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उद्धव ठाकरे बोले- नहीं बनना चाहता था CM…पर अब जिम्मेदारी छोड़कर भागने वाला नहीं

मुंबई: शिवसेना पक्ष प्रमुख व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री पद नहीं चाहता था लेकिन अब जिम्मेदारी मिली है तो मैं इस जिम्मेदारी को छोड़कर भागने वाला नहीं हूं। उन्होंने कहा कि शिवसेना प्रमुख दिवंगत बालासाहेब ठाकरे ने मराठी भाषियों को लड़ने की जो सीख दी थी वह सीख वे मुझे नहीं दिए होंगे? मैं उनके और जनता के आशीर्वाद से ही मैदान में उतरा हूं।
सीएम उद्धव ठाकरे ने शिवसेना पार्टी की साप्ताहिक पत्रिका ‘मार्मिक’ के 61वीं स्थापना दिवस पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मेरा और ‘मार्मिक’ का जन्म साल 1960 में हुआ है। मैंने और ‘मार्मिक’ ने 61 साल पूरे किए हैं। यह संयोग है कि मैं और ‘मार्मिक’ नए रूप में लोगों के सामने आए हैं। मार्मिक नए रूप में बाजार में आया है। मैं मुख्यमंत्री के रूप में नई जिम्मेदारी निभा रहा हूं। मुझे कल्पना नहीं थी कि मुख्यमंत्री पद संभालना पड़ेगा। लेकिन जो जिम्मेदारी और संकट से डरेगा, वह मराठी भाषी कैसा? और ठाकरे कैसा? मुख्यमंत्री ने कहा कि मराठी भाषियों के मनोरंजन के लिए मार्मिक का जन्म हुआ था लेकिन मराठी भाषियों के घर में परप्रांतियों की ओर से आक्रमण होने लगे। इसके बाद मार्मिक में मनोरंजन की जगह मनोव्यथा शामिल हो गई। इसके बाद एक आंदोलन खड़ा हुआ जिसके बाद शिवसेना का जन्म हुआ। शिवसेना का जन्मदाता ‘मार्मिक’ है।

रावते हाथ गाड़ी पर बेचते थे ‘मार्मिक’
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपातकाल में ‘मार्मिक’ के प्रकाशन पर रोक नहीं लगाई गई थी लेकिन उसके प्रिटिंग प्रेस को ताला लगा दिया गया था। आपातकाल के आंतक के कारण बाजार में स्टॉल पर मार्मिक को बेचने के लिए कोई तैयार नहीं होता था, तब शिवसेना के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व मंत्री दिवाकर रावते हाथ गाड़ी पर ‘मार्मिक’ को बेचने के लिए बाजार में ले जाते थे।