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महाराष्ट्र में सियासी सुनामी: 9 मंत्रियों समेत अजित पवार बने उपमुख्यमंत्री!

मुंबई, (राजेश जायसवाल): महाराष्ट्र में भारी बरसात के बीच यहां के सियासत में भी रविवार की दोपहर सुनामी आ गई। उद्धव ठाकरे के बाद अब एनसीपी चीफ शरद पवार को तगड़ा झटका लगा है। एनसीपी के वरिष्ठ नेता व शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम की शपथ ले ली है। इसके अलावा एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं में छगन भुजबल, दिलीप वलसे पाटिल, हसन मुश्रीफ, धनंजय मुंडे, धर्मराव आत्राम, अदिति तटकरे, अनिल पाटिल, संजय बनसोडे ने भी मंत्री पद की शपथ ली है। राजभवन में हुए शपथ समारोह में सीएम शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के साथ सभी मंत्री भी राजभवन में मौजूद हैं। खास बात यह है कि इन सबके अलावा शरद पवार के सबसे विश्वसनीय माने जाने वाले एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल भी राजभवन में मौजूद हैं।

दरअसल, एनसीपी पार्टी के 53 में से 30 विधायक अजित पवार के साथ हैं, जो कि एक बड़ी मजबूती वाली बात है। कहा जा रहा है कि एनसीपी के तीन सांसद भी उनके साथ जा रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह कि अब एनसीपी चीफ रहे शरद पवार का क्या होगा? क्योंकि इस वाकये के बाद से राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार को एक बड़ा झटका लगा है, जिससे उबर पाना अब उनके लिए इतना आसान नहीं होगा।

सुबह क्या बोले थे शरद पवार?
अजित पवार के एनसीपी विधायकों की बैठक बुलाने पर पार्टी चीफ शरद पवार सफाई देते नजर आए। उन्होंने कहा कि, ‘मुझे ठीक से नहीं पता कि यह बैठक क्यों बुलाई गई है? लेकिन विपक्ष के नेता होने के नाते उन्हें (अजित पवार) को विधायकों की बैठक बुलाने का अधिकार है। वह ऐसा नियमित रूप से करते हैं। मुझे इस बैठक के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।

वहीँ, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि महाराष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिए अजित दादा साथ आये हैं। अब यहां भी ट्रिपल इंजन की सरकार होगी। खबर है कि इस घटना के बाद एनसीपी प्रमुख शरद ने पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले को फोन किया है और थोड़ी देर में पुणे में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने जा रहे हैं। एनसीपी नेता सुप्रिया सुले शरद पवार से मिलने पुणे के लिए निकल चुकी हैं। उपमुख्यमंत्री अजित पवार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं।

विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश में शरद पवार!
एक तरफ जहां शरद पवार विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश में हैं। वहीं, अब उनके भतीजे अजित पवार ने ही उनसे किनारा कर लिया। दावे के मुताबिक ‘दादा’ पार्टी के एक तिहाई विधायक साथ और ले गए। साफ है कि इस खेल की पूरी स्क्रिप्ट इस कदर लिखी गई है, ताकि एनसीपी विधायकों पर दलबदल कानून भी लागू न हो। अगर अजित पवार के पास 36 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है तो इस स्थिति में दल-बदल कानून लागू नहीं होगा।

वैसे देखा जाये तो एनसीपी के पास अभी भी ऑप्शन है कि वे बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए आगे बढ़े। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि इससे तभी बचा जा सकता है जब मूल पार्टी का विलय हो। मसलन, अजित पवार को अपनी मूल पार्टी एनसीपी का विलय करना होगा। इसके लिए अजित पवार के पास एनसीपी का सिंबल होना चाहिए। अब इस चीज को साबित करने के लिए अजित पवार को चुनाव आयोग जाना होगा। अगर एनसीपी बागियों को अयोग्य ठहराने के लिए आगे बढ़ती है, तो इस स्थिति में बागी गुट को अयोग्यता का सामना करना होगा। इस बीच अजित पवार ने पार्टी के सिंबल पर दावा भी किया है।

ऐसे में शिवसेना के खिलाफ एकनाथ शिंदे के विद्रोह पर भी काफी उठापटक देखा गया था। आखिर में पता चला कि उन्होंने शिवसेना के 35 विधायक तोड़ लिए और 7 स्वतंत्र विधायकों को भी साथ ले आए। इसके बाद उद्धव ठाकरे का कुनबा धीरे-धीरे खाली हो गया। शिंदे गुट में विधायकों का आना जारी रहा। बाद में पता चला कि एकनाथ शिंदे ने शिवसेना पर ही दावा बोल दिया। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। अभी मामला पूरी तौर पर खत्म तो नहीं हुआ है, लेकिन कोर्ट ने साफ कर दिया है कि शिवसेना पर अब उद्धव ठाकरे का अधिकार नहीं रह गया है, असली ‘शिवसेना’ शिंदे के पास है।