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राकांपा नेता जयंत पाटिल से जुड़े बैंक पर ईडी का छापा, एक हजार करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग केस में 14 जगहों पर सर्च

मुंबई: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने संदिग्ध लेनदेन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शुक्रवार को पश्चिमी महाराष्ट्र में 14 परिसरों की तलाशी ली। छापेमारी में सांगली में एनसीपी राज्य इकाई के अध्यक्ष जयंत पाटिल से जुड़े राजारामबापु सहकारी बैंक लिमिटेड (RSBL) का कार्यालय भी शामिल है। ईडी ने जिस मामले में छापेमारी की, वह लगभग 1000 करोड़ रुपये घोटाले का एक दशक पुराना मामला है। जिन परिसरों की तलाशी ली गई उनमें एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) भी शामिल है, जिस पर ईडी को संदेह है कि उसने कई कंपनियों को कमीशन के बदले फर्जी व्यापारिक लेनदेन के माध्यम से वैध धन को अवैध धन में बदलने और इसके विपरीत में मदद करने में मदद की थी।

ईडी में मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि संदिग्ध कंपनियों में शहर के कई बड़े समूह भी शामिल हैं। ईडी की जांच में पाया गया कि सीए ने कंपनियों को उनके अवैध धन को नगदी में बदलने में मदद की। इस रकम को रिश्वत देने या अस्पष्ट खर्चों के लिए किया गया।

यूज हुए जाली KYC दस्तावेज
ईडी का मामला यह है कि जाली केवाईसी दस्तावेजों के साथ आरएसबीएल में कई खाते खोले गए और फर्जी कारणों से इन खातों में बड़ी रकम स्थानांतरित की गई। फिर खातों से नगद में पैसा निकाल लिया गया, जिसकी रिपोर्ट बैंक अधिकारियों को करने में विफल रहा। आरोप है कि सीए की कई फर्जी कंपनियां थीं और उन्होंने फर्जी दस्तावेज उपलब्ध कराकर बैंक में कई अन्य लोगों के साथ उनके नाम पर खाते खोले।

बैंक की मिलीभगत का भी शक
ईडी को शक है कि बैंक ने जानबूझकर जानकारी छिपाई। जयंत पाटिल ने ईडी की तलाशी पर कोई सफाई नहीं दी है। मनी लॉन्ड्रिंग मामला 2011 का है। आरोप है कि सीए ने कथित तौर पर अपनी शेल फर्मों के नाम पर फर्जी बिल और चालान प्रदान करके कंपनियों को कच्चा माल बेचा था। कंपनियां कथित तौर पर आरटीजीएस के माध्यम से आरएसबीएल में शेल कंपनी खातों में धन हस्तांतरित करती थीं।

इस तरह होता था मनी लॉन्ड्रिंग का खेल
इसके बाद सीए अपना कमीशन काटकर कंपनियों को पैसा नगद लौटाता था। ईडी के एक सूत्र ने कहा, कुछ मामलों में, 30 करोड़ रुपये नकद में निकाले गए, जो बेहद संदिग्ध था और दिशानिर्देशों का उल्लंघन भी था। ईडी को इन संदिग्ध लेनदेन में बैंक प्रबंधन की संलिप्तता का संदेह है, इसलिए एजेंसी ने बैंक परिसरों की भी तलाशी लेने का फैसला किया। ईडी में मामले से जुड़े करीबी लोगों ने कहा कि 2011 में बैंक को पुलिस मामले में आरोपी के रूप में नामित नहीं किया गया था, लेकिन अपनी जांच के दौरान ईडी को ऐसे सबूत मिले जो शेल कंपनी खाते खोलने और संदिग्ध लेन-देन को सक्षम करने में बैंक की भूमिका का संकेत देते हैं।