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मुंबई: विनय दुबे को मिली 21 अप्रैल तक पुलिस कस्टडी

विनय दुबे राकांपा का सदस्य नहीं – नवाब मलिक

मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने बुधवार को कहा कि विनय दुबे नाम का व्यक्ति पार्टी का सदस्य नहीं है, जिसके सोशल मीडिया पर डाले गए कथित संदेशों को देखकर सैकड़ों की संख्या में प्रवासी मजदूर मंगलवार को बांद्रा रेलवे स्टेशन के बाहर जमा हो गए थे।
राज्य के मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि मीडिया में कहीं-कहीं ये खबरें आईं कि विनय दुबे राकांपा का सदस्य है लेकिन यह पार्टी की छवि खराब करने के लिए बोला गया झूठ और एक दुर्भावनापूर्ण प्रयास है।
पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मलिक ने ट्वीट किया- हम यह साफ कर देना चाहते हैं कि विनय दुबे जिसे नवी मुंबई पुलिस ने और बाद में मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया है, वह राकांपा का सदस्य नहीं है।
बता दें कि नवी मुंबई के रहने वाले ‘महापंचायत’ के अध्यक्ष विनय दुबे को बुधवार तड़के गिरफ्तार कर लिया गया। इससे पहले फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डाली गई उसकी कुछ पोस्ट के बारे में पूछताछ की गई जिनके कारण ही मंगलवार को कथित तौर पर प्रवासी कामगार बड़ी संख्या में बांद्रा स्टेशन के बाहर इकट्ठे हुए थे। दुबे ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो डाला था जिसमें महाराष्ट्र सरकार से मांग की गई थी कि वह लॉकडाउन के कारण यहां फंसे प्रवासियों के लिए यात्रा इंतजाम करे। प्रवासी कामगारों की परेशानियों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए भाजपा विधायक आशीष शेलार ने बुधवार को मांग की थी कि अधिकारी मुंबई में फंसे प्रवासी कामगारों और महाराष्ट्र के बाहर रह रहे उनके परिजनों के बीच मोबाइल फोन पर बातचीत की व्यवस्था करे ताकि उनके बीच व्याप्त असंतोष कम हो सके।
राज्य के पर्यटनमंत्री आदित्य ठाकरे को लिखे पत्र में शेलार ने कहा कि पीड़ा की एक बड़ी वजह यह है कि प्रवासी कामगारों और उनके परिजनों के बीच कोई संवाद नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि कामगार परिजनों से बात नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि उनके मोबाइल फोन की प्री-पेड रिचार्ज की सीमा खत्म हो चुकी है। शेलार बांद्रा वेस्ट का प्रतिनिधित्व करते हैं जहां उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से आए कामगारों की संख्या काफी अधिक है।
गौरतलब है कि विशेष रेलगाड़ियों के संचालन की अफवाह उड़ने के बाद मंगलवार की शाम को हजारों की संख्या में प्रवासी कामगार लॉकडाउन को ताक पर रखते हुए बांद्रा रेलवे स्टेशन के बाहर जमा हो गए थे।

बांद्रा की घटना दुर्भाग्यपूर्ण: शरद पवार
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने बांद्रा रेलवे स्टेशन के बाहर प्रवासी मजदूरों के एकत्र होने की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया और जोर दिया कि कोविड-19 के संकट की इस स्थिति में ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी के अफवाह फैलाने के बाद स्टेशन के बाहर लोग इकट्ठा हो गए कि ट्रेन सेवाएं फिर से शुरू होंगी। उन्होंने कहा कि इस तरह के भ्रामक संदेश को फैलने से रोकने के लिए सावधानी बरतने की जरूरत है।

