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चंद्रशेखर आजाद की नई पार्टी ‘बहुजन आजाद पार्टी’, कोर कमिटी की मीटिंग में लगेगी मुहर

मेरठ: भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद की नई राजनीतिक पार्टी का नाम मायावती के राजनीतिक दल बीएसपी (बहुजन समाज पार्टी) से मिलता-जुलता ही बीएपी (बहुजन आजाद पार्टी) पर लगभग सहमति बन गई हैं। एबीपी (आजाद बहुजन पार्टी) नाम पर भी काफी विचार किया गया लेकिन माना जा रहा है कि बीएपी नाम पर ही शुक्रवार को होने वाली कोर कमिटी की बैठक में मुहर लगेगी।
नई पार्टी का ऐलान भी वेस्ट यूपी के किसी जिले से किया जाएगा। बहुजनों के हितों की रक्षा के संकल्प के दावे के साथ भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद नए राजनीतिक दल का गठन कर सामाजिक के साथ सियासी चोला भी पहनने का ऐलान 15 मार्च को करेंगे। सियासी पार्टी में वह धमाकेदार एंट्री करना चाहते हैं। जब से यह बात सर्वजनिक हुई है कि चंद्रशेखर नया सियासी दल गठित कर 15 मार्च को उसका ऐलान करेंगे, तभी से उनके दल के नाम को लेकर कयास भी लगाए जा रहे हैं।

पार्टी का नाम फाइनल (बहुजन आजाद पार्टी)
भीम आर्मी के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी पर भरोसा करें तो पार्टी के लिए सिर्फ दो नाम पर विचार हुआ। इनमें से एक फाइनल कर दिया गया लेकिन अंतिम मुहर शुक्रवार को होने वाली थिंकटैंक की बैठक में लगेगी। सूत्रों के मुताबिक बहुजन आजाद पार्टी (बीएपी) और आजाद बहुजन पार्टी (एबीपी) में से ज्यादातर का मत बहुजन आजाद पार्टी की तरफ था। इसका समर्थन करने वालों के दो तर्क हैं। एक तो आम लोग बीएपी के बहुजन को आसानी से समझ लेंगे। वहीं इसमें चंद्रशेखर आजाद का नाम भी शामिल हो जाएगा।

इस बारे में भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद का कहना है कि नए दल के नामों पर मंथन चल रहा हैं। शुक्रवार को होने वाली कोर कमिटी की मीटिंग में फाइनल कर दिया जाएगा। जनता की समझ, पसंद और जुड़ाव वाला नाम ही रखा जाएगा।

वेस्ट यूपी में चंद्रशेखर करेंगे पार्टी का ऐलान
सूत्रों के मुताबिक भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद अपनी सियासी पार्टी का ऐलान वेस्ट यूपी के ही किसी जिले में मौजूद रहकर करेंगे। सूत्र बता रहे हैं कि पहले देश की राजधानी दिल्ली में यह प्रोग्राम करने पर विचार किया जा रहा था लेकिन दिल्ली में हिंसा के मौजूदा हालात को देखते हुए फिलहाल बदलाव करने पर मंथन चल रहा है। सहारनपुर भीम आर्मी और चंद्रशेखर आजाद की जन्म और कर्मभूमि है। मेरठ वेस्ट यूपी की सियासी राजधानी मानी जाती है। दिल्ली के करीब गाजियाबाद और नोएडा है। वहां से भी बड़ा सियासी मैसेज जा सकता है इसलिए इन चार जगहों में से किसी एक को चुना जा सकता है।