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UP: प्रवासी श्रमिकों की बाइकों ने रेलवे को किया मालामाल, महाराष्ट्र के लिए बुक की गई हैं मोटरसाइकिलें

मऊ: कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के बीच मची जिंदगी की भागमभाग में कोई मुंबई, सूरत और दिल्ली से पैदल चला आया तो कोई अपनी या दूसरों की बाइक उधार लेकर गांव आ गया। जिंदगी की गाड़ी एक बार फिर से पटरी पर लौटते ही मजदूर और उनकी बाइकें दोनों ट्रेनों में सवार होकर महानगरों तक फर्राटा भर रही हैं। इन्हीं बाइकों की बुकिंग से रेलवे पार्सल घरों का सन्नाटा टूटा और रेलवे का खजाना भरता रहा।
वैश्विक महामारी कोरोना कोविड-19 के भय और कामकाज ठप होने से महानगरों में बेरोजगार हुए श्रमिक लॉकडाउन की अनिश्चितता के बीच पूर्वांचल के विभिन्न जनपदों में वापस लौट आए। जून माह में यात्री स्पेशल ट्रेनों का संचालन शुरू होने के बाद जब धीरे-धीरे विश्वास जगा तो यही श्रमिक वापस भी लौटने लगे। वाराणसी कैंट से भटनी जंक्शन के बीच कुल तीन रेलवे पार्सल घर हैं। एक वाराणसी कैंट स्वयं, दूसरा मऊ जंक्शन और तीसरा देवरिया है। इस रूट पर इन्हीं पार्सल घरों से कहीं के लिए माल की बुकिंग की जा सकती है। मऊ जंक्शन से बाइक की बुकिंग के आंकड़ों पर गौर करें तो विभिन्न महानगरों के लिए पिछले छह माह में 500 से ज्यादा बाइकों की बुकिंग हुई है। जबकि, देवरिया और वाराणसी कैंट से इससे भी ज्यादा बाइक की बुकिंग की गई है। मऊ जंक्शन रेलवे पार्सल के वाणिज्य अधीक्षक शंकर प्रसाद ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान माल की बुकिंग की स्थिति शून्य रही। जून माह में यात्री स्पेशल ट्रेनों का संचालन शुरू होने पर कई सप्ताह तक बुकिंग की स्थिति दयनीय रही। कई-कई दिन तो बोहनी नहीं हो पा रही थी। जुलाई से धीरे-धीरे मुंबई, दिल्ली और सूरत के लिए बाइकें बुक होने लगीं। बाइकों पर ज्यादातर नंबर महाराष्ट्र, दिल्ली और गुजरात का ही लिखा होता था।

मोटरसाइकिलों की बुकिंग से रेलवे पार्सल घर से आने वाले राजस्व में इजाफा हुआ
मोटरसाइकिलों की बुकिंग से रेलवे पार्सल घर से आने वाले राजस्व में इजाफा हुआ है। हर पार्सल घर पर बाइकों की बुकिंग में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। लाकडाउन के पहले औसत 10 लाख रुपये प्रतिमाह की बुकिंग का था, फिलहाल 7 लाख रुपये तक औसत आने लगा है।

  • सिरनाम सिंह, डीसीआई, मऊ जंक्शन