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महाराष्ट्र में देवेंद्र कैसे साबित कर पाएंगे बहुमत, ये हैं चार समीकरण…

मुंबई: शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी शुक्रवार की रात तक महाराष्ट्र में सरकार बनाने का फाइनल प्लान कर चुके थे। उद्धव ठाकरे को मुख़्यमंंत्री बनाने पर मुहर भी लग चुकी थी। लेकिन, अगली सुबह जब उठे तो तीनों ही दलों के नेता यह जानकर हैरान थे कि गवर्नर हाउस में महाराष्ट्र के सीएम के तौर पर देवेंद्र फडणवीस ने शपथ ले ली है और अजित पवार डेप्युटी सीएम बन गए हैं। असल में एक महीने तक सरकार बनाने को लेकर चुप्पी साधे बैठी रही बीजेपी ने ‘प्लान बी’ पर काम करने में अपनी ताकत से ज्यादा एनसीपी की कमजोरी का फायदा उठाया।
बीजेपी ने जिस तरह से ‘प्लान बी’ पर काम किया, उसे लेकर किसी को भी खबर नहीं थी और अंत में जब सच्चाई सामने आई तो फिर एनसीपी से लेकर शिवसेना तक सभी भौंचक रह गए। दरअसल शुक्रवार की रात को शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के बीच सरकार गठन को लेकर लंबी ऊहापोह के बाद सहमति बनती दिखी थी, लेकिन बीजेपी और पावर गेम के माहिर कहे जाने वाले शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने गेम पलट दिया।
यह पूरा खेल कितना अप्रत्याशित था, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि मल्लिकार्जुन खड़गे और उद्धव ठाकरे ने कहा कि शुक्रवार शाम तक तीनों दलों की मीटिंग में अजित पवार भी हिस्सा थे। सुबह जब यह खबर आई कि फडणवीस और अजित पवार ने शपथ ले ली है तो महाराष्ट्र ही नहीं पूरे देश में राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई।

अब महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से बुधवार की तारीख तय किए जाने के बाद एनसीपी चीफ शरद पवार ने अब भतीजे अजित पवार को भी साधने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। सोमवार शाम को मुंबई के हयात होटल में शिवसेना और कांग्रेस संग 162 विधायकों का शक्ति प्रदर्शन कर चुके पवार अब पार्टी से लेकर परिवार तक में सब कुछ ठीक करने में जुटे हैं। कहा जा रहा है कि अजित परिवार को साधने के लिए अब उनकी पत्नी आगे आई हैं और बात कर सकती हैं।
एनसीपी के सूत्रों ने कहा कि अजित पवार हमारे संपर्क में हैं और वह बागी तेवर छोड़कर पार्टी में लौट सकते हैं? एनसीपी के इन बयानों के बाद से सूबे में अजित पवार को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं।
बता दें कि अजित पवार ने एनसीपी के विधायक दल के नेता के तौर पर देवेंद्र फडणवीस को सरकार गठन के लिए समर्थन दिया था औ खुद डेप्युटी सीएम की शपथ भी ली थी। इस झटके के बाद रविवार को एनसीपी ने उन्हें इस जिम्मेदारी से हटाने के बाद जयंत पाटील को विधायक दल का नया नेता चुना था। हालांकि इस पूरे घटनाक्रम के बाद भी एनसीपी की ओर से लगातार अजित पवार से संवाद जारी है और उन्हें मनाने को कोशिशें की जा रही है। अजित पवार ने अभी तक डेप्युटी सीएम का चार्ज नहीं लिया है।

