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‘दशहरा रैली’ में उद्धव बोले- ‘कटप्पा’ को शिवसैनिक माफ नहीं करेंगे; तो शिंदे बोले- ‘कटप्पा’ भी स्वाभिमानी था..’दो टप्पी नहीं’!

मुंबई,(राजेश जायसवाल): मुंबई के शिवाजी पार्क में आयोजित शिवसेना के ‘दशहरा रैली’ में उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर जमकर निशाना साधा। उद्धव ठाकरे ने कहा, जिन्हें हमने सब कुछ दिया, उन्होंने हमारे साथ ‘विश्वासघात’ किया और जिन्हें कुछ नहीं दिया, वे सब एक साथ हैं। यह ‘सेना’ एक या दो की नहीं बल्कि आप सभी की है। जब तक आप मेरे साथ हैं, मैं पार्टी का नेता रहूंगा। ये उद्धव ठाकरे नहीं…’उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ है।

बता दें कि ‘शिवसेना’ के गठन के 56 साल बाद बुधवार को मुंबई में दो दशहरा रैलियों का आयोजन किया गया। शिवाजी पार्क से पूर्व सीएम व शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर तंज कसा, उन्होंने कहा कि ‘कटप्पा’ को शिवसैनिक माफ नहीं करेंगे। आज जो सीएम हैं वो कुछ समय के लिए ही हैं। कुछ लोग हमें काट रहे हैं उनको इसका परिणाम भी भुगतना होगा। उन्होंने कहा कि आज का रावण 50 खोखे का हो गया है। उद्धव ठाकरे गुट ने दशहरा के मौके पर मुंबई के शिवाजी पार्क में रावण दहन भी किया।

साल 1966 में बालासाहेब ने की थी शिवसेना की पहली रैली
बालासाहेब ठाकरे ने 19 जून 1966 को शिवसेना का गठन किया था। इसी साल 30 अक्टूबर को दशहरे के दिन दादर के शिवाजी पार्क में उन्होंने पार्टी की पहली रैली आयोजित की। तब से मुंबई के शिवाजी पार्क में शिवसेना की दशहरा रैली की परंपरा जारी है। 2012 में बालासाहेब के निधन के बाद उनके बेटे उद्धव ठाकरे रैली को संबोधित करते रहे हैं।
बालासाहेब ठाकरे के बेटे जयदेव ठाकरे ने मुख्यमंत्री शिंदे का किया समर्थन। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे को अकेला मत छोड़िए। वह किसानों और आम लोगों के लिए काम कर रहे हैं। वहीं एकनाथ शिंदे ने भी उद्धव ठाकरे पर पलटवार करते हुए खुद को बालासाहेब ठाकरे का वारिस बताया है।

खास बात यह रही कि दशहरे के मौके पर मुंबई के अलग-अलग मैदानों में हुई शिवसेना के दो गुटों की रैलियों में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे ने एक-दूसरे को ‘गद्दार’ कहा है! मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मुंबई के बीकेसी मैदान में ‘दशहरा रैली’ को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि ‘गद्दार’ वे नहीं बल्कि ‘गद्दारी’ तो उन्होंने (उद्धव) ने की है। उन्होंने कहा कि वे बालासाहेब के विचारों को मानने वाले शिवसैनिक हैं लेकिन उन्हें दो ही शब्दों से नवाजा गया। एक ‘गद्दार’ और दूसरा ‘खोखे’।
शिंदे ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘हमने गद्दारी नहीं की हमने ‘गदर’ किया है। हमने क्रांति की है। गद्दारी उन्होंने की है जो 2019 में जनता से वोट पीएम मोदी की तस्वीर दिखा कर मांगी और सीएम की कुर्सी के लिए ‘महाविकास आघाड़ी’ की सरकार बना ली। गद्दारी 2021 में हुआ, बालासाहेब के विचारों से गद्दारी हुआ। शिंदे ने कहा कि ‘शिवसेना’ न उद्धव ठाकरे की है और न ही एकनाथ शिंदे की…शिवसेना बालासाहेब के विचारों की है।
शिंदे ने आगे कहा, वे कहते हैं कि हम ढाई साल तक क्यों शांत रहे? इसलिए शांत रहे कि उनमें हम बालासाहेब की छवि देखते थे। लेकिन जब देखा कि बालासाहेब के विचारों के साथ आपने गद्दारी की। शिवसैनिकों के विश्वास के साथ गद्दारी की। तो हमने शिवसेना को बचाने के लिए बड़ा कदम उठा लिया। हमने गद्दारी नहीं की, ‘गदर’ किया। 1857 के ‘गदर’ को भी अंग्रेजों ने गद्दारी ही बताया था।

मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा,  बालासाहेब का सपना था राम मंदिर बने, पीएम मोदी ने कर दिखाया। बालासाहेब का सपना था कश्मीर से धारा 370 हटे, गृहमंत्री अमित शाह ने वो कर दिखाया। आपने उनसे धोखा किया। अमित शाह को अफजल खान कहा और जिन्होंने बालासाहेब ठाकरे को गिरफ्तार किया आप उनके साथ चले गए। दाऊद इब्राहिम से संबंध रखने वाले को मंत्री बना कर रखे।
पीएफआई पर बंदी लागू होती है तो कहा जाता है आरएसएस पर भी बंदी लगे लेकिन उद्धव ठाकरे इस पर चुप रहते हैं। कैसी लाचारी है यह? हमें मोदी-शाह का गुलाम कहते हैं। उन्होंने कहा, दाऊद का गुलाम होने से अच्छा उनका गुलाम होना है जो देश को आगे ले जा रहे हैं।
शिंदे ने कहा, मैं बहुत कुछ आपके और अपने बीच की बातें बता सकता हूं, लेकिन मैं ऐसा नहीं करूंगा। आज तो बस इतना कहता हूं कि 2019 में मुझे उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की बात चल रही थी। तभी मुझे बताया गया और मैंने बिना विचार किए कहा कि नहीं, आप आगे बढ़िए मैं पीछे खड़ा हूं। हम छोड़ने वाले लोग हैं।लेकिन आपने एक झटके में सीएम की कुर्सी के लिए बालासाहेब के विचारों को छोड़ दिया।
शिंदे ने कहा, मुझे ‘कटप्पा’ कहा जाता है। कहा जाता है कि जिस पार्टी ने मुझे बड़ा बनाया मैं उसके खिलाफ कट (साजिश) रच रहा था। अरे ‘कटप्पा’ स्वाभिमानी था।आपकी तरह दोगला नहीं। दिन-रात मैंने शिवसेना के लिए एक कर दिया। मुझ पर 100 केसेस हैं आप पर कितने केसेस हैं? एक भी बताइये?

आपने दलाली मांगी इसलिए फॉक्सकॉन-वेदांत प्रोजेक्ट गुजरात गया
सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा, वेदांत प्रोजेक्ट गुजरात जाने पर आप हमें और हमारी सरकार पर सवाल उठाते हैं। मैं बताता हूं कि वेदांत-फॉ़क्सकॉन प्रोजेक्ट गुजरात क्यों गया? आपने दलाली मांगी, इसलिए फॉक्सकॉन प्रोजेक्ट गुजरात चला गया।

एकनाथ शिंदे ने कहा, हमें बाप चुराने वाला कहा जाता है। हमने तो बालासाहेब के विचारों को अपनाया। आपने उनके विचार बेच दिए। आप तो बाप बेचने निकले।असली गद्दार कौन? कुर्सी के लिए समझौता कर लिया। भ्रष्टाचार का रावण रुपी कांग्रेस को जलाना है, ऐसा बालासाहेब ठाकरे कहा करते थे। आपने कुर्सी के लिए उसी कांग्रेस से हाथ मिला लिया। आत्मपरीक्षण करें। शिवसेना ना ठाकरे की है ना शिंदे की है। शिवसेना बालासाहेब के विचारों की है।

