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काशी में RSS प्रमुख मोहन भागवत बोले- विश्वनाथ मंदिर का स्वरूप तमाम पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा; गुरुद्वारों से सीखें स्वच्छता

वाराणसी, (राजेश जायसवाल): वाराणसी में शनिवार को 30 देशों के 1600 मंदिरों का महासम्मेलन शुरू हुआ। रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने दीप प्रज्वलित कर ‘अंतर्राष्ट्रीय टेंपल्स कन्वेंशन’ का शुभारंभ किया।

भागवत ने कहा, हमें गली की छोटी-छोटी मंदिरों की सूची बनानी चाहिए। वहां रोज पूजा हो, सफाई रखी जाए। मिलकर सभी आयोजन करें। संगठित बल साधनों से संपूर्ण करें। मंदिरों को अपना-उनका छोड़कर एक साथ आगे आएं। जिसको धर्म का पालन करना है वो धर्म के लिए सजग रहेगा। निष्ठा और श्रद्धा को जागृत करना है। छोटे स्थान पर छोटे से छोटे मंदिर को समृद्ध बनाना है। समय आ गया है, अब देश और संस्कृति के लिए त्याग करें। भागवत ने स्वच्छ भारत अभियान के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सराहना करते हुए कहा कि इसका मंदिरों पर भी बहुत प्रभाव पड़ा है। उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर का उदाहरण देते हुए कहा कि यह एक इच्छाशक्ति को दर्शाता है विश्वनाथ मंदिर का स्वरूप तमाम पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।

समाज को एक लक्ष्य में चलाने के लिए मठ-मंदिर चाहिए
सरसंघचालक ने कहा, मंदिर हमारी परंपरा का अभिन्न अंग हैं। पूरे समाज को एक लक्ष्य लेकर चलाने के लिए मठ-मंदिर चाहिए। कभी हम गिरे, कभी दूसरों ने धक्का मारा…लेकिन हमारे मूल्य नहीं गिरे। हमारे जीवन का लक्ष्य एक ही है…हमारा कर्म और धर्म। यह लोक भी ठीक करेगा और परलोक भी। हमारे मंदिर, आचार्य, देवस्थान, यति साथ चलते हैं, तभी सृजन के लिए हैं।

भागवत ने कहा कि मंदिर को नई पीढ़ी को संभालना है तो उन्हें ट्रेनिंग दें। अपने साधन और संसाधन को एक करके अपनी कला और कारीगरी को सशक्त करें। समाज के कारीगर को प्रोत्साहन मिले तो वह अपने को मजबूत करेगा।
मंदिर सत्यम-शिवम-सुंदरम की प्रेरणा देते हैं। मंदिर की कारीगरी हमारी पद्धति को दिखाते हैं। मंदिर को चलाने वाले धर्म होना चाहिए। अपने यहां कुछ मंदिर सरकार और कुछ समाज के हाथ में हैं। काशी विश्वनाथ का स्वरूप बदला, ये भक्ति की शक्ति है। परिवर्तन करने वाले लोग भक्त हैं और इसके लिए भाव चाहिए।

मंदिर में क्या-क्या होना चाहिए?
मोहन भागवत ने बताया, मंदिर पवित्रता के आधार हैं। स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए। गुरुद्वारा जाना है तो पानी में होकर जाना होता है। लेकिन, ऐसा सभी मंदिरों में नहीं है। ऐसी ही स्वच्छता का ध्यान रखना है। ये सब मंदिरों में होना चाहिए।

मंदिर केवल पूजा नहीं मोक्ष का स्थल: भागवत
उन्होंने कहा कि समाज में धर्म चक्र परिवर्तन के आधार पर सृष्टि चलती है। शरीर मन और बुद्धि को पवित्र करके ही आराधना होती है। मंदिर हमारी प्रगति का सामाजिक उपकरण हैं। मंदिर में आराधना के समय आराध्य का पूर्ण स्वरूप होना चाहिए। शिव के मंदिर में भस्म और विष्णु के मंदिर में चंदन मिलता है। यह उनकी ओर से समाज को प्रेरणा है। मोहन भागवत ने कहा, मंदिर केवल पूजा नहीं मोक्ष और चित्त सिद्धि का स्थल है। सत्य को प्राप्त करना…अपना आनंद सबका आनंद हो, इसके लिए धर्म ही समाज को तैयार करता है।