आइए जानते हैं फडणवीस कल विधानसभा में किन स्थितियों में अपनी कुर्सी बचा सकते हैं…

पहला: अगर NCP के 36 विधायक अजित पवार के साथ आ जाएं
एनसीपी के पास कुल 54 विधायक हैं। दल-बदल कानून के प्रावधान के तहत अलग गुट को मान्यता हासिल करने के लिए दो तिहाई विधायकों के समर्थन की जरूरत होती है। इस लिहाज से अजित पवार को 36 विधायकों का समर्थन चाहिए। अगर अजित 36 या इससे ज्यादा विधायकों का समर्थन हासिल कर लेते हैं तो उन्हें नई पार्टी बनाने में मुश्किल नहीं होगी लेकिन अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो बागी विधायकों की सदस्यता खत्म हो सकती है। उनके अलावा करीब 13 निर्दलीय विधायकों के समर्थन का दावा बीजेपी पहले ही कर रही थी। ये निर्दलीय शिवसेना और बीजेपी के बागी नेता हैं। ऐसे में बीजेपी के 105+36+13= 154 यानी फडणवीस सरकार आसानी से बहुमत साबित कर देगी।

असल में मौजूदा हालात: फिलहाल ऐसा होता नहीं दिख रहा है। अजित पवार ने सुप्रीम कोर्ट में भले ही खुद ‘एनसीपी’ में होने का दावा किया हो, लेकिन अभी तक चले पूरे घटनाक्रम में वह विधायकों को अपने साथ खड़ा नहीं दिखा पाए हैं। पार्टी और विधायकों पर शरद पवार की पकड़ ज्यादा नजर आ रही है।

दूसरा: अगर विधायक वोटिंग से गायब हो जाएं
दूसरी स्थिति यह हो सकती है कि विपक्षी दलों के कुछ विधायक वोटिंग के दौरान सदन से अनुपस्थित हो जाएं। इस स्थिति में प्रोटेम स्पीकर की भूमिका भी अहम हो जाएगी। ऐसे में बहुमत का आंकड़ा घट जाएगा और बीजेपी आसानी से बहुमत साबित कर सकती है। 288 सदस्यीय विधानसभा में अभी बीजेपी के पास 105 सदस्य हैं। देखना होगा कि बुधवार को बीजेपी और विपक्षी दलों की क्या रणनीति बनती है। अगर ऐसा होता है तो बीजेपी 105+13+अन्य के साथ मिलकर 145 के नंबर तक पहुंच सकती है।

असल में मौजूदा हालात: फडणवीस सरकार बचने की यही एकमात्र सबसे संभव स्थिति दिख रही है। हालांकि इस स्थिति में मामला फिर सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक पहुंच सकता है।

तीसरा: शिवसेना में ही पड़ जाए फूट
तीसरी स्थिति यह हो सकती है कि बीजेपी शिवसेना के खेमे में ही सेंध लगा ले और विधायकों को तोड़ ले या फिर उनसे इस्तीफा दिलवा दे। विधानसभा में इस समय शिवसेना के पाक 56 विधायक हैं। ऐसी स्थिति में भी विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा घट जाएगा। बीते कुछ दिनों से बीजेपी के कुछ नेता भी दबी जुबान में यह दावा कर रहे हैं कि शिवसेना के कुछ विधायक उनके संपर्क में है।

असल में मौजूदा हालात: इसकी संभावना फिलहाल दूर-दूर तक नहीं दिख रही है। लेकिन राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है। महाराष्ट्र में शनिवार सुबह का घटनाक्रम यह साबित कर चुका है।

चौथा: कांग्रेस के विधायक बीजेपी में शामिल हो जाएं
बाकी सबके खिलाफ होने पर फडणवीस के लिए सरकार बचाने की एक अंतिम स्थिति यह हो सकती है कि कांग्रेस के 44 विधायकों में से बड़ा खेमा टूटकर बीजेपी में शामिल हो जाए या फिर उसे समर्थन कर दे।

असल में मौजूदा हालात: लगभग पूरी कांग्रेस ही बीजेपी के पाले में आ जाए, यह फिलहाल तो नामुमकिन है। लेकिन जैसे हम ऊपर कह ही चुके हैं- राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है। महाराष्ट्र में शनिवार सुबह का घटनाक्रम यह साबित कर चुका है।