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान सरकार में कैबिनेट मंत्री अशोक चव्हाण ने मुंबई के बांद्रा स्टेशन पर भीड़ एकत्र होने की घटना को लेकर कहा कि रेल विभाग के एक पत्र के कारण असमंजस की स्थिति पैदा हुई और इस मामले की जांच के बाद जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी। उन्होंने पत्र दिखाते हुए यह भी कहा कि वह रेल मंत्री अथवा मंत्रालय को जिम्मेदार नहीं ठहरा रहे हैं, लेकिन इसमें लापरवाही जरूर दिख रही है। चव्हाण ने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, 13 अप्रैल को दक्षिण मध्य रेलवे रेलवे के एक अधिकारी के हस्ताक्षर से पत्र जारी किया गया कि 14 अप्रैल से प्रवासी मजदूरों के लिए ट्रेन चलेगी। यह रेलवे की लापरवाही का ज्वलंत उदाहरण है। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिये अफवाहें फैलाए जाने का जिक्र किया और कहा कि सामाजिक सौहार्द खराब करने और कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई को बाधित करने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी। उनके मुताबिक राज्य सरकार की भूमिका स्पष्ट है। इस मामले की विस्तृत जांच और कार्रवाई होगी।

बांद्रा की घटना दुखद: फडणवीस
वहीं, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि बांद्रा की घटना बहुत दुखद है। हम पहले दिन से सरकार से कह रहे हैं कि जिन मजदूरों के पास राशन कार्ड नहीं है उनका इंतजाम करें। राज्य सरकार को जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि कैसे सभी को भोजन और राशन मिलेगा।

लोगों को ट्रेन खुलने का मैसेज कहा से मिला इसकी जांच होनी चाहिए: पूनम महाजन
भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुंबई नॉर्थ-सेंट्रल से सांसद पूनम महाजन ने दावा किया है कि लोगों को ट्रेन खुलने का मैसेज कहाँ से मिला था। इसकी जांच होनी चाहिए। आखिरकार ये मैसेज किसने भेजा और ये अफवाह कैसे फैली?

विनय दुबे को मिली 21 अप्रैल तक पुलिस कस्टडी
आरोपी विनय दुबे को बुधवार को स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 21 अप्रैल तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। उसे ऐरोली में नवी मुंबई पुलिस ने पहले हिरासत में लिया था, जिसके बाद बांद्रा पुलिस को सौंप दिया गया। आरोप है कि दुबे ने मुंबई के कुर्ला में 18 अप्रैल को प्रवासी मजदूरों को आंदोलन के लिए उकसाया था। पुलिस अधिकारी ने बताया कि उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 153 ए (विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्यता बढ़ाने, नफरत का भाव बढ़ाने), 117 (अपराध करने के लिए भड़काने), 188 (सरकारी सेवक के आदेश का पालन नहीं करना), 269 , 270 (लापरवाही और बीमारी का संक्रमण फैलाने के लिए गलत बर्ताव करना) तथा महामारी कानून के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।

टीवी पत्रकार के खिलाफ मामला दर्ज
मुंबई पुलिस ने बताया कि बांद्रा में लॉकडाउन के बीच मंगलवार को भीड़ उमड़ने संबंधित घटनाक्रम में एक टीवी पत्रकार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। यह प्राथमिकी उस खबर को लेकर दर्ज की गयी है जिसमें कहा गया था कि ट्रेन सेवाएं बहाल होंगी, जिसके चलते बांद्रा में प्रवासी कामगार उमड़ पड़े। पुलिस अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले के आरोपी राहुल कुलकर्णी को हिरासत में ले लिया गया है और पुलिस उसे मुंबई लेकर आएगी।
उन्होंने बताया कि हाल ही में एक खबर में कुलकर्णी ने कहा था कि लॉकडाउन के कारण फंसे हुए लोगों के लिए जन साधारण विशेष ट्रेनें बहाल होंगी। अधिकारी ने बताया कि उस पर आईपीसी की धारा 188, 269, 270 और 117 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