समाज की चिंता करने वाला मंदिर होना चाहिए
भागवत ने कहा, मंदिर में शिक्षा मिले, संस्कार मिले, सेवा भाव हो और प्रेरणा मिले। मंदिर में लोगों के दुख दूर करने की व्यवस्था हो। सभी समाज की चिंता करने वाला मंदिर होना चाहिए। देश के सभी मंदिर का एकत्रीकरण समाज को जोड़ेगा, ऊपर उठाएगा, राष्ट्र को समृद्ध बनाएगा।
मंदिर भक्तों के आधार पर चलते हैं। पहले मंदिर में गुरुकुल चलते थे। कथा प्रवचन और पुराण से नई पीढ़ी शिक्षित होती थी। संस्कार होता है कि मनुष्य को जहां धन, वैभव आदि मिलता है, वह वहां आता है।
उन्होंने कहा, बलि और हिंसा समय के साथ बदली और यह अब नारियल फोड़कर होती है। समाज प्रकृति और परंपरागत राजा पर निर्भर नहीं है। राजा का काम संचालन है। इसके लिए हम सत्ता देकर सो नहीं जाते, बल्कि उनके कामों का फल चुनाव में देते हैं।

हिन्दू, बौद्ध, जैन मंदिरों और गुरुद्वारों के 1000 प्रबंधक मौजूद
बता दें कि वाराणसी में पहली बार इतने बड़े स्तर पर ‘इंटरनेशनल टेम्पल्स कन्वेंशन एंड एक्सपो’ (ITCX) आयोजित हो रहा है। इसमें हिन्दू, बौद्ध, जैन मंदिरों और गुरुद्वारों के करीब 1000 प्रबंधक मौजूद हैं। वहीं, 600 मंदिरों के प्रतिनिधि वर्चुअली जुड़े हैं।

भारत को दोबारा विश्वगुरु बनाएंगे: अश्विनी चौबे
मोहन भागवत से पहले केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा, हर सनातन का घर एक मंदिर है। मंदिर ही ऊर्जा है। इन मंदिरों को जोड़कर भारत को दोबारा विश्वगुरु बनाएंगे। मंदिरों को जोड़कर मानस को सांस्कृतिक रूप से एक करेंगे। मंदिर जुड़ेंगे तो मन भी जुड़ेंगे। हमारी संस्कृति भी जुड़ेगी। हमारे मंदिर केवल पूजा स्थल ही नहीं सेवा, चिकित्सा, शिक्षा का केंद्र रहे।
आतताइयों ने अतीत में हमारे मंदिर और संस्कृति को क्षति पहुंचाई, उनके संसाधनों को क्षीण किया। मगर, हमारा इतिहास हमेशा ऊंचा रहा। गौरवशाली इतिहास से आने वाली पीढ़ी को रूबरू कराएंगे। इसके बल पर हमारी संस्कृति पुष्पित और पल्लवित है। उत्सवों का देश भारत है। सनातन काल से भारतीय संस्कृति पुरातन और प्रेरणादायी है।

ज्ञानवापी प्रकरण पर भी बोले अश्विनी चौबे
वहीं, कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में पहुंचे केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि इंटरनेशनल टेंपल कन्वेंशन का कार्यक्रम काशी से एक बड़ा संदेश देगा। इससे देशभर के मंदिरों पर असर पड़ेगा और उनका उत्थान होगा। ज्ञानवापी प्रकरण में ASI सर्वेक्षण को लेकर आए कोर्ट के फैसले का उन्होंने स्वागत किया और कहा कि राम मंदिर की तरह इस मामले में भी कोर्ट हिंदू भावनाओं का ख्याल रखेगी।

हर तीन साल में मंदिरों के महासम्मेलन की घोषणा
आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रसाद नारायण ने हर तीन साल में इसी तरह मंदिरों के महासम्मेलन कराने की बात कही। उन्होंने कहा, कामन मैन का पैसा कामन मैन तक पहुंचाया जाए। मंदिर के पैसों से मंदिरों का जीर्णोद्धार हो। जो लंगर गुरुद्वारे में चलता है, वो मंदिरों में भी चले। लंगर में भक्त प्रसाद और भूखे को भोजन मिलेगा। बुक बैंक, मेडिकल हेल्प, लंगर मैनेजमेंट करना होगा। स्वच्छता मंदिरों की प्राथमिकता होगी, फूल प्रसाद समेत सामग्री निस्तारण का फुल प्रूफ प्लान बनाया गया है जो परिवर्तन लाएगा।

