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ओबीसी आरक्षण को लेकर विपक्ष आक्रामक, दोनों सदनों में हुआ जमकर हंगामा

मुंबई: शुक्रवार को ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर महाराष्ट्र विधानसभा व विधान परिषद में विपक्ष ने सरकार को घेरा और उसकी नीयत पर सवाल उठाते हुए जमकर हंगामा किया। विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राज्य में ओबीसी समाज का राजनीतिक आरक्षण पूरी तरह खत्म हो गया है। राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में हंसी की पात्र बन गई। इस बीच सरकार ने तय किया है कि सोमवार को सरकार बगैर ओबीसी आरक्षण स्थानीय निकाय चुनाव रोकने के लिए नया विधेयक लाएगी।
फडणवीस ने सदन में कहा कि 13 दिसंबर 2012 को राज्य सरकार को आयोग तैयार कर ओबीसी का इम्पेरिकल डेटा जमा करने को कहा गया था, लेकिन सवा दो साल बीत जाने के बाद भी राज्य सरकार ने एक पैसे का काम नहीं किया। सर्वोच्च न्यायालय ने सवाल किया कि रिपोर्ट किस आधार पर तैयार की गई है तो राज्य सरकार के वकील जवाब नहीं दे पाए। जो अंतरिम रिपोर्ट दी गई उसमें दिनांक और हस्ताक्षर तक नहीं था जिस पर अदालत ने सवाल किया कि क्या यह कामकाज का तरीका है। डेटा कब जमा किया गया और कहां से जमा किया गया इसकी जानकारी नहीं थी। अदालत ने ओबीसी समाज के राजनीतिक रूप से पिछड़े होने से जुड़ा डेटा मांगा था लेकिन रिपोर्ट में उसका उल्लेख तक नहीं।
फडणवीस ने कहा कि सांगली में आटपाडी के 10 गांवों ने खुद 5 दिन में इम्पेरिकल डेटा जमाकर कलेक्टर को सौंप दिया और दिखा दिया कि 5 दिन में यह काम जमा हो सकता है। इसमें सरकार को सिर्फ यह तर्कसंगत तरीके से बताना था कि अगर आरक्षण न हो तो ओबीसी समाज को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा। लेकिन इसे लेकर भी रिपोर्ट में कुछ भी नहीं कहा गया।
फडणवीस ने सवाल किया कि क्या ओबीसी आरक्षण के बिना राज्य में चुनाव कराने को लेकर सरकार किसी के दबाव में है। उन्होंने कहा कि ओबीसी आरक्षण के बिना राज्य में एक भी चुनाव नहीं होना चाहिए। आने वाले समय में एक तिहाई महाराष्ट्र में चुनाव हैं अगर ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव हो गए तो फिर कभी ओबीसी आरक्षण लागू नहीं हो पाएगा। सरकार को मध्यप्रदेश सरकार की तर्ज पर काम करना चाहिए। हमारी मांग है कि सारा कामकाज छोड़कर ओबीसी आरक्षण पर चर्चा करे।

छगन भुजबल का पलटवार
राज्य के अन्न व नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने देवेंद्र फडणवीस पर पलटवार करते हुए कहा है कि हमसे 15 दिन में काम करने की अपेक्षा करने वाले फडणवीस ने अपनी 5 साल की सरकार के दौरान क्या किया? मोदी सरकार ने भी इस मामले में कुछ नहीं किया। विकास गवली कौन है और बड़े-बड़े वकील कहां से आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि विपक्ष मामले में सहयोग का वादा कर रही है लेकिन इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। आप आरोप लगाएंगे तो हमारे पास भी आपके खिलाफ कहने के लिए कई बातें हैं। रास्ता निकालने के लिए एक दूसरे को विश्वास में लेकर बातचीत जरूरी है।

टोपी पर तंज
विधानसभा में विपक्षी सदस्य ‘ओबीसी बचाओ’ लिखी हुई टोपी पहनकर सदन में पहुंचे थे। विपक्ष की एक महिला सदस्य ने मंत्री भुजबल को टोपी दी तो उन्होंने भी इसे पहन ली। इसके बाद भुजबल ने कहा कि मैं इस मुद्दे पर विपक्ष की मांग के साथ हूं और मैंने भी टोपी पहनी है। इससे पहले विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने भुजबल से कहा कि यह अच्छी बात है कि आपने हमारी टोपी पहनी लेकिन सावधान रहिए कुछ लोग आपको टोपी पहनाने की कोशिश कर रहे हैं।

हंगामें के बाद कार्यवाही स्थगित
लगातार हो रहे हंगामें के चलते विधानसभा की कार्यवाही पहले 20 मिनट और फिर सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। इससे पहले राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा शुरू की गई, साथ ही दुकानों पर मराठी बोर्ड को लेकर विधेयक पेश किया गया। एसटी विलीनीकरण से जुड़ी रिपोर्ट भी पटल पर रखी गई लेकिन विपक्ष का हंगामा जारी रहा तो कार्यवाही खत्म कर दी गई।

विधान परिषद में भी हंगामा
विधान परिषद में भी ओबीसी आरक्षण पर विपक्ष के हंगामे के कारण कामकाज नहीं हो सका। शुक्रवार को विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर की ओर से ओबीसी आरक्षण का मुद्दा उठाए जाने के बाद उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने जवाब दिया। लेकिन उपमुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष के सदस्य सभापति के आसन के सामने आकर हंगामा करने लगे। सरकार के खिलाफ जोरदार घोषणाबाजी की। इसके कारण विधान परिषद पहले 20 मिनट के लिए फिर सोमवार सुबह 10 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।