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मुकेश अंबानी के घर के पास मिले स्कॉर्पियो व हिरेन की मौत मामले में मुंबई ATS की सचिन वाझे से 10 घंटे कड़ी पूछताछ, किए ये सवाल?

मुंबई: मनसुख हिरेन की संदिग्ध मौत के मामले में आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने मुंबई क्राइम ब्रांच से हटाए गए विवादित पुलिस अधिकारी सचिन वाझे से गुरुवार करीब 10 घंटे तक कड़ी पूछताछ की और उनका बयान दर्ज किया। सूत्रों के अनुसार, एटीएस के एक अधिकारी ने वाझे से उन सवालों के जवाब लेने की कोशिश की, जो मनसुख की पत्नी विमला हिरेन ने उठाए थे।
वाझे ने एटीएस अधिकारियों से कहा है कि मनसुख मामले से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि मनसुख को स्कॉर्पियो चलानी नहीं आती थी, इसलिए उनके पास मनसुख की स्कॉर्पियो रखी थी। उन्होंने मनसुख को स्कॉर्पियो वापस भी कर दी थी।

शिवसेना नेता की यह दलील
मनसुख से पहचान के बारे में वाझे ने कहा कि वह मनसुख को गाड़ी रिपेयरिंग के सिलसिले में हुई मुलाकात के बाद से जानने लगे थे। दोनों ठाणे में ही रहते हैं। इससे उनके बीच नजदीकी बढ़ गई थी।
हालांकि वाझे ने पूर्व नगरसेवक और शिवसेना नेता धनंजय गावडे को पहचानने से इनकार कर दिया। साथ ही, उन्होंने विमला हिरेन के इस आरोप को भी बेबुनियाद बताया कि मनसुख की हत्या उन्होंने की है।

खुलासा करने के कयास
सूत्र बताते हैं कि वाझे ने मनसुख के लापता होने वाले दिन उनसे मुलाकात की खबर से भी इनकार कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, वाझे पिछले दो दिन में मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह से चार बार मिले हैं। कयास कि वह खुद पर लगे आरोपों पर कुछ खुलासा करेंगे।

दो हजार CCTV फुटेज खंगाले गए
जिलेटिन मामले में जांच कर रही एनआइए की एक टीम उस सफेद इनोवा कार के काफी करीब पहुंच गई है, जो स्कॉर्पियो के पीछे दो बार नजर आई थी। जांच टीम ने जिलेटिन की गुत्थी सुलझाने के लिए अब तक 2,000 से ज्यादा सीसीटीवी फुटेज खंगाल लिए हैं।

विमला का दोबारा बयान दर्ज
एटीएस सूत्रों ने बताया कि वाझे से पूछताछ के बाद एटीएस ने विमला हिरेन और उनके बेटे का गुरुवार को दोबारा बयान दर्ज किया। बताया जा रहा है कि विमला ने वही बातें कही हैं, जो वह पहले ही एटीएस में दर्ज करवा चुकी हैं। दरअसल, विमला हिरेन ने कुछ दिन पहले एटीएस को बताया था कि जिस पुलिस अधिकारी सचिन वाझे को जांच की जिम्मेदारी दी गई थी उसने चार महीने तक घटना में शामिल स्कॉर्पियो कार का इस्तेमाल किया था। उन्होंने आशंका जताई थी कि उनके पति की हत्या में भी वाझे का हाथ है।
मनसुख हिरेन की मौत के मामले में एटीएस ने एफआईआर दर्ज करने के बाद मनसुख की पत्नी का जवाब दाखिल किया था। विमला ने बताया था कि सचिन वाझे उनके पति के संपर्क में थे। नवंबर 2020 में वाझे ने मनसुख से स्कॉर्पियो कार इस्तेमाल करने के लिए ली थी। 5 फरवरी 2021 को वाझे ने अपने ड्राइवर के हाथों कार वापस लौटा दी थी।

वाझे से पूछे गए ये संभावित सवाल
1- एंटीलिया के बाहर खड़ी स्कॉर्पियो में जिलेटिन की छड़ें मिलने की जानकारी आपको कब और कैसे मिली?
2- क्या आप वहां सबसे पहले पहुंचे थे और उन्होंने सबसे पहले पहुंचकर वहां क्या काम किया?
3- क्या आप शिवसेना नेता धनंजय गावड़े को जानते हैं?
4- क्या वे मनसुख हिरेन को पहले से जानते हैं, दोनों के संबंध कैसे थे।
5- मनसुख की पत्नी ने आरोप लगाया है कि आप चार महीने से उनकी कार इस्तेमाल कर रहे हैं? क्या ये सच है?

मनसुख हीरेन नहीं थे कार के मालिक?
उद्योगपति मुकेश अंबानी के आलीशान बंगले ‘एंटीलिया’ के बाहर विस्फोटकों से भरी स्कॉर्पियो कार मिलने के मामले में अब एक नया मोड़ यह सामने आया है। मनसुख हीरेन जिन्हें इस कार का मालिक समझा जा रहा था, असल में वह इस कार के मालिक थे ही नहीं।
अंग्रेज़ी अख़बार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक, एंटिलिया के बाहर से मिली कार असल में ठाणे निवासी सैम पीटर न्यूटन की है जिसका रजिस्ट्रेशन 7 अप्रैल 2007 को ठाणे के आरटीओ ऑफ़िस में हुआ था।
हीरेन ने अपनी मौत से पहले क्राइम ब्रांच को दिए अपने बयान में कहा था कि न्यूटन 2016 से उनके परिचित थे, हीरेन का ठाणे में कार डेकोरेशन का व्यवसाय था और न्यूटन ने उन्हें गाड़ी में कुछ एक्सेसरीज़ लगाने को कहा था।
अख़बार लिखता है कि गाड़ी के काम के बाद न्यूटन ने हीरेन को 2.80 लाख के भुगतान के लिए दो चेक दिए थे जो बाउंस हो गए थे। इसके बाद 6 अप्रैल 2018 को हीरेन ने न्यूटन से ठाणे के एक मॉल में पैसे मांगे लेकिन न्यूटन ने पैसे देने में असमर्थता जताई जिसके बाद हीरेन उन्हें नौपाडा पुलिस स्टेशन भी ले आए थे।

तिहाड़ में रची गई थी विस्फोटक की साजिश!
साजिश के तार दिल्ली की तिहाड़ जेल से जुड़ रहे हैं। सूत्रों ने इसकी पुष्टि मुंबई पुलिस कमिश्नर के उस सीक्रेट इनपुट से की है, जो दिल्ली पुलिस कमिश्नर को भेजा गया है।
सूत्रों का कहना है कि इनपुट में आईपी एड्रेस समेत उस टेलिग्राम अकाउंट का जिक्र है, जिसके जरिये जैश-उल-हिंद नाम के आतंकी संगठन ने विस्फोटक की जिम्मेदारी ली थी। 25 फरवरी को विस्फोटक मिला था। 27 फरवरी को टेलिग्राम अकाउंट के जरिए इसकी जिम्मेदारी ली गई। जांच में पता चला है कि टेलिग्राम अकाउंट तिहाड़ की जेल संख्या तीन और चार में बंद कैदियों ने 26 फरवरी को बनाया था।
सीक्रेट इनपुट में दी गई डिटेल को खंगालने के लिए स्पेशल सेल और खुफिया एजेंसियां तिहाड़ जेल प्रशासन के संपर्क में हैं। संदिग्धों की पड़ताल की जा रही है।