सभी मंदिर मिलकर ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ का सपना साकार करेंगे
कार्यक्रम में पीएम मोदी का संदेश पढ़ा गया। बताया गया कि काशी समेत देश के मंदिरों में विकास और विरासत का उन्होंने संकल्प लिया। वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम, गंगा घाट समेत तमाम सौंदर्यीकरण देश और दुनियाभर के लिए उदाहरण है। सभी मंदिर मिलकर ही ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ का सपना साकार करेंगे।

एक्सपो के अंतिम दिन श्वेत पत्र जारी होगा
कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहेंगे। सम्मेलन में केन्द्रीय मंत्री अश्विनी चौबे और राज्यसभा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी, मंदिरों के न्यासी (पद्मनाभस्वामी मंदिर), गोवा के पर्यटन मंत्री रोहण ए. खुन्ते, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के कार्यकारी अधिकारी धर्म रेड्डी भी रहेंगे। सम्मेलन के अंतिम दिन मंदिर और गुरुद्वारा प्रबंधन के संबंध में श्वेत पत्र जारी होगा।
टेम्पल्स एक्सपो में तीन अलग-अलग सत्र होंगे। इसमें काशी विश्वनाथ मंदिर, महाकाल ज्योतिर्लिंग, अयोध्या राम मंदिर, पटना साहेब गुरुद्वारा, चिदंबरम मंदिर के प्रतिनिधि शामिल हुए हैं। इसके अलावा विरूपक्ष मंदिर हम्पी आंध्र प्रदेश में तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम, केरल में पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रतिनिधियों को भी निमंत्रण दिया गया है। वहीं कर्नाटक में विरुपाक्ष मंदिर, मध्य प्रदेश में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग और तमिलनाडु में चिदंबरम नटराज मंदिर, इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) से जुड़े मंदिरों और जैन धर्मशालाओं के प्रतिनिधि भी मौजूद हैं।

इन विषयों पर मंथन करेंगे देश-दुनिया के प्रतिनिधि
आयोजकों के अनुसार, तीर्थयात्रियों को भारतीय संस्कृति और विरासत के करीब लाने के लिए आध्यात्मिक क्षेत्र में एक एग्रीगेटर बनना है। एक्स्पो के जरिए लोग धर्म स्थलों की विविध सांस्कृतियों, परंपराओं, कला और शिल्प समेत समृद्ध पूजा स्थल धरोहर के बारे में जान सकेंगे। वित्तीय प्रबंधन और साइबर अटैक से जुड़े मसलों पर भी चर्चा होगी।

स्मार्ट टेम्पल मिशन को लॉन्च करेंगे
एक्सपो के आयोजक संस्था कनेक्ट के संस्थापक गिरेश कुलकर्णी ने बताया कि महासम्मेलन में स्मार्ट टेंपल मिशन को लॉन्च किया जाएगा। इस एक्सपो का मकसद हिंदू, सिख, बौद्ध, और जैन धर्म के भक्ति संस्थानों के प्रतिनिधियों को एक छत के नीचे लाना है। ताकि उनका एक नेटवर्क बनाया जा सके। इसके जरिए उन्हें अपनी सबसे अच्छी प्रथाओं को साझा करने में मदद मिलेगी। वे एक-दूसरे से सीख सकें। इसके अलावा परिसर की सुरक्षा पर एक-दूसरे से तकनीक साझा कर सकें। देवस्थानों की साइबर अटैक से सुरक्षा के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक, फेस रिकग्निशन तकनीक वाले CCTV कैमरों के इस्तेमाल आदि बिंदुओं पर भी चर्चा होगी।

मंदिर में आने वाला हर भक्त एक इच्छा लेकर आता है: प्रसाद लाड
अंतरराष्ट्रीय मंदिर सम्मेलन के अध्यक्ष और महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य प्रसाद लाड ने कहा कि भारत में मंदिरों का इतिहास 5000 साल से अधिक पुराना है और हमारा धर्म इन वर्षों में मजबूत रहा है। बीजेपी नेता ने कहा, मंदिर में आने वाला हर भक्त एक इच्छा लेकर आता है, एक ऐसी इच्छा जो हमेशा सकारात्मक होती है। मंदिर में कोई भी बुरा नहीं चाहता है। वे सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ आते हैं। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन भारत भर के मंदिरों को जोड़ने के साथ-साथ धर्म और समाज को जोड़ने का प्रयास है।