सीएम शिंदे ने कहा, हमें कहा जाता है कि बीजेपी के साथ गए तो अब इस्तीफा देकर चुनाव लड़ो। आपने जब जनमत के खिलाफ जाकर महाविकास आघाड़ी बनाई तो इस्तीफा दिया क्या? चुनाव लड़े क्या? सरकार कांग्रेस और एनसीपी चला रही थी। सेना का झंडा और एनसीपी का एजेंडा मंत्रालय में चल रहा था। आप ढाई सालों में सिर्फ ढाई घंटे के लिए मंत्रालय गए। कोई खुश नहीं था आपसे। क्या ऐसे सरकार चलती है?
सीएम शिंदे ने कहा, सिर्फ कोविड-कोविड कहकर सबको घर बैठा दिया। सारे धंधे चौपट कर दिए। बस आपका धंधा शुरू था। मुझसे ज्यादा कोई नहीं जानता है कि वो क्या धंधा था? सबकी दुकाने बंद कर दी। सिर्फ आपकी दुकान शुरू थी। मुझसे ज्यादा कौन जानता है उस धंधे को?

आपका सिर्फ वर्क फ्रॉम होम, हमारा वर्क विदाउट होम
सीएम शिंदे ने कहा, कोविड में उनका वर्क फ्रॉम होम शुरू था. हम वर्क विदाउट होम वाले हैं। कोविड में लोग मर रहे थे। सिविल सर्जन ने कोविड सेंटर में जाने से मना किया। लेकिन मैं गया। जो काम करने से घबरा रहे थे, उनको काम पर लगाया। पीपीई किट पहनकर मैं अस्पताल-अस्पताल घूम रहा था। अस्पताल ठीक से काम करें, इस मुहिम में लगा था।

आपका विचार- हम दो, हमारे दो!
सीएम शिंदे ने कहा, पार्टी के काम से मैं कहां-कहां नहीं गया। मैं जब पंजाब गया था और शीर्ष नेतृत्व के साथ था तो मुझे बताया गया कि मेरे नेता ने वहां के शीर्ष नेतृत्व को फोन कर कहा कि नौकर के साथ क्यों जाते हो, मालिक के साथ आओ। नौकर मतलब ‘एकनाथ शिंदे’। हम नौकर नहीं, बालासाहेब के शिवसैनिक हैं। शिवसेैनिक जब मिलने जाया करता था तो चप्पल उतारने से पहले ही भगा दिया जाता था।आज कैसे एक-एक शिवसैनिक से मिल रहे हैं। अब कैसे विभाग प्रमुख, शाखा प्रमुख और शिवसैनिक आपको याद आ रहे हैं?

धृतराष्ट्र के सामने जैसे सिर्फ संजय की सुनी जाती थी, वैसा ही यहां भी था
एकनाथ शिंदे ने कहा जिस तरह महाभारत में धृतराष्ट्र सिर्फ संजय की सुना करते थे। वही उनकी आंखे और कान था। यहां भी एक संजय के कहने पर पूरी पार्टी चल रही थी। पार्टी लगातार नीचे जा रही थी, इसलिए हमें यह कदम उठाना पड़ा।

गौरतलब है कि एकनाथ शिंदे जून में शिवसेना में बग़ावत करके 40 से अधिक बाग़ी विधायकों के समर्थन और बीजेपी के सहयोग के साथ उद्धव ठाकरे को पद से हटाकर मुख्यमंत्री बन गए थे। शिवसेना में हुए विद्रोह के बाद से मुख्यमंत्री शिंदे की यह पहली सार्वजनिक रैली थी।
उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, दोनों ने ही शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की विरासत पर अपना दावा ठोका और अपने आप को हिंदुत्व का असली सिपाही बताया है। शिवसेना पर किस गुट का हक़ है इसे लेकर विवाद अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। दोनों ही गुट अपने आप को असली शिवसेना बताते रहे हैं।

मुंबई के ऐतिहासिक शिवाजी पार्क में उद्धव ने तो बीकेसी के MMRDA मैदान में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे दोनों नेताओं ने विशाल रैली को संबोधित करते हुए कहा कि ये विशाल जनसमूह इस बात का सबूत है कि शिवसैनिक किसके साथ हैं!