चैनल की ओर से यह सवाल?
बांद्रा में जमा हुई भीड़ का जिम्मेदार जिस मराठी न्यूज चैनल की मंगलवार सुबह प्रसारित हुई एक खबर को बताया गया। इसके आधार पर उक्त चैनल के उस्मानाबाद स्थित एक रिपोर्टर को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। लेकिन उस चैनल के संपादक की ओर से भी स्पष्ट कर दिया गया है कि यह समाचार दक्षिण-मध्य रेलवे द्वारा तैयार किए उस प्रस्ताव के आधार पर दिखाई गई थी, जो लॉकडाउन में ढील दिए जानेवाले क्षेत्रों के लिए तैयार किया गया था।
चैनल की ओर से यह सवाल भी उठाया गया है कि जब इसी प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस पार्टी दिल्ली में केंद्र सरकार पर आरोप लगा सकती है, तो कांग्रेस की ही महाराष्ट्र में चल रही सरकार उसी प्रस्ताव के आधार पर खबर चलाने वाले रिपोर्टर को आरोपी कैसे बना सकती है?
उक्त चैनल ने यह भी कहा है कि बांद्रा के जमावड़े के तुरंत बाद उसकी ओर से राज्य सरकार की क्षमताओं पर सवाल उठाया गया था। इसलिए उसे निशाना बनाया जा रहा है।

फ़िलहाल मुंबई पुलिस को अब तक किसी भी शख्स से ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे ये साबित हो सके कि ट्रेन शुरू होने की कोई अफ़वाह असल में थी भी या नहीं? कुछ लोगों से अब तक हुई पूछताछ में उनके पास ट्रेन शुरू होने की अफ़वाह को लेकर कोई एसएमएस या वॉट्सएप मैसेज नहीं पाया गया।
पुलिस भी इस सवाल का जवाब तलाश रही है कि उत्तर प्रदेश और बिहार के लिए ट्रेनें सीएसटी, दादर और एलटीटी से छूटती हैं ना कि बांद्रा से। गुजरात और राजस्थान के लिए छूटने वाली कुछ ट्रेनें भी बांद्रा टर्मिनस से शुरू होती हैं जो कि बांद्रा स्टेशन से तकरीबन 1 से 2 किलोमीटर के फासले पर है। इन लोगों में से किसी के पास भी ना कोई सामान नजर आया ना ही महिला, बच्चों समेत कोई परिवार दिखा।
पुलिस को मिली जानकारी के मुताबिक इकट्ठा हुए लोगों में अधिकतर बांद्रा स्टेशन के आस-पास के इलाकों की झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोग शामिल थे। अब नया सवाल सामने आया कि ये लोग एक साथ, एक ठिकाने पर, एक वक्त कैसे इकट्ठा हुए?
बीजेपी के पूर्व सांसद किरीट सोमैया के मुंबई पुलिस के साथ साझा किए एक वीडियो से ये पता चल रहा है कि भीड़ किसी खास मकसद से इकट्ठा हुई थी, प्रशासन को वो अपनी नाराज़गी जताकर कुछ दबाव बनाना चाहती थी जिसके लिए उन्होंने किसी मीडिया को भी बुलाया था जिसे भीड़ इकट्ठा होने का समय भी बताया गया था। ये मीडिया कौन सी थी, इसकी भी जांच की जा रही है। इस वीडियो के सामने आने के बाद साजिश की दिशा में भी जांच की जा रही है।

कोविड 19 से जुड़ी फेक न्यूज़ व धार्मिक रंग देने वालों की खैर नहीं
मुंबई की साइबर पुलिस ने ऐसे 30 सोशल मीडिया एकाउंट्स की पहचान की है जिन्होंने ट्रेन सेवाओं को लेकर अफवाह फैलाई थी जिसके बाद बांद्रा स्टेशन पर लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई थी।
बता दें कि महाराष्ट्र साइबर विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, ट्विटर, टिकटॉक, इंस्टाग्राम समेत ऐसी तमाम ऐप पर सात दिन 24 घंटे फेक न्यूज़, अफवाह आदि पर नजर बनाए हुए है। जो लोग कानून व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए सोशल मीडिया पर कोविड19 से जुड़े मामलों को धार्मिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे लोगों को पुलिस चिन्हित कर कड़ी कार्यवाई करेगी।