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UP: अमरोहा नरसंहार की दोषी शबनम को मिली कुछ दिनों की मोहलत, डेथ वारंट नहीं बनने से टली फांसी!

अमरोहा: उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के बावनखेड़ी नरसंहार की दोषी शबनम की फांसी के लिए उसे कुछ दिनों की मोहलत मिल गई है। उसके अधिवक्ता द्वारा राज्यपाल के यहां दायर की गई दया याचिका उसकी ढाल बन गई है। इस याचिका के निस्तारण तक उसका डेथ वारंट जारी नहीं किया जा सकेगा। रामपुर जेल प्रशासन द्वारा अमरोहा सेशन कोर्ट को भेजी गई याचिका की प्रति के आधार पर मंगलवार को डेथ वारंट जारी नहीं किया गया। कोर्ट ने इस संबंध में अपना फैसला सुरक्षित रखा है।

क्या है पूरा मामला?
अमरोहा जिले में हसनपुर के गांव बावनखेड़ी में प्रेमी सलीम के साथ मिलकर 15 अप्रैल, 2008 को माता-पिता, दो भाई, भाभी, फुफेरी बहन व मासूम भतीजे को मौत की नींद सुला देने वाली शबनम को अभी फांसी नहीं होगी। 15 जुलाई 2010 को अमरोहा सेशन कोर्ट द्वारा सलीम व शबनम को फांसी की सजा सुनाई गई थी। उसके बाद हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट ने भी दोनों की सजा को बरकरार रखा था। यहां तक कि राष्ट्रपति ने भी उसकी दया याचिका खारिज कर दी थी। उसके बाद दोनों ने फिर से सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने शबनम की याचिका खारिज करते हुए रामपुर जेल प्रशासन को फांसी का आदेश भेजा था, जबकि अभी सलीम की पुनर्विचार याचिका लंबित है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश मिलने के बाद रामपुर जेल प्रशासन ने अमरोहा सेशन कोर्ट को डेथ वारंट जारी करने के लिए रिपोर्ट भेजी। इस क्रम में मंगलवार यानि 23 फरवरी को सेशन कोर्ट को डेथ वारंट जारी करना था। सेशन कोर्ट ने अभियोजन अधिकारी से शबनम प्रकरण के संबंध में रिपोर्ट मांगी। इसी दौरान बीते शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता राजीव जैन रामपुर जेल पहुंचे तथा उन्हें शबनम की तरफ से राज्यपाल के यहां पुनर्विचार दया याचिका दायर करने संबंधी प्रार्थना पत्र दिया। जेल प्रशासन ने उसकी एक प्रति सेशन कोर्ट को भेजी थी।

मंगलवार को जिला शासकीय अधिवक्ता महावीर सिंह ने राज्यपाल को भेजी गई दया याचिका की रिपोर्ट सेशन कोर्ट में पेश की। इसके आधार पर शबनम का डेथ वारंट जारी नहीं हो सका। अदालत ने इस संबंध में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। जिला शासकीय अधिवक्ता महावीर सिंह ने बताया कि शबनम के अधिवक्ता द्वारा राज्यपाल के समक्ष पुनर्विचार दया याचिका दायर की गई है। उसकी प्रति यहां भी भेजी थी। इस संबंध में न्यायालय को रिपोर्ट दे दी गई है। दायर याचिका के निस्तारण के बाद ही अग्रिम कार्रवाई विचारणीय होगी।

तीन बिंदुओं पर राज्यपाल से फांसी की सजा रोकने की गुहार
शबनम के अधिवक्ता ने राज्यपाल से फांसी की सजा पर रोक लगाने की मांग में तीन बिंदुओं का हवाला दिया है। बेटे ताज के साथ ही हरियाणा के सोनिया कांड को नजीर बनाते हुए सजा को उम्रकैद में तब्दील करने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता राजीव जैन की ओर से शबनम की दया याचिका राज्यपाल को भेजी जा चुकी है। इस बारे में शबनम के अधिवक्ता शमशेर सैफी ने बताया कि हमने उसके बेटे की परवरिश के साथ ही हरियाणा के सोनिया कांड, देश में अभी तक किसी महिला को फांसी न दिए जाने को आधार बनाया है।

ये है हरियाणा का सोनिया कांड!
23 अगस्त 2001 को हरियाणा के लिटानी में विधायक रेलूराम पुनिया, उनकी दूसरी पत्नी कृष्णा, बेटी प्रियंका, बेटा सुनील, बहू शकुंतला, चार वर्षीय पोते लोकेश, दो वर्षीय पोती शिवानी व तीन महीने की प्रीति की हत्या कर दी गई थी। संपत्ति विवाद में उनकी बेटी सोनिया ने पति संजीव के साथ मिलकर वारदात की। सोनिया रेलूराम की सगी बेटी नहीं थी। वह कृष्णा के पहले पति की संतान है। इस मामले में हिसार की अदालत ने सोनिया व संजीव को मौत की सजा सुनाई थी। उसे हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया था। हालांकि, बाद में हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने फिर मौत की सजा सुनाई। इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दया याचिका ठुकराते हुए फांसी बरकरार रखी है। शबनम प्रकरण में सोनिया कांड पर हाईकोर्ट के फैसले को आधार बनाया है।