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मां के पास दैवीय शक्तियां, उनका बयान कानून से भी ऊपर: हाईकोर्ट

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने अपने एक फैसले में कहा कि एक मां के पास अपने बच्चे को समझने के लिए दैवीय शक्तियां होती हैं। अदालत ने कहा कि मां का बयान यह विश्वास दिलाने के लिए काफी है, उसकी बेटी के साथ बलात्कार हुआ था। ऐसी परिस्थिति में मां का बयान कानून से ऊपर है।
कोर्ट ने कहा कि अपराध के समय पीड़िता करीब साढ़े चार साल की थी, इसलिए अपने साथ हुए जघन्य अपराध को बताने में असमर्थ थी। कोर्ट ने कहा कि मां का बयान यह विश्वास दिलाने के लिए काफी है, उसकी बेटी के साथ बलात्कार हुआ था।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने आगे कहा कि इस अपराध के लिए अपराधी को 10 साल की सजा मिलनी चाहिए थी, लेकिन दोषी पहले से ही तीन साल की सजा काट चुका है, इसलिए उसको पांच साल की और सजा दी जाएगी। कोर्ट ने आगे कहा कि सजा सुनाने के समय अपराधी बालिग नहीं था।
क्या था पूरा मामला
विभा कंकणवादी की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। अपराधी के वकील आरवी गोरे ने कोर्ट में दोषी की सजा कम करने के लिए एक याचिका दायर की थी, जिसमें वकील ने कहा था कि अपराध के समय वह बालिग नहीं था और एक वयस्क के तौर पर उसे दोषी ठहराया गया। इसलिए कोर्ट से अपील है कि अपराधी की सजा को कम किया जाए।