसेना प्रमुख ने कहा कि धमकियों के बावजूद जो 15-16 विधायक मेरे साथ रहे, उन पर मुझे गर्व है। यह देश ‘सत्यमेव जयते’ पर चलता है ‘असत्यमेव जयते’ पर नहीं। मुझे ईश्वर और न्याय व्यवस्था पर विश्वास है। उन्होंने कहा कि 11 जुलाई को आने वाला सुप्रीम कोर्ट का फैसला न केवल शिवसेना के भविष्य का फैसला करेगा, बल्कि भारतीय लोकतंत्र का भी फैसला करेगा। बता दें कि इस दिन शीर्ष अदालत 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा।

उद्धव ठाकरे ने वास्तव में क्या कहा?
इससे पहले उद्धव ठाकरे ने कहा था कि एकनाथ शिंदे के 40 विधायकों के विद्रोह और न्यायिक स्तर पर उस प्रक्रिया को दिए गए समर्थन को ध्यान में रखते हुए हम अब शिवसेना के ‘धनुष-तीर’ चिह्न खो सकते हैं। उन्होंने शिवसैनिकों से अपील करते हुए कहा कि अब नया चिह्न प्राप्त करेंगे। इसे कम समय में घरों तक पहुंचाने का प्रयास करें। इससे यह साफ तौर पर जाहिर हो गया है कि उद्धव ठाकरे को इस बात की चिंता सता रही है कि कानूनी लड़ाई में शिवसेना की पहचान खोनी पड़ सकती है।

11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट करेगा कई मामलों पर फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाए जाने के विरोध में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले धड़े की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है। इस याचिका पर 11 जुलाई को सुनवाई होगी।
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी की अवकाशकालीन पीठ ने शुक्रवार को कहा कि याचिका को 11 जुलाई को उचित पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।
शिवसेना नेता सुभाष देसाई की ओर से पेश सीनियर वकील देवदत्त कामत ने कहा कि वे अन्य लंबित याचिकाओं के साथ नई याचिका को सूचीबद्ध करने की अपील कर रहे हैं, जिन पर 11 जुलाई को सुनवाई होनी है। कामत ने कहा कि हम एकनाथ शिंदे की मुख्यमंत्री के तौर पर नियुक्ति को चुनौती दे रहे हैं।

शिंदे की अगुवाई में विधायकों की बगावत
महाराष्ट्र में ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को हाल में वरिष्ठ नेता शिंदे की अगुवाई में विधायकों की बगावत का सामना करना पड़ा। पार्टी के अधिकतर विधायकों ने शिंदे का पक्ष लिया, जिससे महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई। ठाकरे ने 29 जून को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और उसके एक दिन बाद शिंदे ने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।

उद्धव ठाकरे गुट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं। सभी मामलों पर 11 जुलाई पर एकसाथ सुनवाई होनी है। शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के बागी विधायकों के गुट के नए पार्टी सचेतक (व्हिप) को मान्यता देने के महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के आदेश के खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट ने याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट इस पर भी 11 जुलाई को सुनवाई करने के लिए सहमत हुआ है।